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पाकिस्‍तान से लगी पंंजाब की 557 किलोमीटर सीमा पर 27 प्वाइंट बने 'तस्करी का गेटवे

पंजाब की पाकिस्‍तान से लगी 557 किलाेमीटर सीमा पद करीब 27 प्‍वाइंट तस्‍करी के गेटवे बन गए हैं। इन बिंदुओं से तस्‍करी का खेल जारी है। बीएसएफ इन पर काबू पाने को नए तरीके आजमा रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 08:05 AM (IST)
पाकिस्‍तान से लगी पंंजाब की 557 किलोमीटर सीमा पर 27 प्वाइंट बने 'तस्करी का गेटवे
पाकिस्‍तान से लगी पंंजाब की 557 किलोमीटर सीमा पर 27 प्वाइंट बने 'तस्करी का गेटवे

जालंधर, जेएनएन। पाकिस्तान से लगी पंजाब की 557 किलोमीटर सीमा पर 27 प्वाइंट हेरोइन की 'तस्करी का गेटवे' बन गए हैं। तस्कर यहां की भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठा रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल के जवान सीमापार से तस्‍करी रोकने को नए तरीके अपना रही है, ले‍किन तस्‍कर भी नए हथकंडे अपनाने लगते हैं। बीएसएफ के जवान नदियों में भी गश्‍त करते हैं।

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पाकिस्‍तान से नदियों के जरिये तस्‍कर भेज रहे नशे की खेप

तस्‍करी नशे की खेप नदियाें के बहाव के संग भेजते हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गुरदासपुर सेक्टर की बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) नंगली घाट में पाकिस्तान की ओर से रावी दरिया में बहाकर भेजी गई 60 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी है। इसके बाद कई भारतीय तस्‍करों की तलाश शुरू कर दी गई है। इन लोगों के पकड़े जाने के बाद नशा तस्‍‍करी के बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है।

सीमा पर अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठा रहे नशा तस्कर

बीएसएफ की दस बटालियन के मुख्यालय शिकार माछिया के कार्यकारी कमांडेंट कुलदीप राजू व गुरदासपुर सेक्टर के डीआइजी राजेश शर्मा ने बताया कि जवान मास्टर विजय कुमार व बिरसू मुरुम ने दरिया के रास्ते 60 पैकेटों में भेजी जा रही हेरोइन को कब्जे में लिया। जिस जगह पर खेप पकड़ी गई, वहां से पाकिस्तान की सीमा 400 मीटर दूर है। इस क्षेत्र में रावी दरिया कभी पाकिस्तानी सीमा तो कभी भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है।

अपनाया नया तरीका

तस्करों ने इस बार हेरोइन की तस्करी के लिए नया तरीका अपनाया। हेरोइन के 60 पैकेटों को वॉलीबॉल व फुटबॉल के ब्लैडरों में भरकर 15-15 पैकेट के चार हिस्से कर दिए। इन्हें अलग-अलग कपड़े में बांधा गया। इसके बाद जलकुंभी को बेड़े की तरह इस्तेमाल कर इस पर हेरोइन के पैकेट रख दिए। रावी दरिया का जलस्तर इस वक्त 10 फीट तक है। इन पैकेटों को करीब 1500 मीटर लंबी लाल रंग की रस्सी से बांधा गया था।

ये हैं संवेदनशील क्षेत्र

1. गुरदासपुर व पठानकोट: 70 किलोमीटर में से 15 किमी के क्षेत्र में सात जगहों पर रावी दरिया पाकिस्तान व भारत में प्रवेश होता है। तस्कर इसी दरिया से हेरोइन भेजते हैं। यहां बहुत ज्यादा मात्रा में जलकुंभी होने के कारण हेरोइन छिपाना आसान है। मकौड़ा, आदियां, चंदू वडाला, रोसा, मोमनपुर, नंगली घाट व धर्मकोट बांगर संवेदनशील प्वाइंट हैं।

2. अमृतसर: सीमा पर करीब 12 प्वाइंट ऐसे हैं, जहां से अकसर हेरोइन पकड़ी जाती है। सीमा के दोनों ओर खेत होना इसका मुख्य कारण है। तस्कर ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं। फसल के बीच हेरोइन छिपा देते हैं। राजाताल, पुल कांगड़ी, सुंदरगढ़ व रियार कक्कड़ संवेदनशील प्वाइंट हैं।

3. तरनतारन: 105 किलोमीटर के क्षेत्र में नौशहरा ढाला, खालड़ा, अमरकोट व खेमकरण चार प्रमुख प्वाइंट हैं। यहां भी दोनों ओर खेत हैं। तस्कर कंटीली तारों के बीच प्लास्टिक की पाइप डाल हेरोइन भेजते हैं। बरसात में कंटीली तार डूब जाती है।

4. फिरोजपुर व फाजिल्का: 90 किलोमीटर की सीमा में यहां सतलुज नदी कई जगहों पर पाकिस्तान में प्रवेश करने के बाद भारतीय क्षेत्र में बहती है। हुसैनीवाला, टिंडीवाला, बस्ती रामलाल व ममदोट सबसे संवेदनशील हैं।

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गुरदासपुर सेक्टर में दस साल में सबसे बड़ी खेप

गुरदासपुर सेक्टर में यह दस साल में सबसे बड़ी बरामदगी है। इसी साल जनवरी में 58 बटालियन के जवानों ने बीओपी चौंतरा में 22 किलो हेरोइन, दो पिस्टल, 80 कारतूस व पाकिस्तानी सिम कार्ड बरामद किए थे। 2017 में 55 किलो, 2019 में 22 किलो व 12 किलो हेरोइन पकड़ी थी। डीआइजी राजेश शर्मा ने बताया कि हेरोइन की इतनी बड़ी खेप पकडऩे वाले जवान विजय कुमार व बिरसू मुरुम को सम्मानित किया जाएगा।

तस्करी के तरीके

-कंटीली तारों के बीच से प्लास्टिक की पाइप से।

-सतलुज व रावी दरिया में बोतल, प्लास्टिक कैन बहाकर।

-जलकुंभी व घास-फूस की बेड़ी (नाव) बना कर।

-बैटरियों में डालकर सीमा पार से फेंककर।

-बोतलों में डालकर सीमा पार से फेंककर।

-फुटबॉल व वॉलीबाल के ब्लैडर में डालकर पानी में बहाकर।

इंटरनेट कॉल व वॉट्सएप मददगार

पाकिस्तानी व भारतीय तस्करों में संपर्क का मुख्य साधन इंटरनेट कॉल है। वॉट्सएप से भी लोकेशन व संदेश आदि भेजने का काम होता है। इंटरनेट कॉल को पकड़ पाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुश्किल होता है।

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