पंजाब के 'ग्रीन मैन' की अद्भुत मुहिम, शुरू किया पौधों का अस्पताल, इलाज के लिए घर पहुंचती है एंबुलेंस
क्या आपने सुना है कि पौधों का भी अस्पताल होता है। नहीं ना... लेकिन पंजाब के अमृतसर में पौधों का भी अस्पताल है और एंबुलेंस भी। इनकम टैक्स कमिश्नर रोहित मेहरा ने पौधों को बचाने के लिए अद्भुत मुहिम शुरू की है।
अमृतसर [हरीश शर्मा]। कृषि व वानिकी से संबंधित कालेजों व विश्वविद्यालयों में तो पौधों का इलाज आम बात है, लेकिन पौधों के प्राइवेट अस्पताल के बारे में आपने शायद ही सुना हो। मिनी फारेस्ट व वर्टिकल गार्डन्स लगाने की वजह से ग्रीम मैन के नाम से जाने जाते अमृतसर के इनकम टैक्स कमिश्नर रोहित मेहरा ने अपने स्तर पर अब यह नया प्रयास किया है। मजीठा रोड पर उन्होंने पौधों का अस्पताल खोला है।
रोहित मेहरा के साथ 15 विशेषज्ञों की टीम बिना किसी शुल्क के काम कर रही है। इसमें गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (अमृतसर), पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (लुधियाना) और पंजाब यूनिवर्सिटी (चंडीगढ़) के वैज्ञानिक शामिल हैं। अस्पताल में दवाइयां तैयार करने के लिए भी विशेषज्ञों की टीम है। कुछ लोग अस्पताल पहुंचकर जानकारी ले जाते हैं तो कुछ फोन कर टीम को घर बुलाते हैं। लोगों के घरों मेें एंबुलेंस पहुंचती है पौधों के इलाज के लिए।
ई-रिक्शा को पौधों की एंबुलेंस का रूप दिया गया है। इस सेवा को शुरू किए अभी एक माह ही हुआ है। इसमें पौधों की बीमारियों से जुड़ी जरूरी दवाइयां व कीटनाशक आदि हैं। एक टीम लोगों के घर-घर जाकर पौधों का इलाज करती है। लोगों की सुविधा के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 8968339411 भी जारी किया गया है। इस पर लोग उन्हेंं फोन करते हैं और पौधों की बीमारी व इलाज की जानकारी हासिल करते हैं। रोहित नौकरी के बावजूद इस काम के लिए काफी समय निकाल लेते हैं और इस पर आने वाला पूरा खर्च खुद ही वहन करते हैं। उनके बहुत से सहयोगी इसमें उनकी मदद करते हैं। पौधों को एक जगह से उखाड़ कर दूसरी जगह लगाने में भी टीम मदद करती है।
रोहित मेहरा कहते हैं, 'इंसान को अगर कोई बीमारी होती है तो वह खुद चलकर अस्पताल जा सकता है, लेकिन पौधे ऐसा नहीं कर सकते। हमें जहां से भी सूचना मिलती है, हम एंबुलेंस लेकर मौके पर पहुंच जाते हैं। हमारी कोशिश होती है कि पेड़ों को को ज्यादा से ज्यादा समय तक जिंदा रखा जाए।' उन्होंने बताया कि मेरी सास का पिछले साल 30 जनवरी को देहांत हो गया। उन्हें पौधों से बहुत प्यार था, इसलिए अस्पताल का नाम उनके नाम पर श्रीमती पुष्पा पौध व प्लांट अस्पताल एवं डिस्पेंसरी रखा है।
एक महीने में 250 से ज्यादा जगहों पर भेजी एंबुलेंस
अभी तक 250 से ज्यादा जगहों पर एंबुलेंस भेजी जा चुकी है। विशेषज्ञों की टीम में शामिल साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड की वैज्ञानिक डा. ईशा कोहली कहती हैं कि रोहित मेहरा के प्रयास के अच्छे नतीजे आ रहे हैं। पेड़ भी हमारी तरह सांस लेते हैं। उन्हेंं भी तकलीफ होती है, लेकिन उनका दर्द समझना बहुत जरूरी है। इसलिए मैं इस मिशन में जुड़ी हूं। हमारी पूरी टीम सेवा भाव से काम कर रही है।
गिरे हुए पेड़ को दोबारा से खड़ा किया
अजनाला रोड के रहने वाले अमित त्रिखा ने बताया कि ग्रीन सिटी गली नंबर तीन के बाहर कुछ दिन पहले अशोक का पेड़ गिर गया था, जो करीब 5-6 फीट ऊंचा था। पहले तो मैंने खुद पेड़ को खड़ा करने की कोशिश की। बाद में हेल्पलाइन से एंबुलेंस बुलाई। करीब दो घंटे के बाद रोहित मेहरा की टीम पहुंच गई। उन्होंने बड़े अच्छे तरीके से रस्सी बांध कर पेड़ को खड़ा किया। इसमें मिट्टी व खाद भी डाली। एक अन्य पौधे को कीड़ा खा गया था। टीम ने उस पर पर दवाई का छिड़काव किया और इसे ठीक कर दिया।
यूं ही नहीं कहलाए जाते ग्रीन मैन
रोहित मेहरा यूं ही ग्रीन मैन के नाम से मशहूर नहीं हैं। दरअसल वे इससे पूर्व देशभर में करीब 80 मिनी फॉरेस्ट तैयार कर चुके हैं। इनमें से 5 मिनी फॉरेस्ट तो अमृतसर जिले में ही हैं। इन छोटे जंगलों की मदद से वह शहरों की हवा को शुद्ध करने में बड़ा योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा वह पंजाब व अन्य राज्यों में 100 से ज्यादा वर्टिकल गार्डन तैयार कर चुके हैं। पंजाब में इस कांसेप्ट की शुरुआत करने का श्रेय भी रोहित मेहरा को ही जाता है।वह कहते हैं, 'मुझे पौधों से बहुत प्यार है। मैं चाहता हूं कि धरती पर जो भी पौधा लगे, पूरी तरह फले-फूले। मरे नहीं।'