पटाखों के धुएं से परेशानी में पड़े अस्थमा और एलर्जी के मरीज, बचाव के लिए उठाएं ये कदम
छाती रोगों के माहिर डॉ. राजीव शर्मा दमा और एलर्जी से बचाव के लिए लोगों को पटाखे चलाते समय मास्क पहनने और कानों में रूई डालने की सलाह देते हैं।
जगदीश कुमार, जालंधर : दिवाली पर लोग जमकर पटाखे चलाते हैं। इनसे निकला धुआं जहरीला और खतरनाक होता है। ऐसे में अस्थमा और एलर्जी के मरीजों के लिए मुश्किल हो जाती है। पीएचसी शंकर के एसएमओ व छाती रोगों के माहिर डॉ. राजीव शर्मा ऐसे लोगों को पटाखे चलाते समय मास्क पहनने और कानों में रूई डालने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि दिवाली के बाद ऐसे मरीजों की संख्या में 10-15 फीसद इजाफा होता है। टीबी,अस्थमा व एलर्जी के मरीजों को इससे बचने की जरूरत है।
110 डेसीबल वाले पटाखे हानिकारक
कान, नाक और गला (ईएनटी) रोगों के माहिर डॉ. संजीव शर्मा कहते हैं कि कम आवाज वाले पटाखे कानों के लिए सुरक्षित माने मानते हैं। 110 डेसीबल वाले पटाखे कान के पर्दे के लिए नुकसानदायक हैं। दिवाली के बाद एक सप्ताह के भीतर ओपीडी में 4-5 मरीज आ जाते हैं।
सिविल में बर्न वार्ड तैयार, डॉक्टर रहेंगे सतर्क
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बग्गा ने बताया कि जिले व सिविल अस्पताल के तमाम एसएमओ के साथ बैठक कर उन्हें दिवाली के दिन अलर्ट रहने को कहा गया है। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सिविल अस्पताल में बर्न वार्ड को तैयार रखने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा इमरजेंसी में झुलसे मरीजों के लिए दवाइयों, क्रीमों व ग्लूकोज का पर्याप्त स्टॉक है। स्पेशलिस्ट डाक्टरों को सतर्क रहने की हिदायतें दी गई हैं। जिले के सभी पीएचसी व सीएचसी में इमरजेंसी सेवाएं सुचारू ढंग से चलाई जाएंगी।
पटाखे चलाते समय इन बातों का रखें ध्यान
- पटाखा हाथ में पकड़ कर न जलाएं।
- जलाने के बाद अगर पटाखा न जले, तो तुरंत यह देखने की कोशिश न करें कि वह क्यों नहीं जला।
- पटाखों के भंडार को पटाखे जलाने के स्थान के पास न रखें।
- छोटे बच्चों को स्वयं पटाखे चलाने को न दें।
- पटाखों को कभी भी जेब में न रखें।
- एक साथ कई पटाखों को जलाने की कोशिश न करें।
- पटाखों पर झुककर आग न लगाएं
- पटाखों को कभी भी टीन के डिब्बे या कांच की बोतल में रखकर न जलाएं।
यह करें
- मोमबत्ती द्वारा ही पटाखों को उचित दूरी पर रखकर जलाएं।
- पानी की 2-3 बाल्टियां पटाखे जलाने के स्थान के पास रखें।
- पटाखे चलाते समय केवल सूती वस्त्र ही पहनें।
- रॉकेट को किसी पेड़ के नीचे या किसी अवरोध के पास न जलाएं।
- तेज आवाज वाले पटाखे जलाते समय कान में रुई डालनी चाहिए।
जलने पर बर्न यूनिट वाले अस्पताल
- बाठ अस्पताल, डॉ. जेएस बाठ
- पसरीचा अस्पताल बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी सेंटर, डॉ. पुनीत पसरीचा
- पिम्स
- सिविल अस्पताल इमरजेंसी वार्ड
- इमरजेंसी में 100 नंबर पर डायल करे।