महागौरी की आराधना से होती है सौभाग्य की प्राप्ति : राज गिरि
संवाद सहयोगी दातारपुर आठवां नवरात्र मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी है जिसे महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से जानते हैं।
संवाद सहयोगी, दातारपुर
आठवां नवरात्र मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी है जिसे महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से जानते हैं। मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी तपोमूर्ति महंत राज गिरि ने कहा इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है ताकि हमें हर पाप से मुक्ति मिले। कई वर्षों तक कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला वर्ण का हो गया था, भगवान शिव ने उनको गौर वर्ण का वरदान दिया, जिससे वे महागौरी कहलाईं।
महंत जी ने कहा आज के दिन माता महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही सुख-समृद्धि में कोई कमी नहीं होती है। महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विधान है, कहा जाता है कि कन्याएं मां दुर्गा का साक्षात स्वरूप होती हैं। नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं।
महागौरी, भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनको दर्शन देकर मां का शरीर कांतिमय कर दिया तब से इनका नाम महागौरी पड़ा।
महागौरी की पूजा पीले कपड़े पहनकर करें, इसके बाद मां के सामने दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें। इसके बाद सफेद या पीले फूल चढ़ाएं और उनके मंत्रों का जाप करें, इसके बाद मध्य रात्रि में इनकी पूजा करें। ----------------- बाक्स
अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा
महंत जी ने कहा नवरात्र नारी शक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है। इसलिए नवरात्र में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है। हालांकि नवरात्र में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है, लेकिन अष्टमी और नवमी को कन्याओं की पूजा जरूर की जाती है। दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान बताया है। अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग-अलग रूप को दर्शाती है।
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मां महागौरी की पूजा का महत्व
जीवन में छाए संकट के बादलों को दूर करने और पापों से मुक्ति के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी की आराधना से व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ सौभाग्य भी प्राप्त होता है।