Sports: शहर का एथलेटिक ट्रैक है बदहाल, कैसे पदक लाएंगे सूबे के लाल Jalandhar News
खिलाड़ियों ने कहा कि खेल मंत्री राणा गुरजीत सोढी ने चार महीने में ट्रैक बदलवाने की बात कही थी लेकिन 11 महीने बाद भी हालात वैसे के वैसे ही हैं।
जालंधर, जेएनएन। स्पोर्ट्स कॉलेज के फटे ट्रैक पर प्रैक्टिस करने के बावजूद राज्य के खिलाड़ी खेलों में झंडे गाड़ रहे हैं। अगर खिलाड़ियों को सभी सुविधाएं दी जाएं तो खिलाड़ी ओलंपिक में पदक भी लाने का माद्दा रखते हैं। राज्य के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह ने फटा ट्रैक जल्द बदलवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। अभी भी खिलाड़ी फटे ट्रैक पर अभ्यास करने को मजबूर हैं। ये बातें सोमवार को साउथ एशियन गेम्स में पदक जीतकर लौटे गुरिंदरवीर सिंह, हरजीत सिंह, लवप्रीत सिंह व अन्य ने कही। खिलाड़ियों ने हाथों में पोस्टर पकड़कर सरकार से खेल मैदानों का रखरखाव गंभीरता से करने की मांग की।
इन खिलाड़ियों ने कहा कि ट्रैक खस्ताहाल हो चुका है लेकिन इसे बदला नहीं जा रहा। जनवरी में कोच व खिलाड़ियों ने खेल मंत्री के समक्ष स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर का मुद्दा उठाया था। मंत्री ने चार महीने में ट्रैक बदलवाने की बात कही थी लेकिन 11 महीने बाद भी हालात वैसे के वैसे ही हैं। रोष जताने वालों में जश्नप्रीत सिंह, हरप्रीत सिंह, मकशिंदर सिंह, रमन कुमार, इश्वरूप सिंह, राजवीर सिंह, दिलमहक सिंह, रोहित, रशदीप कौर, राधा देवी, नेहा, अर्शदीप सिंह, अंकुश मिड्डा, आशीष कुमार, साहिलप्रीत सिंह, नमनदीप सिंह, अंकित कुमार उपस्थित थे।
साड्डा भविष्य बचाओ, ट्रैक बनवाओ
खिलाड़ियों ने पोस्टर पकड़कर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया है। पोस्टर में 'न ग्राउंड न सामान, किद्दां चढ़न खेडां परवाण', 'साडा भविख बचाओ, ट्रैक बनाओ' व 'मंत्री जी लारे न लाओ'..के स्लोगन लिखे हुए थे। सरकार के खिलाफ रोष जताते हुए खिलाड़ियों ने कहा कि वे फटे ट्रैक पर अभ्यास कर रहे है। इससे चोट लगने का डर रहता है। टूर्नामेंट से पहले इसी ट्रैक पर अभ्यास किया जाता है। उन्होंने सरकार से जल्द ट्रैक बदलवाने की मांग की।
जालंधर में फटेहाल एथलेटिक्स ट्रैक पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते हुए एथलीट गुरिंदरवीर सिंह।
वर्ष 1996 में लगाया गया था ट्रैक
ट्रैक को लगाए 14 साल बीत चुके हैं। सरकारें आई और गई लेकिन ट्रैक को बदलने की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। ट्रैक की आयु आठ वर्ष निर्धारित की गई थी। फिलहाल ट्रैक के नीचे जमीन का लेवल भी एक समान नहीं रहा। ट्रैक को कई जगहों से रफू किया गया है।