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बड़े उत्सव का रूप लेता जा रहा है हरिवल्लभ संगीत समारोह

143 साल के लंबे सफर में कई बार श्रोताओं का मोहताज रहा हरिवल्लभ संगीत समारोह इस बार शहर भर के लिए उत्सव बन गया है। एक ओर जहां संगीत की स्वरलहरियां संगीत प्रेमियों को अपनी ओर बरबस ही यहां खींच लेती है तो वहीं नोर्थ जोन कल्चरल ईवेंट की ओर से लगाए गए हैडीक्राफ्ट के स्टॉल व

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 10:10 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 10:10 PM (IST)
बड़े उत्सव का रूप लेता जा रहा है हरिवल्लभ संगीत समारोह
बड़े उत्सव का रूप लेता जा रहा है हरिवल्लभ संगीत समारोह

जागरण संवाददाता.जालंधर : 143 साल के लंबे सफर में कई बार श्रोताओं का मोहताज रहा हरिवल्लभ संगीत समारोह इस बार शहरभर के लिए उत्सव बन गया है। एक ओर जहां संगीत की स्वरलहरियां अपनी ओर बरबस खींच रही हैं, वहीं हैडीक्राफ्ट के स्टॉल व कलाकारों की हैरतअंगेज बाजीगरी श्री देवी तालाब मंदिर में आने वाले लोगों को पास आने के लिए मजबूर कर रही हैं।

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पिछले साल तक श्री हरिवल्लभ संगीत समारोह स्थल तक संगीत प्रेमी ही पहुंच पाते थे, लेकिन इस बार हरिवल्लभ संगीत समारोह के मुख्य पंडाल के बाहर एक बड़े उत्सव का माहौल बन गया है।

28 दिसंबर से शुरू होने वाले संगीत समारोह के मुख्य पंडाल के बाहर देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंची हैंडीक्राफ्ट के उत्साह हर किसी को लुभा रहे हैं। असम का बांस के बने डेकोरेशन के हैंगर व अन्य सामान। खिले व चटक रंग में हाथ की दस्तकारी से तैयार जयपुरी जूती महिलाओं के लिए खास आकर्षण का केन्द्र बनी है। कश्मीर का प्रमुख पेय पदार्थ काहवा जो भी एक बार पीता है, बार-बार काहवा की मांग करता है। ड्राईफ्रूट, इलायची, मुलैठी, केसर व काहवा से तैयार होने वाले काहवे का स्वाद हर किसी को लुभा रहा है। ---------------------------- मानो ईश्वर से जुड़ने का मौका मिल गया हो

तमाम प्रशासनिक व्यवस्थाओं व दिनभर कामकाम में व्यस्तताओं के बावजूद पिछले साल हरिवल्लभ संगीत समारोह सुनने को मिला तो ऐसा लगा मानो ईश्वर से जुड़ने का सबसे बेहतर माध्यम ही यहीं है। नियम व अनुशासन में बंधे राग व लय में संगीत के स्वर जब फूटते थे तो दिल को एक अजीब सा सुकून मिलता था, अंदर से खुशी होती थी। तीनों दिन मैं संगीत सुनने पहुंचा, हालांकि कुछ बड़े कलाकारों की प्रस्तुति मध्य रात्रि के बाद या रात्रि के अंतिम पहर में होने के कारण उन्हें सुनने से वंचित रह गया, जिसका मलाल मुझे आज तक है।

हरिवल्लभ ने संगीत के प्रति जो रुचि जगाई थी, यही वजह है कि इस बार मैंने श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा के पदाधिकारियों के सामने मांग रखी थी कि जो भी नामी कलाकार सम्मेलन में पहुंच रहे हैं, उनकी प्रस्तुति का समय रात को 10-12 के बीच रखा जाए ताकि कोई भी मेरी तरह उनसे वंचित न रह सकें। यह सही है इस बार पंचायत चुनाव की तैयारियों, व्यवस्थाओं को बनाने के लिए 14-14 घंटे तक काम करना पड़ रहा है, इसके बावजूद इस बार भी मैं तीनों दिन हरिवल्लभ को सुनने परिवार सहित जाऊंगा। -व¨रदर कुमार शर्मा (लेखक जिले के डिप्टी कमिश्नर हैं)


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