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ढाई साल जालंधर में अपराधियों का खौफ बने हरसिमरत लुधियाना में संभालेंगे कमान

ढाई साल पहले एसीपी सेंट्रल दलबीर सिंह बुट्टर की रिटायरमेंट के बाद एसीपी हरसिमरत सिंह से एसीपी सेंट्रल की कुर्सी संभाली।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 07:45 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 07:45 AM (IST)
ढाई साल जालंधर में अपराधियों का खौफ बने हरसिमरत लुधियाना में संभालेंगे कमान
ढाई साल जालंधर में अपराधियों का खौफ बने हरसिमरत लुधियाना में संभालेंगे कमान

सुक्रांत, जालंधर

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ढाई साल पहले एसीपी सेंट्रल दलबीर सिंह बुट्टर की रिटायरमेंट के बाद एसीपी हरसिमरत सिंह से एसीपी सेंट्रल की कुर्सी संभाली। इसके बाद से अपराधियों का खौफ बने हरसिमरत सिंह छेत्रा अब लुधियाना में अपराधियों से लोहा लेने के लिए तैयार हैं। पीपीएस हरसिमरत सिंह का तबादला लुधियाना में हो गया है और वहां पर भी वो एसीपी सेंट्रल ही बनाए गए हैं। जालंधर में रहते हुए एसीपी हरसिमरत सिंह अपराध करने वालों के लिए डर का पर्याय बने रहे हैं। उन्होंने ढाई साल में सैकड़ों छीना झपटी करने वालों को गिरफ्तार किया है और चोरी की दर्जनों वारदातों को हल किया है। वहीं कई बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे भी पहुंचाया है। बीते दिनों रामामंडी में हैप्पी संधू हत्याकांड को कुछ ही दिनों में सुलझा कर सारे अपराधी गिरफ्तार कर लिए थे। एसीपी हरसिमरत सिंह ने बताया कि अपराध होने के बाद उसको हल करने के लिए पूरा जोर लगाते हैं। इसी का नतीजा है कि उनके अधीन आने वाले थानों में अपराध होने की संख्या के साथ उनके हल होने की संख्या भी लगभग उतनी ही है। उन्होंने बताया कि ढाई साल जालंधर के लोगों से बहुत प्यार मिला और साथ भी मिला। डिप्टी हत्याकांड को चुनौती मानते हुए उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड को भी जल्द ही हल करने वाले थे और काफी अहम सुराग हाथ लग चुके थे लेकिन विभाग ने उनकी ड्यूटी लुधियाना में लगा दी। उनका कहा था कि इसके बावजूद वो इस हत्याकांड को हल करवाने में जालंधर पुलिस की पूरी मदद करेंगे।

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कोरोना में लोगों के लिए बने थे सहारा

कोरोना काल में एसीपी हरसिमरत सिंह छेत्रा दिन रात लोगों की सुरक्षा के लिए सड़कों पर ही घूमते रहे और सैकड़ों लोगों के लिए सहारा बने थे। लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ एसीपी हरसिमरत सिंह ने गरीब लोगों की मदद भी की और गरीब लोगों के घरों में लंगर, राशन खुद पहुंचाया। 22 मार्च से राज्य में क‌र्फ्यू लागू हुआ था और तभी से शहर के लोगों की सुरक्षा में एसीपी हरसिमरत सिंह तैनात हो गए थे। कोरोना काल में अपनी ड्यूटी को पहल के आधार पर लेने वाले हरसिमरत सिंह को घर से बुलाया गया तो उनका कहना था कि मेरा बड़ा परिवार यानि शहर के लोग, पहले, छोटा परिवार बाद में है। एसीपी हरसिमरत सिंह ने कोरोना की जंग शुरू होने के बाद से अपने परिवार से तब तक नहीं मिले जब तक कि कोरोना का असर कम होने नहीं शुरु हुआ। इस दौरान उन्होंने करीब सात हजार परिवारों को राशन सप्लाई करवाया और पूरा दिन शहर के चौराहों पर अपने मुलाजिमों को प्रेरित करने के लिए खुद मौजूद रहे।

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सुरक्षा देने के साथ इंसानियत का फर्ज भी निभाया

कोरोना काल के दौरान एसीपी हरसिमरत सिंह ने लोगों को सुरक्षा देने के साथ साथ इंसानियत का फर्ज भी निभाया। दो अप्रैल 20 को वो भगवान वाल्मीकि चौक (ज्योति चौक) मौजूद थे। इस दौरान एक महिला अपने पति के साथ पैदल जा रही थी, जो गर्भवती थी। उसे तुरंत डॉक्टर की आवश्यकता थी, जिसके चलते उसका पति, जो गरीब परिवार से था, पैदल ही ले जा रहा था। ऐसे में एसीपी हरसिमरत ने उसे देखा तो तुरंत अपनी गाड़ी में बिठाया और ईएसआई अस्पताल में दाखिल करवाया। एसीपी हरसिमरत ने वहां पर डॉक्टरों से भी महिला का इलाज तुरंत शुरू करने और पैसे खुद से देने की बात कही। महिला और उसके पति ने इस मदद के लिए एसीपी हरसिमरत का आभार जताया। इसी तरह के और भी कई काम एसीपी हरसिमरत सिंह ने कोरोना काल के दौरान किए जिससे लोगों के दिलों में उनकी छाप लग गई है।

--सुक्रांत--

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