एसी और स्मार्टफोन से सूखने लगा बच्चों की आंखों का नीर, आधुनिक तकनीक सेहत के लिए अच्छी नहीं
एसी ने गर्मी को दूर भगाने और मोबाइल ने लोगों की दूरियों को कम किया है लेकिन दोनों ही लोगों की आंखों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं।
जासं, जालंधर : भौतिकवाद के युग में आधुनिक तकनीक ने लोगों को आराम परस्ती दी है वहीं सेहत के लिए नुकसानदायक भी साबित होने लगे हैं। एसी और स्मार्ट फोन तकरीबन हर घर में पहुंच चुका है। एसी ने गर्मी को दूर भगाने और मोबाइल ने लोगों की दूरियों को कम किया है लेकिन दोनों ही लोगों की आंखों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं। यह जानकारी एक होटल में ¨थद आई अस्पताल के डॉ. सौरभ मित्तल ने सेमिनार के दूसरे दिन दी।
¨थद आई अस्पताल और जालंधर कैटरेक्ट एंड रिफेरेक्टिव क्लब की ओर से आयोजित सेमिनार में उन्होंने बताया कि एसी में रहने वाले और स्मार्ट फोन का लगातार इस्तेमाल करने वाले लोगों खास कर बच्चों में ड्राई आंखें होने का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा है। पलक झपकने की दर कम होने से आंखों में तैयार होने वाले आंसूओं के तैयार होने कमी होने लगती है। इसकी वजह से आंखों में खुजली व सूखापन महसूस होने लगता है। आंखों की बीमारियों का इलाज करने वाले अस्पतालों में आने वाले मरीजों में से 75 फीसदी मरीज इसी बीमारी से जूझ रहे है। आंखें झपकने की दर एक मिनट में 25 है जो ऐसे लोगों में 16 से 20 तक पहुंच गई है। कंप्यूटर पर काम करने वालों व स्मार्टफोन पर गेम्स खेलने वाले बच्चों में यह दर 10 से 12 तक है।
गर्भवती महिलाओं व मधुमेह रोगियों को ज्यादा खतरा
¨थद आई अस्पताल के एमडी डॉ. जेएस ¨थद ने बताया कि हर साल की उम्र के बाद ड्राई आई होने के 10 फीसदी चांस बढ़ जाते है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं व मधुमेह रोगियों में ड्राई आई होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। उन्होंने कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों व स्मार्टफोन पर गेम्स खेलने वाले बच्चों को हर 20 मिनट के बाद आंखों को 20 सेकेंड आराम देने तथा 20 मीटर की दूरी पर देखने की सलाह दी। ये रहे मौजूद
सेमिनार में डॉ. संगीत मित्तल, डॉ. विकास मित्तल, डॉ. तरजनी दावे, डॉ. जेएस टीटीयाल, डॉ. कीर्ति ¨सह तथा विभिन्न राज्यों से आए डाक्टरों ने आंखों की बीमारियों के इलाज की आधुनिक तकनीक पर विचार व्यक्त किए। अंत में डॉ. जेएस ¨थद की फैको पल्टन तथा डॉ. जेएस टीटीयाल की लेसिक (लड़के) टीम में आधुनिक तकनीक से इलाज को लेकर कब्बडी मैच का आयोजन किया गया। इस दौरान दोनों टीमों ने 4-4 मिनट की 6-6 वीडियो पेश कर तकनीक पेश की। इस दौरान लेसिक लड़ाके की टीम को विजेता घोषित किया गया।