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यह है जालंधरः बाबा हेमगिरि करते थे शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा Jalandhar News

जालंधर में भगवान शंकर का लिंग रूप में आगमन कैसे हुआ इस पर इतिहासकारों के विभिन्न विचार सामने आए हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 02:06 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 09:10 AM (IST)
यह है जालंधरः बाबा हेमगिरि करते थे शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा Jalandhar News
यह है जालंधरः बाबा हेमगिरि करते थे शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। प्राचीन जालंधर में कई मंदिरों की मौजूदगी नजर आती है। श्री देवी तालाब मंदिर के चारों कोनों पर छोटे-छोटे मंदिर बने थे, तभी यहां शिवलिंग की स्थापना हो गई थी। ये शिवलिंग कौन लाया और कब लाया, इसकी जानकारी बाबा हेमगिरि के यहां पधारने के पूर्व से मिलती है क्योंकि बाबा हेमगिरि महाराज भी स्वयं इसी शिविलिंग की पूजा करते थे।

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इनके अतिरिक्त संत तुलजा गिरि के बाद स्वामी हरवल्लभ ने गद्दी संभाली, तब उन्होंने इसी शिवलिंग पर छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया। इसी के पास तालाब के किनारे बैठ कर वह शिव आराधना और संगीत लहरियों में डूब जाया करते थे। इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है कि भगवान शिव का शिवलिंग स्वरूप कैसे प्रकट हुआ।

जालंधऱ के देवी तालाब स्थित प्राचीन शिव मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग।

ब्रह्मा और विष्णु में युद्ध हुआ तो मध्य में आ गए थे शिव

जालंधर में भगवान शंकर का लिंग रूप में आगमन कैसे हुआ, इस पर इतिहासकारों के विभिन्न विचार सामने आए हैं। एक कथा अनुसार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में भयंकर युद्ध हुआ। ब्रह्मा जी को सृष्टि का जनक माना जाता है और भगवान विष्णु को पालनकर्ता। दोनों में युद्ध होने का कारण जो धार्मिक कथाओं में बताया गया है, उसके अनुसार यह युद्ध वर्चस्व का युद्ध था। ब्रह्मा जी अपने आप को विष्णु से बड़ा मानने लगे थे। भगवान विष्णु का कथन था कि ब्रह्मा जी उनकी नाभि से प्रकट हुए कमल के पुष्प पर विराजमान हैं। ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु का युद्ध जब भयंकर स्थिति में पहुंचा, तब भगवान शंकर एक स्तंभ रूप में दोनों के मध्य खड़े हो गए। युद्ध समाप्त हुआ और वही स्तंभ शिवलिंग के रूप में संसार में विराजमान हो गया।

जब श्री देवी तालाब मंदिर का सुंदरीकरण होने लगा, तब कई अन्य देवी-देवताओं की पावन प्रतिमाओं को स्थानांतरित किया गया। जब भगवान शिव के पावन लिंग को यहां से उठाने का प्रयास किया तो कई भयंकर सर्प सामने आए। एक नाग शिवलिंग से लिपट गया और शिवलिंग उठाने का प्रयास करने वालों को फन फैलाकर डराने लगा और शिवलिंग को यहां से उठाने में रुकावट डालने लगा। तब मंदिर प्रबंधक कमेटी ने भगवान शिव के इस प्राचीन मंदिर को जस का तस रहने दिया।

इस प्राचीन शिव मंदिर के बारे में लोगों की चमत्कारों के प्रति गहरी आस्था है। आकार में यह मंदिर छोटा है, परंतु इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। वैसे भगवान शिव का जो भी मंदिर नगर में स्थापित होता है, वह अपने आप को प्राचीन कहलाने में आनंद लेता है। हालांकि, जालंधर नगर में यही प्राचीनतम शिव मंदिर माना गया है।

(प्रस्तुतिः दीपक जालंधरी - लेखक शहर की जानी-मानी शख्सियत और जानकार हैं)


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