आतंकवाद व प्राकृतिक आपदा का नहीं भय, मन में बस भोले बाबा की जय
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की दहशत, बाढ़ व तूफान के कारण बार-बार रोकी जा रही श्री अमरनाथ यात्रा। बावजूद इसके शिव भक्तों में उत्साह कम नहीं हुआ है।
शाम सहगल, जालंधर
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की दहशत, बाढ़ व तूफान के कारण बार-बार रोकी जा रही श्री अमरनाथ यात्रा। बावजूद इसके शिव भक्तों में उत्साह कम नहीं हुआ है। देश भर के साथ ही जिले से श्री अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के रवाना होने का सिलसिला जारी है। 28 जून से शुरू हुई यात्रा के क्रम में अभी तक ही देश भर से 2.30 लाख श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन कर चुके हैं जबकि पिछले वर्ष कुल 2.50 लाख श्रद्धालुओं ने ही बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे। यात्रा अभी 26 अगस्त तक चलनी है। इसके चलते श्रद्धालुओं के संभावित आगमन का अंदाजा लगाया जा सकता है। शिव भक्तों को नहीं कोई भय
'न कोई डर न कोई भय, हे शिव शंकर आपकी सदा ही जय' यह स्लोगन जय शिव शक्ति सेवा मंडल नूरमहल ने इस बार की भगवान अमरनाथ यात्रा को लेकर दिया था। इसका मुख्य उद्देश्य शिव भक्तों को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दहशत से भयभीत न होकर तथा बिना किसी संकोच के यात्रा करने को प्रेरित करना था। संस्था के प्रधान अशोक संधू तथा उनकी पत्नी बबीता संधू द्वारा इस भय को खत्म करने के प्रयासों का ही प्रमाण था कि संस्था की इस 13वीं यात्रा में राज्य भर से 138 श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यात्रा संपन्न करके वापस लौटे अशोक संधू बताते हैं कि यह पहला अवसर है जब यात्रा पूरी करने में दस दिन लगे। जबकि, इससे पूर्व सात दिनों में यात्रा पूरी कर लेते थे।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं में आतंकवाद से अधिक डर जेएंडके पुलिस का है। कारण, बारिश के दिनों में रास्ते में कीचड़ अधिक था, जिसके चलते घोड़े वालों ने तय करने के बाद भी अधिक वसूली की। वहीं, घोड़े वालों का व्यवहार बहुत खराब रहा। उपर से जेएंडके पुलिस उन्हें संरक्षण देती रही। श्रद्धालुओं की किसी भी शिकायत को पुलिस ने गंभीरता के साथ नहीं लिया। इसके अलावा बालटाल से लेकर संगमघाटी तक के 14 किलोमीटर तक के सफर में कोई फौजी तैनात नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि फिलि¨पस से उनके रिश्तेरा कुलवंत ¨सह डब, जीवन सीटक के अलावा मंडल से अमन सौंधी, कपिल धम्मी व बेटा विनकर संधू भी यात्रा में शामिल थे। पंचतरनी से धक्केशाही कर रोक रहे यात्रा, उत्साह बरकरार
हाल ही में श्री अमरनाथ यात्रा पूरी करके लौटे चीमा नगर के निवासी जतिंदर अरोड़ा बताते हैं कि हैलीकॉप्टर पंचतरनी पर लैंड करता है, जहां से गुफा का मात्र आधे घंटे का पैदल रास्ता है। लेकिन लोकल लोगों की धक्केशाही तथा पुलिस की मिलीभगत के चलते भक्तों को बाद दोपहर तीन बजे के बाद जाने नहीं दिया जाता। वहां पर बने टैंट में रहने को विवश किया जाता है, जहां पर प्रति यात्री के मुताबिक भारी वसूली की जाती है। उन्होंने कहा कि इस बार बारिश भी बाधा बनी। इस कारण तीन दिनों तक यात्रा रोकनी पड़ी, जिसके चलते श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। अगर यात्रा के मार्ग पर संस्थाओं द्वारा लंगर न लगाए जाएं तो यात्रा करना आम लोगों के बस से बाहर हो जाए। उन्होंने कहा कि उनके अलावा साथियों में ¨रकू, सरना, संजीव जोशी, प्रवीण चोपड़ा, जेके आदि भी यात्रा पर गए थे। नहीं है आतंकवाद का कोई भय
मखदूमपुरा निवासी रवि कन्नौजिया बताते हैं कि वे पिछले कई वर्षो से श्री अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें आतंकवाद की कभी कोई परवाह नहीं रही है। कारण, अब तो जम्मू-कश्मीर के लोग उनके साथ मैत्रिपूर्ण व्यवहार करते हैं। लिहाजा, बालटाल तथा गुफा में लगे निजी टैंट में जरूर मनमानी वसूली की जाती है। इसके अलावा श्रद्धालुओं को संस्थाओं द्वारा लगाए गए टैंट में नहीं रहने दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हर बार सरकार से अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा सेना के हवाले करने की मांग की जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि लोकल पुलिस बालटाल से पूर्व तथा श्रीनगर से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित मनीगांव में आम श्रद्धालुओं को रोककर केवल अपनी पहचान वालों को ही भेजते है। उन्होंने कहा उनके साथ लवली शर्मा, राज कुमार राजू, सुनील, सुधीर कुमार भी यात्रा पर जाते हैं।