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पिता 30 को तबले पर देंगे थाप, बेटा पहले ही बन गया विजेता

हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में 30 दिसंबर को किराना घराने की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका इन्द्राणी मुखर्जी (कोलकाता) के साथ तबला वादक अपूर्वा मुखर्जी तलबे पर तान छेड़ेंगे, लेकिन उससे पहले ही उनके बेटे अन्जशनू मुखर्जी ने हरिवल्लभ म्यूजिक कंपटीशन के दूसरे दिन निर्णायकों का दिल जीत लिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 09:47 PM (IST)
पिता 30 को तबले पर देंगे थाप, बेटा पहले ही बन गया विजेता
पिता 30 को तबले पर देंगे थाप, बेटा पहले ही बन गया विजेता

जागरण संवाददाता, जालंधर : हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में 30 दिसंबर को किराना घराने की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका इन्द्राणी मुखर्जी (कोलकाता) के साथ तबला वादक अपूर्बा मुखर्जी तलबे पर थाप देंगे, लेकिन उससे पहले ही उनके बेटे अन्जशनू मुखर्जी ने हरिवल्लभ म्यूजिक कंपटीशन के दूसरे दिन निर्णायकों का दिल जीत लिया।

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नौवीं कक्षा में पढ़ रहे अन्जशनू तबला वादन के जूनियर वर्ग के विजेता बने। सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ से पहले, दूसरे व तीसरे नंबर की होड़ में शामिल होने नहीं बल्कि जालंधर का दिल जीतने आए नौ साल के तबला वादक रिषभ ने भी खूब वाहवाही लूटी। वह इसी वर्ग में दूसरे नंबर पर रहे।

श्री देवी तालाब मंदिर में शुरू हुए श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में म्यूजिक कंपीटिशन के दूसरे दिन जूनियर वर्ग में तबला, सीनियर वर्ग में संतूर, सितार वायलन पर संगीत की ऐसी तान छेड़ी कि पिछले लगभग 15 दिनों से कहर बनता मौसम भी शास्त्रीय संगीत के भावी पुरोधाओं पर मोहित हो उठा। मोहित भी ऐसा कि लय, सुर व ताल में संगीत की तान छिड़ते ही कोहरा छंट गया और राहत भरी धूप ने उनको पूरा मान बख्शा।

ये रहे विजेता

तबला वादन : जूनियर वर्ग अन्जशनू मुखर्जी (कोलकाता) प्रथम

उरूज हसन (दिल्ली) व रिषभ (चंडीगढ़) को दूसरा स्थान

साहिल सिद्धू (जालंधर) तीसरा स्थान अंजशनू के आदर्श हैं पिता

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले अन्जशनू को तबला वादन देश के प्रसिद्ध तबला वादक अपूर्वा मुखर्जी से विरासत में मिला है। वे बहुत छोटी उम्र से तबला सीख रहे हैं। अिन्जशनू पिता को ही अपना गुरु मानते हैं। भविष्य में वे तबला वादन से देश को सारी दुनिया में गौरव दिलाना चाहते हैं। उरूज तबला वादन को ही बनाएंगे करियर

सात साल से तबला सीख रहे दिल्ली के नजफगढ़ निवासी उरूज दिल्ली में ही उस्ताद अख्तर हसन से तबले की तालीम ले रहे हैं। हालांकि पिता शब्बे हसन भी अच्छे तबला वादक हैं, लेकिन उरूज की प्रतिभा को निखारने का काम उनके गुरु ने ही किया है। तबले वादन को ही उरूज अपना करियर बनाना चाहते हैं। एक पायदान आगे बढ़े रिषभ

