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अमृतसर में नई वार्डबंदी पर सवाल, आनन-फानन में किया जा रहा सर्वे बना निगम कर्मचारियों के गले की फांस

निगम चुनाव के मद्देनजर आनन-फानन में जमा हुई सर्वे की रिपोर्ट में कई खामियां सामने आई हैं। वार्डबंदी का डोर-टू-डोर सर्वे साल 2015 के सिटी मैप के आधार पर किया गया है। इसमें 301 कर्मचारियों को सात हजार ब्लाक मार्किंग करके दिए गए थे।

By JagranEdited By: Pankaj DwivediPublished: Sat, 24 Sep 2022 10:59 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 10:59 AM (IST)
अमृतसर में नई वार्डबंदी पर सवाल, आनन-फानन में किया जा रहा सर्वे बना निगम कर्मचारियों के गले की फांस
अमृतसर में नई वार्डबंदी का सर्वे किया जा रहा है।

जासं, अमृतसर। नगर निगम के कर्मचारियों की ओर से शहर की नई वार्डबंदी का सर्वे आनन-फानन में किया किया जा रहा है। वे इसे अब तक कर्मी पूरा नहीं कर पाए हैं और यह उनके गले की फांस बन चुका है। इस सर्वे में कई खामियां भी उजागर हुई हैं।

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निगम के संयुक्त कमिश्नर (जेसी) हरदीप सिंह ने अब तो कर्मियों को दो टूक कह दिया है कि 25 सितंबर तक सर्वे का काम मुकम्मल करें, नहीं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें। निगम चुनाव के मद्देनजर आनन-फानन में जमा हुई सर्वे की रिपोर्ट में कई खामियां सामने आई हैं। वार्डबंदी का डोर-टू-डोर सर्वे साल 2015 के सिटी मैप के आधार पर किया गया है। इसमें 301 कर्मचारियों को सात हजार ब्लाक मार्किंग करके दिए गए थे।

वहीं, साल 2015 से लेकर अब तक शहर में करीब 150 नई कालोनियां भी बनकर तैयार हो चुकी हैं, जिसका नक्शे में जिक्र तक नहीं किया गया। वहीं सर्वे में लगाए गए बेलदारों के साथ-साथ अन्य फील्ड स्टाफ में कई कर्मचारी ऐसे थे जो निरक्षर ही थे। वार्डबंदी को लेकर किए गए खानापूर्ति के सर्वे के डाटे में अंतर को लेकर कई खामियां सामने आ रही हैं। इसमें साल 2015 के नक्शे के आधार पर सर्वे करना बड़ी खामी रही है। साल 2015 से आज तक शहर में 150 कालोनियां भी तैयार हो चुकी थीं, जिनका नक्शे में जिक्र ही नहीं था।

कर्मचारियों को यह भी कहा गया था कि डोर-टू-डोर सर्वे के चलते वार्ड में यदि कोई नई गली सामने आती है, तो उस गली को नक्शे में मार्क करवाया जाए, लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है। यदि वार्डबंदी का सर्वे शहर की आबादी के हिसाब से सही नहीं पाया गया, तो निगम के कर्मचारियों पर गाज गिरना लगभग तय है।

नई कालोनियां जिन्हें सर्वेक्षण में गिना ही नहीं नगर निगम की हदबंदी की बात करें, तो पिछले सात साल में छेहरटा-नारायणगढ़, कोट खालसा, लोहारका रोड में एक्सटेंशन, वेरका वल्ला, भराड़ीवाल, भाई मंझ साहब रोड, तरनतारन रोड, बटाला रोड, इस्लामाबाद, झब्बाल रोड, अजनाला रोड, वेरका-बटाला रोड, गुरु की वडाली, मजीठा रोड, गुजरपुरा, मूलेचक्क, तुंगपाई, बोहड़ी साहब रोड, सुल्तानविंड, जंडपीर, घनुपुर काले, ढप्पई रोड और फताहपुर इलाके में कालोनियां तैयार हुई हैं, परंतु इन इलाकों को सर्वे में शामिल ही नहीं किया गया। ऐसे में जिस उद्देश्य से यह नई वार्डबंदी करवाई जा रही है, वह सही ढंग से पूरी नहीं हो पाएगी।

2011 की मतगणना से 3.18 लाख कम दिखाई आबादी नगर निगम की टीमों ने वार्ड बंदी सर्वे में 8.13 लाख की आबादी कवर करने की रिपोर्ट दी है। साल 2011 में ग्यारह साल पहले हुई जनगणना में 11.32 लाख की आबादी का आधा सामने आया था। इन 11 सालों में शहरी आबादी 12 से 15 प्रतिशत बढ़ी है जबकि सर्वे रिपोर्ट में पिछली मतगणना की तुलना में 3.18 लाख की आबादी कम बताई गई है।

इसी के साथ ही साथ मतगणना साल 2011 की तुलना में वार्डबंदी सर्वे में 62 हजार 133 घर भी कम बताए गए हैं। यही नहीं मतगणना साल 2011 की तुलना में अनूसूचित जाति (एससी) आबादी भी कम बताई गई है जबकि इस सर्वे में 7000 ब्लाक मार्किंग किए गए थे।


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