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रणजीत सागर हेलीकाप्‍टर हादसा: पायलट व को-पायलट की तलाश में जुटी सेना व नेवी के सहित एयरफोर्स की टीमें, 48 घंटे बाद भी नहीं सुराग

रणजीत सागर हेलीकाप्‍टर हादसा रणजीत सागर झील में गिरे सेना के ध्रुव हेलीकाप्‍टर के पायलट और को पायलट का 48 घंटे बीत जाने के बाद भी पता नहीं चल पाया है। दोनों की तलाश में सेना नौसेना और एयरफोर्स की टीमें जुटी हुई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 01:06 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 01:06 PM (IST)
रणजीत सागर हेलीकाप्‍टर हादसा:  पायलट व को-पायलट की तलाश में जुटी सेना व नेवी के सहित एयरफोर्स की टीमें, 48 घंटे बाद भी नहीं सुराग
हादसे के बाद रणजीत सागर झील में गिरे ध्रुव हेलीकाप्‍टर के पायलट व को-पायलट की तलाश में जुटी टीमें। (जागरण)

जुगियाल (पठानकोट) , कमल कृष्ण हैप्पी। मामून कैंट से उडान भरने वाले सेना के ध्रुव हेलीकाप्टर एएलएच मार्क-4 के दुर्घटनाग्रस्त होने के 48 घंटा बाद भी सही कारण पता नहीं चल पाया है। दोनों पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल एस बाठ और को पायलट कैप्टन जयंती जोशी की तलाश जारी है। सेना, नेवी और एयरफोर्स के 150 जवान इस अभियान में जुट गए हैं। उन्होंने करीब तीन किलोमीटर एरिया को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। पंजाब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को इस अभियान से दूर रखा गया है।

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स्थिति के सही आकलन के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के कुछ प्रमुख अधिकारियों को ही स्थल पर आने-जाने की छूट दी गई है। मुंबई से पहुंचे नेवी के पायलटों ने भी मोर्चा आज सुबह से संभाल लिया। करीब 12 गोताखोर वीरवार की सुबह 11:26 बजे अभियान में जुट गए। जल्द से जल्द दुर्घटना होने के कारणों व दोनों अधिकारियों को ढूंढने के लिए करीब 12 टीमें बनाई गई है। प्रत्येक टीम में पांच से छह जवान हैं।

रणजीत सागर झील में सर्च आपरेशन जोर- शोर से चल रहा है।

अन्‍य जवानों को झील के आस-पास तैनात किया गया है ताकि पता चलने पर स्थिति को नियंत्रण में किया जा सके। नेवी से स्पेशल बोट को भी मंगवाया गया है। आधुनिक यंत्र से लैस नेवी और एयरफोर्स के जवान मुहिम में जुटे हुए हैं। सुबह 11 बजे तक सेना के सभी अधिकारी योजना बनाने में जुटे रहे। अधिकारी दुर्घटना होना का अध्यन कर रहे हैं।

इन एंगल से चल रहा है सर्च आपरेशन

जूते और बैग मिलना- जूते और बैग दोनों पायलटों के बैग मिलने से अधिकारी यह समझ रहे हैं कि दुर्घटना होने का दोनों को पहले ही अभास हो गया था। इसलिए, वह अपने जूते और बैग पहले फैंक दिए होंगे। उसके बाद यह कूदे होंगे। इससे यह क्यास लगाया जा रहा है कि यह दोनो झील के अंदर ही है।

जंगल की ओर गिर गए हों

सेना के अधिकारियों का कहना है कि हेलीकाप्टर के क्रेश होने से पहले हे सकता है पायलट और को पायलट ने छलांग लगा दी हो और वे झील के किनारे घने जंगल में न गिर गए हों। ऐसे में वह चोट ग्रस्त हो सकते हैं जिनका पता लगाने के लिए जंगल में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। आज सुबह भी जगल में जवानों को विशेष तौर पर भेजा गया है।

झील में धंसे हो सकते हैं

झील प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि झील गहरी होने के कारण तीन से चार फीट तक सिल्ट जमा हो चुका है। ऐसे में यह लोग किसी सिल्ट के नीचे न चले गए हों इसे देखते हुए विशेष तौर पर गोताखोर स्पेशल दूरबीन , रिमोटेड कैमरे के साथ झील में भेजा जा रहा है।

बहाव में आगे न निकल गए हों

झील प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आरसडी झील की लंबाई 87.2 व चौड़ाई 2.7 किलोमीटर है। यह एक बहुउद्देशीय बांध है जिससे बिजली उत्पादन के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी किसानों को पानी दिया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि झील के उपरी भाग को देखकर लगता है कि पानी रुका हुआ है परंतु यह नीचे से तेजी से बहता है। ऐसे में वह लोग बह कर कहीं आगे न निकल गए हों।

ब्लैक बाक्स ढूंढने के लिए बनाई है टीम

अब सेना के जवानों ने हेलीकाप्टर के ब्लैक बाक्स ढूंढने पर भी विशेष जोर दे रही है। इसी से मामले की कड़ी जुड़ेगी। दुघटनाग्रस्त होने से पहले क्या हुआ था का भी पता चलेगा। इसके लिए विशेष तौर पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।


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