चंडीगढ़ निवासी रिषभ मात्र पांच साल की उम्र से ही तबला सीख रहे हैं। खास बात है कि रिषभ गुरुग्राम (गुड़गांव) निवासी पं.शिवशंकर रई से तबले की शिक्षा ले रहे हैं। सप्ताह में एक दिन ही गुरुग्राम अपने गुरु से तलबे की शिक्षा लेने जा पाते हैं। बाकी दिन ऑनलाइन गुरु से सीखते हैं। रिषभ पिछले साल तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार वे पहले, दूसरे व तीसरे स्थान की स्पर्धा में शामिल होने नहीं बल्कि तबले से जालंधर का दिल जीतने आए थे। पहली बार में ही जीता दिल

तीसरा स्थान पाने वाले साहिल सिद्धू जालंधर में ही गढ़ा के निवासी हैं। वे दो साल से मास्टर सलीम के साथ संगत करने वाले रहमत सिद्धू से तलबे की शिक्षा ले रहे हैं। हरिवल्लभ संगीत प्रतियोगिता में पहली बार हिस्सा लिया था, पहली बार में ही तबला वादन में शानदार प्रदर्शन कर तीसरा स्थान हासिल कर लिया। स्टील नगरी की नयनिका ने बिखेरा सुर का जादू

साल-2014 वोकल जूनियर वर्ग में विजेता रहीं स्टील सिटी भिलाई (छत्तीसगढ़) निवासी नयनिका इस बार फिर सीनियर वर्ग की प्रतियोगी के रूप में भाग लेने मां मंदिरा नंदी व पिता सभाषंद नंदी के साथ हरिवल्लभ में अपने सुरों का जादू बिखेरने पहुंची थी। उन्होंने राग पटदीप में अपनी बंदिश पेश कर श्रोताओं के हृदय के तारों को झंकृत कर दिया। राग भीमपलासी में शुद्ध निषाद का प्रयोग करने पर राग पटदीप आता है। यही इस बंदिश की विशेषता है, नयनिका की यही गायन शैली दूसरे गायकों पर भारी पड़ी। ----------------

मधुबनी थीम पर सजेगा संगीत सम्मेलन का मंच

30 दिसंबर से शुरू होने वाले हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन के लिए युवा कलाकार मंजिल, अंजुम, कविता, प्रताप, ओंकार ¨सह मुख्य मंच को मधुबनी थीम देने के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं। मधुबनी चित्रकारी, जिसे मिथिला की कला भी कहा जाता है। चटकीले और विषम रंगों से प्रकृति और पौराणिक गाथाओं को दर्शाते चित्र उभारे गए हैं। उनमें हिन्दू देवी-देवताओं से संबंधित चित्र कृष्ण, राम, शिव, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सूर्य और चन्द्रमा, तुलसी के पौधे, राजदरबारों के ²श्य, सामाजिक समारोह आदि को प्रमुखता दी गई है। मुख्य मंच पर संगीत के स्वरों के बीच यही कला जीवंत होती दिखेगी। स्वरों की महफिल में हस्तशिल्प बना आकर्षण

संगीत सम्मेलन के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाने के लिए इस समारोह स्थल पर देश के विभिन्न हिस्सों से हस्तशिल्पियों का पहुंचना शुरू हो गया है। जयपुर से शहजाद जयपुरी हस्तशिल्प उत्पादों के साथ यहां पहुंच गए हैं। उनके स्टॉल पर हस्तशिल्प से बने लेडीज बैग, पर्स आकर्षण का केन्द्र रहे, पार्सल देर होने के कारण बुधवार को जयपुरी जूती उनके स्टॉल का खास आकर्षण होंगी। ऊना से हिमाचली हस्तशिल्प से बनी शॉल, स्टॉल आदि लेकर राहुल सांवल यहां पहुंचे हैं। हिमाचली हस्तशिल्प में अंगोरा से बने स्टॉल महिलाओं की खास पसंद बने रहे। पचमीना के बाद अंकोरा से बनी दुनिया की सबसे ज्यादा गर्म स्टॉल होती है, जो खरगोश के बालों से बनती है। असम के बांस से बने हैंडर, डेकोरेशन के आइटम, जयपुरी लाख के कड़े, ज्वैलरी आदि स्टॉल सज चुके हैं।


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