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बापू की शिक्षाओं का संदेश देता है सतलुज का ये किनारा, राष्ट्रपिता से यूं है जुड़ाव Jalandhar News

गांधी जी कुछ अस्थियां फिल्लौर के नजदीक सतलुज नदी में प्रवाहित की गई थीं। यहां उनकी याद में स्मारक बनाया गया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 12:33 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 05:04 PM (IST)
बापू की शिक्षाओं का संदेश देता है सतलुज का ये किनारा, राष्ट्रपिता से यूं है जुड़ाव Jalandhar News
बापू की शिक्षाओं का संदेश देता है सतलुज का ये किनारा, राष्ट्रपिता से यूं है जुड़ाव Jalandhar News

गोराया [जतिंदर कुमार]। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा के अनुसार उनकी चिता की राख हिमालय की पहाड़ियों और अस्थियां देश की प्रमुख नदियों में प्रवाहित की गईं। जहां-जहां उनकी अस्थियां जल प्रवाह की गई, वहां उनकी याद में स्मारक बनाए गए। कुछ अस्थियां फिल्लौर के नजदीक सतलुज नदी में प्रवाहित की गई थीं। बाद में उस स्थान पर उनकी याद में स्मारक भी बनवाया गया। सतलुज का यह किनारा आज भी उनकी शिक्षाओं का संदेश देता है।

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गांधी जी कभी जालंधर तो नहीं आए लेकिन देश की आजादी के लिए लंबा संघर्ष करने के बाद देश आजाद होने पर उनकी हत्या कर दी गई। गोराया के बुजुर्ग बिशना दास का कहना है कि यह क्षेत्र के लिए सम्मान की बात है कि फिल्लौर में महात्मा की अस्थियां विसर्जित कर उनकी याद में यहां स्मारक बनाया गया। जहां से हमेशा सत्य और अहिंसा का संदेश मिलता है। उन्हें अफसोस है कि करीब दो दशक पहले तक यह स्मारक बेहतर हालत में था लेकिन धीरे धीरे इसकी हालत बिगड़ती गई। प्रशासन ने स्मारक के रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया। इस बारे में कई बार शिकायतें भी की गई परंतु नतीजे ढाक के तीन पात रहे।

गांधी स्मारक के सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकार को भी शिकायत भेजी गईं परंतु कोई सुधार नहीं हुआ। वह कहते हैं कि अब स्मारक की संभाल के लिए कोर्ट की शरण ली जाएगी और जनहित याचिका दायर की जाएगी।

अब नहीं लगता मेला

कुछ साल पहले तक यहां सवरेदय मेला लगता था। इस मेले में केन्द्र और राज्य सरकार के मंत्री तक शिरकत करते रहे हैं। परंतु अब इस मेले का आयोजन नहीं किया जाता।

टूट चुकी है स्मारक की चारदीवारी, आसपास हुए कब्जे

स्मारक की चारदीवारी टूट चुकी है और गेट भी वजूद खोने के कगार पर पहुंच चुका है। न केवल स्मारक खस्ता हालत में है, वहीं आसपास के क्षेत्र में अवैध कब्जे हो रहे हैं। गांधी जी के यह याद में बना स्मारक अपनी पहचान खो रहा है। 

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