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40 क्वार्टरों के नाम से प्रसिद्ध है शहर का यह क्षेत्र, पॉश कॉलोनियां विकसित होने के बाद भी पहचान वही पुरानी

मोहल्ला गोबिंदगढ़ के बाएं तरफ स्थित 40 क्वार्टर इलाका किसी पहचान का मोहताज नहीं है। विभाजन के समय से यहां पर 40 क्वार्टर बनाए गए थे। क्षेत्र आज भी इन्हीं के नाम से जाना जाता है

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 01:02 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 08:00 AM (IST)
40 क्वार्टरों के नाम से प्रसिद्ध है शहर का यह क्षेत्र, पॉश कॉलोनियां विकसित होने के बाद भी पहचान वही पुरानी
40 क्वार्टरों के नाम से प्रसिद्ध है शहर का यह क्षेत्र, पॉश कॉलोनियां विकसित होने के बाद भी पहचान वही पुरानी

जालंधर [शाम सहगल]। 40 क्वार्टर क्षेत्र की पहचान यहां स्थित रेलवे के 40 क्वार्टरों से होती थी। समय के साथ इस इलाके की आबादी काफी घनी हो चुकी है। कई पॉश कॉलोनयिां भी बस चुकी हैं, लेकिन आज भी इसकी पहचान पुराने नाम से ही है।

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मोहल्ला गोबिंदगढ़ के बाएं तरफ स्थित 40 क्वार्टर इलाका किसी पहचान का मोहताज नहीं है। विभाजन के समय से यहां पर रेलवे के अधिकारियों के लिए 40 क्वार्टर बनाएं गए थे। हालांकि, इसकी शुरुआत दस क्वार्टरों से हुई थी। जिले के बढ़ते दायरे, रेलवे का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ने और अधिकारियों की तैनाती के बाद इनकी संख्या बढ़ाकर 40 कर दी गई। तब से ही इस इलाके को 40 क्वार्टर के नाम से जाना जाता है। बेशक आज ये 40 क्वार्टर पूरी तरह से खस्ता हो चुके हैं, बावजूद इसके इलाके की पहचान इन्हीं के नाम से है।

आसपास बस गईं पॉश कॉलोनियां

40 क्वार्टरों के आसपास कई पॉश कालोनियां विकसित हो चुकी हैं। इसमें अर्जुन नगर, न्यू अर्जुन नगर, दशमेश नगर, न्यू दशमेश नगर, मोहल्ला गोविंदगढ़ व अन्य शामिल हैं। ये सभी आज घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके हैं।

शूटिंग के लिए लगते हैं सेट:

बेशक 40 क्वार्टर इलाका पूरी तरह से खस्ता हो चुका है। कई जगह झाड़ियां तक उग आई हैं। बावजूद इसके यहां पर पंजाबी गीत और सीरियल के लिए शूटिंग के सेट लगाए जाते हैं। कारण देखने में यह इलाका किसी दूरदराज व पिछड़े हुए गांव की तरह लगता है, जो सीरियल आदि के लिए जरूरत के मुताबिक परफेक्ट लगते हैं। इससे यहां कलाकार जुटते हैं।

40 क्वार्टरों से ही आबाद हुआ इलाका

40 क्वार्टरों के साथ लगते इलाके न्यू दशमेश नगर के राज कुमार राजू बताते हैं कि कभी यहां पर केवल 40 क्वार्टर ही हुआ करते थे। इनमें रेलवे अधिकारियों के परिवार रहते थे। इन परिवारों के कारण पूरे इलाके में रौनक हुआ करती थी। देखते ही देखते इसके आसपास के इलाके रिहायशी क्षेत्र के रूप में विकसित हो गए। आज भी घनी आबादी के बीच स्थित 40 क्वार्टर अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

बीते जमाने की दिलाते हैं याद

राज कुमार राजू बताते हैं कि 40 क्वार्टरों का डिजाइन विशेष रूप से तैयार किया गया था। इसमें रहने वाले परिवारों को एक जैसी पेयजल व्यवस्था, सीवरेज की निकासी, ग्रीनरी से लेकर धूप व हवा का बेहतर इंतजाम किया गया था। यही कारण था कि कई बार लोग घर का डिजाइन करते समय यहां पर आकर आइडिया लेते थे। ये क्वार्टर बीते जमाने की याद भी दिलाते हैं।

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