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ई-वे बिल से राहत का नोटिफिकेशन ही बना मुसीबत

सत्येन ओझा, जालंधर प्रदेश सरकार ने सूबे के अंदर (इंट्रा स्टेट) माल ढुलाई में ई-वे बिल से कारोबारिय

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Jan 2018 01:14 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 01:14 AM (IST)
ई-वे बिल से राहत का नोटिफिकेशन ही बना मुसीबत
ई-वे बिल से राहत का नोटिफिकेशन ही बना मुसीबत

सत्येन ओझा, जालंधर

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प्रदेश सरकार ने सूबे के अंदर (इंट्रा स्टेट) माल ढुलाई में ई-वे बिल से कारोबारियों को दो महीने की छूट तो दे दी है लेकिन जारी नोटिफिकेशन में मामूली तकनीकी गलती कारोबारियों के लिए मुसीबत बन सकती है। जो कारोबारी अपनी ही फैक्ट्री का माल फैक्ट्री से गोदाम तक ले जाने या राज्य में ही एक गोदाम से दूसरे गोदाम तक पहुंचाना चाहेंगे, उन्हें ई-वे बिल जनरेट करना पड़ेगा। तकनीकी रूप से ये माल की सप्लाई नहीं है, सिर्फ मूवमेंट है। यही गड़बड़ी गले की फांस बनेगी।

गौरतलब है कि इंटर-स्टेट माल सप्लाई पर ई-वे बिल 1 फरवरी से पूरे देश में लागू हो जाएगा। कुछ राज्यों ने इंट्रास्टेट सप्लाई पर ई-वे बिल पहले से ही लागू कर दिया है। पंजाब सरकार ने राज्य में ही माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए ई-वे बिल में दो महीने की छूट दी है। यानी पंजाब में यह व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू होगी। हालांकि सरकारी नोटिफिकेशन में इंट्रास्टेट सप्लाई ऑफ गुड्स शब्द का प्रयोग किया गया है जबकि मूवमेंट ऑफ गुड्स शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए था।

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एक्सपर्ट बोले-तकनीकि गलती बड़ी मुसीबत

नोटिफिकेशन की ये तकनीकी गलती कारोबारियों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। एक कारोबारी राज्य में ही अपने माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजता है तो ये सप्लाई नहीं है लेकिन नोटिफिकेशन की गलती से उसे इस काम के लिए भी ई-वे बिल जनरेट करना पड़ सकता है।

-सीए पुनीत ओबरॉय।

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नोटिफिकेशन में तकनीकी रूप से तो मूवमेंट ऑफ गुड्स ही होना चाहिए। सप्लाई ऑफ गुड्स वाक्यांश के चलते एक ही कारोबारी को अपना ही माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए ई-वे बिल जनरेट करना पड़ेगा।

-सीए अश्वनी ¨जदल।


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