अस्थमा को जड़ से खत्म करना मुश्किल, इलाज से दे सकते हैं राहत : डॉ. तलवाड़
प्रदूषित पर्यावरण का खामियाजा लोगों को श्वास की बीमारियों से जूझ कर भुगतना पड़ रहा हैं। नतीजतन अस्थमा के शिकार मरीजों का दायरा भी बढ़ने लगा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : खेतों में पराली को आग लगाने के अलावा सड़कों पर दौड़ते वाहनों के धुएं से पर्यावरण प्रदूषित हो चुका हैं। प्रदूषित पर्यावरण का खामियाजा लोगों को श्वास की बीमारियों से जूझ कर भुगतना पड़ रहा हैं। नतीजतन अस्थमा के शिकार मरीजों का दायरा भी बढ़ने लगा है। मैट्रो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल नोएडा के छाती रोग माहिर डॉ. दीपक तलवाड़ ने यह जानकारी चेस्ट फिजिशियंस एसोसिएशन के सेमिनार में दी। डॉ. नरेश बाठला के नेतृत्व में आयोजित सेमिनार में उन्होंने बताया कि लोगों को खुद के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की जरूरत हैं। अस्थमा के मरीजों को लक्षणों की शुरूआत में ही दवा का सेवन कर लेना उचित है। डॉ. तलवाड़ ने बताया कि अस्थमा की बीमारी को पूरी तरह से जड़ से खत्म करना मुश्किल है परंतु इलाज से मरीज को राहत दी जा सकती है। आधुनिक तकनीक से लैस दवा से मरीजों बीमारी के अटैक से काफी हद बचाना संभव हैं। इस मौके पर डॉ. विनीत महाजन, सुदेश चौधरी, डॉ. एमबी बाली, डॉ. एचएस ¨ढगरा, डॉ. राजीव शर्मा, डॉ. अरुण वालिया, डॉ. रघु सभ्रवाल, डॉ. दीपक मोदी तथा डॉ. केवल राम भी मौजूद रहे।