स्मार्ट स्कूल विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ बिजली करेंगे पैदा
नेहरू गार्डन स्कूल की गुरसिमरन का पांच साल पहले ऊर्जा मंत्री को एनर्जी कंजर्वेशन डे पर इंट्रेक्शन के दौरान स्कूलों में सौलर पैनल लगा बिजली बचाने का दिया आइडिया अब साकार होने लग पड़ा है।
अंकित शर्मा, जालंधर
नेहरू गार्डन स्कूल की गुरसिमरन का पांच साल पहले ऊर्जा मंत्री को एनर्जी कंजर्वेशन डे पर इंट्रेक्शन के दौरान स्कूलों में सौलर पैनल लगा बिजली बचाने का दिया आइडिया अब साकार होने लग पड़ा है। सूबे के 880 स्मार्ट स्कूलों में सौलर पैनल लगे लग पड़े हैं। इनमें जालंधर के 51 स्मार्ट स्कूलों में पांच-पांच किलोवाट के सौलर पैनल लगने का काम शुरू हो गया है। यानी कि स्मार्ट स्कूल विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ-साथ बिजली भी पैदा करेंगे। शिक्षा विभाग की तरफ से यूं तो बीते वर्ष ही स्कूलों को सौलर से रोशन करने की मुहिम शुरू कर दी थी, पर कोविड-19 के लाकडाउन की वजह से सभी तैयारियां धरी की धरी रह गई थीं। तब केवल जिले को दो स्कूलों में सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल नेहरू गार्डन और सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली में लगाया गया था, जिसमें से दो महीने पहले केवल लाडोवाली रोड स्कूल का सौलर पैनल एक्टिव हो पाया था। अब बाकी स्कूलों में भी सौलर पैनल पहुंच चुके हैं और वहां फिटिग का काम भी चलने लग पड़ा है। आने वाले 15 से 20 दिनों में सभी स्कूलों में पैनल की फीटिग का काम पूरा हो जाएगा। गौर हो कि पंजाब एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (पेडा) की तरफ से पंजाब क 880 स्कूलों में सौलर लगाए जाने हैं। इसके तहत ही पहले स्कूलों का सर्वे किया गया था। इसके तहत उन स्कूलों का पहले चरण में चयन किया गया था, जिन स्कूलों की छत पर धूप रहे। अर्थात पेड़ों से घिरी हुई स्कूल की छत न हो क्योंकि बिजली की पूर्ति के लिए सौलर का धूप में ही रहना जरूरी है।
दिल्ली की कंपनी की तरफ 25 साल तक की लाइफ के सौलर पैनल इंस्टाल किए जा रहे हैं। कंपनी की तरफ से ही पांच साल तक इन पैनल की देखभाल की जाएगी। बिजली के बिल का घटेगा बोझ,
सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 15 से 25 हजार रुपये का बिजली बिल आता है। यह बिल या तो किस्तों में जमा करवाया जाता है या फिर सरकार व शिक्षा विभाग की तरफ से ग्रांट जारी करने की निरंतर डिमांड रहती थी। ऐसे में एक स्कूल का बिजली का बिल दो महीने का 15 हजार ही मानें तो सालाना बिल 90 हजार बनता है। इस हिसाब से 50 स्कूलों का बिल 4.59 करोड़ रुपये बनता है। बिल देने के लिए फंड न होने की वजह से कनेक्शन कटने, फंड जुटाने की जद्दोजहद स्कूलों को करनी पड़ती थी। बरसात व आंधी के समय बिजली गुल होने पर अंधेरे में पढ़ाई करनी पड़ती थी। अब सौलर पैनल लगने से इन स्कूलों के 4.59 करोड़ रुपये बचेंगे। 15 हजार रुपये तक बिल आता था, अब तीन हजार आया
सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की प्रिसिपल सुनीता सहोता रंधावा कहती हैं कि उनके स्कूल का बिल 15 हजार रुपये तक पहुंच गया था। सौलर पैनल लगने के बाद अब वो बिल घट कर महज तीन हजार रुपये आया है। सौलर पैनल लगने का फायदा तो दिखने लग पड़ा है। बाकी आने वाले समय में स्कूलों को और बेहतर विभाग की तरफ से बनाने की योजनाएं चल रही हैं। सौलर पैनल लाकडाउन की वजह से एक्टिव नहीं हो पाया था
सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल नेहरू गार्डन की प्रिसिपल गुरिदरजीत कौर कहती हैं कि ये बेहद खुशी की बात है कि 2015 में उनके स्कूल की ही 12वीं कक्षा की छात्रा गुरसिमरन ने ऊर्जा कंजर्वेशन डे पर रखी देश भर के विद्यार्थियों की आनलाइन इंट्रेक्शन के दौरान अपना विचार दिया था। अब वो आडिया साकार होने लग पड़ा है और इससे स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ सौलर एनर्जी पैदा होगी। वे कहते हैं कि उनके स्कूल का बिल 15 से 20 हजार रुपये तक पहुंच जाता है। सौलर पैनल तो लग चुके हैं, मगर कोविड लाकडाउन लगने की वजह से उसे एक्टिव नहीं किया गया था। अब एक्टिव होने के बाद बिल में यकीनन सुधार तो होगा ही। सरकारी सह शिक्षा सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की प्रिसिपल मनिदर कौर कहती हैं कि उनके स्कूल का बिल 12 से 15 हजार तक पहुंच जाता है। अब सौलर पैनल उनके स्कूल में लगने शुरू हो गए हैं। इससे आने वाले समय में सुधार होगा और स्कूलों का स्मार्ट से भी स्मार्ट बनाने की विभाग की योजना भी रंग लाएगी सरकारी माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की प्रिसिपल बरिदर कौर कहती हैं कि स्कूल का बिजली का बिल 15 हजार रुपये तक पहुंच ही जाता है। विभाग की तरफ से सौलर पैनल स्कूलों में लगाने का सराहनीय योगदान है। इससे आने वाले समय में बेहद सुधार होंगे।