जालंधर में कई जगह Traffic Signal खराब, बुझा रहे परिवारों के चिराग Jalandhar News
ट्रैफिक सिग्नल पर लगे हुए टाइमर काम न करने से वाहन चालकों के लिए है अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि उन्हें कितनी देर तक चौक पर रुकना पड़ेगा।
जालंधर, जेएनएन। शहर में ट्रैफिक सिग्नल के ठीक से काम न करने के कारण कई घरों के चिराग बुझ रहे हैं। तीन साल में इनके कारण ही 95 परिवार अपनों को खो चुके हैं। इन सब के बावजूद न तो प्रशासन और न ही नगर निगम इस समस्या को हल करने के लिए संजीदा नजर आ रहा है।
शहर में 26 जगह ट्रैफिक लाइट्स लगी हैं। इनमें से अधिकतर के टाइमर खराब ही रहते हैं। टाइमर न होने की वजह से लोग जल्दबाजी में वाहन लेकर गुजरने लगते हैं और यही जल्दबाजी कई बार दूसरे के लिए ही नहीं बल्कि खुद वाहन चालक के लिए भारी पड़ जाती है। इसके अलावा ट्रैफिक सिग्नल खराब होने के कारण भी लोग कई बार हादसे का शिकार हो जाते हैं।
26 ट्रैफिक लाइट्स में से 24 को देख रही एक ही कंपनी
शहर में 26 जगह लगीं ट्रैफिक लाइट्स की मेनटनेंस के लिए तीन महीने पहले की नगर निगम ने ठेका एक कंपनी को दिया है। नई कंपनी के काम संभालने के बाद सिस्टम में सुधार किया लेकिन इसमें अभी काफी सुधार की गुंजाइश है। इससे पहले तो हालात काफी खराब थे और ज्यादातर लाइटें बंद रहती थीं। हालात तो यह थे कि निगम ऑफिस के एंट्री गेट पर कंपनी बाग चौक की लाइटें भी अक्सर बंद मिलती थीं। अब ट्रैफिक लाइट्स तो चल रही हैं लेकिन टाइमरों में गड़बड़ी दूर नहीं हो पा रही है।
तीन साल में सिटी में सड़क दुर्घटनाओं में गई 95 की जान
शहर में ट्रैफिक सिस्टम ठीक न होने से 93 लोगों को जन गंवानी पड़ रही है। इनमें सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन चालक और पैदल चलने वाले हैं। पैदल चलने वालों के लिए तो फुटपाथ तक नहीं हैं और लोगों को सड़कों पर वाहनों से बच कर चलना पड़ता है।
तीन साल में हुए हादसे
वाहन मौत
साइकिल 8
बस, ट्रक 0
कार, जीप और वैन 4
रिक्शा 2
कामर्शियल वाहन 1
अन्य 1
पैदल 35
थ्री व्हीलर 3
ट्रैक्टर ट्रॉली 3
दोपहिया वाहन 39
टाइमर खराब, वातावरण भी हो रहा प्रदूषित
शहर में लगी ट्रैफिक लाइटों में से ज्यादातर के टाइमर खराब है। जहां चलते भी हैं तो बीच-बीच में दगा दे जाते हैं। ट्रैफिक सिग्नल पर लगे हुए टाइमर काम न करने से वाहन चालकों के लिए है अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि उन्हें कितनी देर तक चौक पर रुकना पड़ेगा। अगर टाइमर लगे हों तो उसके हिसाब गाड़ी को बंद किया जाता है। अब चालक गाडिय़ां बंद न करने का रिस्क नहीं लेते जिससे पैट्रोल-डीजल ज्यादा खर्च होता है। इसी कारण चौकों के आसपास पाल्यूशन भी ज्यादा होता है।
नकोदर रोड की दो ट्रैफिक लाइट्स बंद
सिटी स्केप प्रोजेक्ट के तहत शहर में तीन जगह ट्रैफिक लाइटें लगाईं गई थी। बीएसएफ चौक की लाइटें तो निगम के ओएंडएम डिपार्टमेंट को दी जा चुकी हैं और उनकी मेनटनेंस की जा रही है लेकिन नकोदर रोड पर खालसा स्कूल के मोड़ पर और गुरु रविदास चौक के पास लगी लाइटें बंद पड़ी हैं। यह पहले शुरू कर दी गई थीं लेकिन अब फिर बंद हो गई हैं। जितने दिन ट्रैफिक सिग्नल चलते रहे उतने दिन तो ट्रैफिक सिस्टम भी ठीक रहा लेकिन अब फिर से जाम के हालात रहते हैं।
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