दिल्ली सरकार और पंजाब रोडवेज की जंग में बादल परिवार की ट्रांसपोर्ट कंपनी की बल्ले-बल्ले
पंजाब रोडवेज-पीआरटीसी और दिल्ली सरकार की लड़ाई बादल परिवार के स्वामित्व वाली निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी इंडो कनाडियन को दिल्ली एयरपोर्ट पर मोटी कमाई करवा रही है।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। पंजाब रोडवेज-पीआरटीसी और दिल्ली सरकार की लड़ाई बादल परिवार के स्वामित्व वाली निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी इंडो कनाडियन को दिल्ली एयरपोर्ट पर मोटी कमाई करवा रही है। पंजाब सरकार की उदासीनता के चलते इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आइजीआइ) एयरपोर्ट, दिल्ली से सरकारी वॉल्वो बस का संचालन एक सप्ताह बाद भी शुरू नहीं हो पाया। मजबूरी में यात्रियों को रोडवेज वॉल्वो बस से लगभग ढ़ाई गुणा ज्यादा किराया अदा कर 10 घंटे में पंजाब पहुंचना पड़ रहा है।
दिल्ली सरकार पंजाब रोडवेज के पास एयरपोर्ट तक कोई वैलिड परमिट न होने का हवाला देकर वॉल्वो बस सेवा के संचालन को बंद करवा चुकी है। दूसरी तरफ पंजाब सरकार भी अपने ही अधिकारियों द्वारा सरकारी वॉल्वो के संचालन को दोबारा शुरू करने को सुझाए विकल्पों पर अमल नहीं कर पाई। नतीजन, इंडो कनाडियन चांदी कूट रही है और रोडवेज एक करोड़ प्रति माह की आमदनी से हाथ धो बैठी है।
टूरिस्ट परमिट पर चल रही इंडो कनाडियन, रोडवेज परमिट भी नहीं ले पाई
इंडो कनाडियन बसें टूरिस्ट परमिट पर दिल्ली एयरपोर्ट तक यात्री पहुंचा रही हैं, जबकि रोडवेज को अपनी लग्जरी बसें बंद करनी पड़ी हैं। हालांकि पंजाब रोडवेज एवं पीआरटीसी के अधिकारी दिल्ली एयरपोर्ट के लिए वॉल्वो बसें चलाने को न्यूनतम 3 टूरिस्ट परमिट (दो पंजाब रोडवेज एवं 1 पीआरटीसी) अप्लाई करना जरूरी बता चुके हैं। टूरिस्ट परमिट भी पंजाब सरकार ने ही जारी करना है, लेकिन हैरानी है कि उसे जारी नहीं किया जा रहा।
दिल्ली एयरपोर्ट पर बसों का संचालन करने वाले निजी बस ऑपरेटर टूरिस्ट परमिट का भी उल्लंघन कर रहे हैं। टूरिस्ट परमिट पर यात्रियों के समूह को गंतव्य तक ले जाया जा सकता है। इस परमिट के तहत प्रति यात्री टिकट नहीं काटी जा सकती और न ही रास्ते में ही बस रोक कर यात्री बस में सवार करवाए जा सकते हैं। निजी ऑपरेटर दिल्ली हाइवे पर लगभग प्रत्येक स्टेशन से यात्री लेते हैं और टिकटें भी काटतें हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
रोडवेज अधिकारियों ने सुझाए थे विभिन्न विकल्प
पीआरटीसी अधिकारियों ने वॉल्वो बस सेवा दोबारा शुरू करने को लेकर विभिन्न विकल्प सुझाए थे। पहला, दिल्ली सरकार से काऊंटर साइन एग्रीमेंट कर लिया जाए, जो 1974 से बंद है। दूसरा, दिल्ली सरकार को एयरपोर्ट पर ही एक बस स्टैंड शुरू करने को राजी कर लिया जाए, ताकि एयरपोर्ट बस स्टैंड से ही वॉल्वो का संचालन शुरू हो जाए। अधिकारियों ने निजी ऑपरेटर्स की ही तर्ज पर टूरिस्ट परमिट लेकर वॉल्वो बस सेवा शुरू करने का भी विकल्प सुझाया था, लेकिन सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया।
11 बसों से हर माह थी 1 करोड़, निजी ऑपरेटर को तीन गुणा कमाई
पंजाब रोडवेज को दिल्ली एयरपोर्ट से 11 वॉल्वो बस के संचालन में प्रति माह लगभग 1 करोड़ की कमाई थी, जो वॉल्वो बंद होने से रुक गई है। इसके विपरीत निजी ऑपरेटर किराया ज्यादा होने की वजह से पंजाब रोडवेज से तीन गुणा ज्यादा कमाई कर रहे हैं। पंजाब रोडवेज जालंधर से आइजीआइ तक 1085 रुपये प्रति यात्री किराया लेती थी, जबकि निजी आपरेटर 2600 रुपये वसूल रहे हैं।