शहर के सभी प्रमुख डंप कवर होंगे, सड़क पर लोगों को नजर नहीं आएगा कूड़ा
नगर निगम शहर की प्रमुख सड़कों पर ओपन में बने कूड़े के डंपों को कवर किया जाएगा। यह फैसला निगम ने लिया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
नगर निगम शहर की प्रमुख सड़कों पर ओपन में बने कूड़े के डंपों को पूरी तरह से कवर करेगा। जिस डंप पर बाउंड्री वाल की जा सकती है वहां पर बाउंड्री वाल होगी और जहां ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती वहां पर व्यू कटर लगाए जाएंगे, ताकि सड़कों से आने जाने वाले लोगों को कूड़ा न दिखाई दे। नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर हरचरण सिंह ने कहा कि इसके लिए आदेश दे दिए हैं और टेंडर प्रोसेस शुरू कर दिया गया है।
ज्वाइंट कमिश्नर ने बताया कि प्लाजा चौक, नकोदर रोड, टीवी सेंटर, फुटबाल चौक, माडल टाउन समेत सभी प्रमुख डंप कवर किए जाएंगे। स्वच्छ भारत मिशन के तहत भी इन डंपों को कवर करने के आदेश हैं, बावजूद शहर में करीब 50 डंप खुले में चल रहे हैं। खुले में बने डंप लोगों के बीच बीमारियां फैलाने का काम कर रहे हैं। दैनिक जागरण ने अपने अभियान में कूड़े के ओपन डंपों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है और डंपों के आसपास के कारोबारियों और निवासियों से बात की। सभी ने यह मांग की है कि डंप को या तो शिफ्ट किया जाए और अगर शिफ्ट करने में समय लगना है तो डंप को तब तक कवर कर दिया जाए। बिना मंजूरी बने डपों से बढ़ रही परेशानी
शहर में करीब 20 डंप नगर निगम की मंजूरी से बने हैं, लेकिन 30 के लगभग डंप बिना मंजूरी के ही बन गए हैं। बिना मंजूरी बने डंप बाहरी इलाकों में हैं। यहां नई कालोनियों विकसित हो गई हैं, लेकिन नगर निगम ने कूड़ा प्रबंधन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। ऐसे में लोगों ने खुली जगह पर ही कूड़ा फेंकना शुरू कर दिया और बिना मंजूरी ही कूड़े के डंप बन गए। कई इलाकों में लोगों के खाली प्लाटों में ही कूड़ा फेंका जा रहा है, जो सबसे बड़ी परेशानी है। डंप खत्म करने के हैं आदेश
स्वच्छ भारत मिशन के तहत डंपों को धीरे-धीरे खत्म करने का आदेश है। स्वच्छता सर्वे में भी रैंकिग तभी बढ़ेगी जब शहर में डंप खत्म होंगे। इसलिए निगम नए डंप नोटिफाइ नहीं कर रहा है। जहां नए डंप खुद भी खुद बन रहे उन्हें निगम अपनी सूची में नहीं ला रहा है। शहर में डंप खत्म करने में अभी समय लगेगा, क्योंकि घरों से कूड़ा उठा कर मेन वरियाणा डंप या जिस जगह पर पिट्स प्रोजेक्ट, प्रोसेसिग प्लांट लगाए जाने हैं वहां पहुंचाना होगा। ऐसा तभी संभव होगा जब हर इलाके में डस्टबिन वाले ई-रिक्शा उपलब्ध करवाए जाएंगे। निगम को करीब 700 ई-रिक्शा की जरूरत होगी। अभी करीब 50 ही उपलब्ध है, जबकि 100 नए खरीदे जा रहे हैं।