कोरोना ने मुश्किल किया जीना, दशहरा से पहले ऑर्डर ना मिलने से पुतला बनाने वाले कारीगर परेशान
कोरोना वायरस ने दशहरा पर रावण कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले तैयार कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है।
जालंधर [शाम सहगल]। एक तरफ शहर के लोग कोरोना वायरस की दहशत में हैं तो दूसरी तरफ महामारी ने पुतला कारीगरों को आर्थिक मुश्किल में डाल दिया है। दशहरा पर्व आने वाला है पर इस बार उन्हें ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के कारण इस वर्ष आम लोगों और दशहरा कमेटियों में रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतले तैयार करवाने को लेकर कम ही जोश दिख रहा है। उम्मीद से बेहद कम ऑर्डर मिलने से इन पुतला कारीगरों के लिए रोजी-रोटी का इंतजाम करना दूभर हो गया है।
दशहरा से दो महीने पहले ही शुरू कर देते थे तैयारी
जेल रोड पर लंबे समय से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार करने वाले कारीगर संजीवन लाल बताते हैं कि यह दूसरा सीजन है जब कारोबार भारी मंदी के दौर से गुजर रहा है। अमृतसर में रेलवे लाइनों के नजदीक दशहरा समारोह के दौरान हुई घटना के बाद पिछले वर्ष दशहरा मनाने वाली संस्थाओं को मंजूरी देने में भारी दिक्कत हुई थी। इसका असर कारोबार पर पड़ा था। इस बार तो संस्थाओं के लाख प्रयास के बाद भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। इस कारण उनके लिए परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो चुका है। सरकार को इस काम में जुटे हुए कारीगरों को राहत देने की घोषणा करनी चाहिए।
नहीं आए बाहर से कारीगर, लोकल भी बेरोजगार
पिछली तीन पीढ़ियों से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार करने वाले जेल रोड के निवासी राहुल बताते हैं कि इस बार कोरोना वायरस महामारी के चलते बाहर से कारीगर यहां नहीं आए हैं। लोकल कारीगर भी बेरोजगार हो गए हैं। सामान्य दिनों में नकोदर, शाहपुर, सुल्तानपुर लोधी, पठानकोट, जम्मू और लेह लद्दाख तक से पुतलों के ऑर्डर तीन महीने पहले ही आ जाते थे। दशहरे से दो-ढाई महीने पहले ही कारीगर इन्हें तैयार करने में भी जुट जाते। इस बार कोरोना ने सारा कारोबार चौपट कर दिया है। फिलहाल उन्हें आशा की किरण नजर नहीं आ रही है।
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