130 रुपये के डेथ सर्टिफिकेट के लिए बोली एजेंट- डेढ़ हजार लग्गणगे, घर भिजवा देयांगे Jalandhar News
डीसी ऑफिस सेवा केंद्र के बाहर जिस डेथ सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए सिर्फ 130 रुपये खर्च होते हैं उसके लिए एजेंट लोगों से डेढ़ हजार रुपये वसूल रहे हैं।
जालंधर [मनीष शर्मा]। जिस डेथ सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए सिर्फ 130 रुपये खर्च होते हैं, उसके लिए एजेंट लोगों से डेढ़ हजार रुपये वसूल रहे हैं। वह भी डिप्टी कमिश्नर समेत जिले के तमाम सीनियर अधिकारियों के दफ्तर वाले जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स में। हद तो यह है कि सांठगांठ से एजेंटों का दबदबा इतना बढ़ चुका है कि उन्होंने सेवा केंद्र के बाहर कुर्सी डालकर पक्का अड्डा तक बना लिया है। सेवा केंद्र के अंदर बैठे अफसर भी इस लूट को जानते हैं और चार महीने पहले अफसरों को बता चुके हैं, फिर भी कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं।
रविवार को डीसी वरिंदर कुमार शर्मा ने ऑर्डर किए कि एसडीएम एजेंटों को हटाएंगे लेकिन सोमवार को ही सेवा केंद्र के बाहर इस ऑर्डर का 'जनाजा' निकलता दिखा। एजेंट सुबह ही यहां कुर्सियों पर लाइन से बैठ जाते हैं और हर आने-जाने वाले को रोककर वसूली करते हैं। हद तो यह कि एजेंट अफसरों के आदेशों को तक अब गंभीरता से नहीं लेते। नतीजा, सेवा केंद्र में आने वाले जरूरतमंद एजेंटों की लूट का शिकार हो रहे हैं। डीसी के आदेश के बाद सोमवार को 'दैनिक जागरण' सेवा केंद्रों में एजेंटों के मकड़जाल की जांच के लिए पहुंचा ..। देखिए.. किस कदर होती है सौदेबाजी
फारम न देवे तां मेरा नाम लै लेणा
पुलिस कमिश्नर दफ्तर से सेवा केंद्र की तरफ जाते ही रास्ते में महिला एजेंट फाइलों के ढ़ेर के साथ मिली। हमने उसे कहा कि डेथ सर्टिफिकेट बनवाना है। थोड़ी पूछताछ के बाद उसने कहा कि अंदर से फार्म ले आओ, भर मैं दूंगी। जब हमने कहा कि इस वक्त फार्म मिल जाएगा तो वो बोली. फारम न दवे तां मेरा नाम लै लेणा' हमने नाम पूछा तो वो महिला एजेंट बोली 'कह दैणा, जेहड़ी मैडम सबतों पेहलां बैठी, उसने भेजिया'।
पैसो देयो ते कम्म कराओ
उसे छोड़ हम आगे बढ़े तो वो एजेंट भांप चुकी थी कि पीछे वाली से इनकी सेटिंग नहीं हुई। हमने बताया कि डेथ सर्टिफिकेट बनवाना है। उसने कहा कि फार्म मेरे पास है। भरकर दे देती हूं। 50 रुपये लगेंगे। फिर अंदर जमा करा देना। हमने हां कहा तो बोली कि लेकिन परेशानी की हमारी कोई गारंटी नहीं। हमने कहा कि अगर हमें परेशान न होना हो? तो महिला एजेंट तुरंत खुश होते हुए बोली.. कम्म करा देयांगे, डेढ़ हजार लग्गणगे, डेथ सर्टिफिकेट घर भिजवा देयांगे। हमने पूछा कि कैसे? अंदर कोई सेटिंग है?, इस पर वो बोली कि 'तुसी कम्म होण तों मतलब रख्खो, बाकी गल्लां न पुच्छो, पैसे देयो ते कम्म कराओ'। उसके रेट ज्यादा बताने का बहाना बनाकर हम आगे बढ़ गए।
विजिलेंस वाले लगदे
अब हम अगली महिला एजेंट के पास पहुंचे और पूछने पर डेथ सर्टिफिकेट की बात कही। उसने कहा कि 40 रुपये में फॉर्म भर देंगे और बाकी काम अंदर कराना होगा। हमने उसे कहा कि क्या वो भी करवाकर दे सकती है?। इस पर उसको शक हुआ और पूछने लगी कि हर एजेंट से पूछ रहे हो, विजिलेंस वाले लग रहे। हमने भरोसा दिलाया कि विजिलेंस वाले नहीं, काम ही कराना है। पिछली वाली रेट ज्यादा बता रही थी तो इसलिए आए। उसने कहा कि फॉर्म ले आओ, हमने अंदर टोकन न मिलने की बात कही तो उसने दोपहर बाद आने को कह दिया।
ऑर्डर देणा अफसरां दा कम्म, मनणा न मनणा साड्डा
यहां से हम लौटने लगे तो दूसरों के पास काम न बनने की बात सोच एक एजेंट ने हमें साइड में बुलाया। उसने कहा कि वो काम करवा देगा। बस ज्यादा पूछताछ मत करना। हमने उसे कहा कि सब काम कराने की बात कह रहे हैं लेकिन हमने आज ही अखबार में पढ़ा कि डिप्टी कमिश्नर ने ऑर्डर किए हैं कि कोई एजेंट यहां नहीं रहेगा। ऐसे में पैसे लेकर भाग गए तो एजेंट बड़े रौब से बोला 'ऑर्डर देणा अफसरां दा कम्म, मनणा न मनणा साड्डा, तुहानूं फिकर करण दी कोई लोड नहीं'।
एजेंटों को भगाने के लिए तैनात होगी पुलिस : डीसी
डिप्टी कमिश्नर वरिंदर शर्मा ने कहा कि उनके ध्यान में है कि इस सेवा केंद्र के बाहर पूरे दिन बड़ी संख्या में एजेंट बैठे रहते हैं। जो वहां आने वालों से मोटी रकम वसूलते हैं जबकि सेवा केंद्र में सरकार ने हेल्पडेस्क काउंटर बनाया है। इस बारे में सोमवार को ही पुलिस कमिश्नर को लेटर लिख दिया गया है कि इन एजेंटों को वहां से तुरंत हटाया जाए ताकि लोगों को कोई दिक्कत न हो।