कुत्ता काटने पर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाना जरूरी: सिविल सर्जन
डा. चावला ने कहा कि रेबिज से बचाव करना संभव है। कुत्ते के काटने के बाद समय पर टीका लगवाना है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी की हिदायतों का पालन करते हुए राष्ट्रीय रेबिज कंट्रोल प्रोग्राम अधीन जानकारी देते सिविल सर्जन डा. गुरिदर कौर चावला ने 'विश्व एंटी रेबिज दिवस' के विषय पर जानकारी दी। सोमवार को उन्होंने बताय़ा कि रेबिज बीमारी की खोज करने वाले फ्रांस के मशहूर वैज्ञानी लुई पाशचर का देहांत सन1986 में हुआ था। इसलिए यह दिन 'विश्व एंटी रेबिज दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारी बारे लोगों को जागरूक करना है। डॉ. चावला ने कहा कि रेबिज से बचाव करना संभव है। कुत्ते के काटने के बाद समय पर टीका लगवाना है। कुत्ते के काटने को अनदेखा न करें, क्योंकि यह जानलेवा साबित हो सकता है। जब कुत्ता काटे, उस समय तुरन्त डाक्टरी इलाज करवाना चाहिए। रेबिज सौ फीसदी घातक रोग है लेकिन इससे आसानी से बचाव किया जा सकता है। रेबिज से बचाव के लिए कुत्ते द्वारा काटे जाने की हालत में जख्म को जल्दी से जल्दे चलते पानी व साबुन सो धो लेना चाहिए व बिना किसी देरी से डाक्टर के साथ रेबिज के इलाज के लिए संपर्क करना चाहिए। डा. चावला ने कहा कि रेबिज के लक्षणों बारे बताया कि यदि हलका कुत्ते काट ले तो बेहोशी, बुखार, गले का खराब होना, भूख का कम लगना, तेज दर्द, फोड़े होने, चमक व ऊंची आवाज बर्दाश्त न होना, खाद्य पदार्थ निगलने में मुश्किल होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। हलका से व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। कुत्ते के काटे जाने पर इलाज के लिए टीके सरकारी जिला अस्पताल, सब डिवीजनल अस्पतालों व कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों में मुफ्त लगाए जाते हैं।