डिलीवरी के लिए अस्पताल में तीन दिन से भर्ती थी महिला, फिर डॉक्टरों की बात सुनकर उड़े होश
तीन दिन से डिलीवरी के लिए दाखिल हुई महिला को डॉक्टरों ने यह कहकर छुट्टी देने की बात कर दी कि वह गर्भवती है ही नहीं।
जेएनएन, होशियारपुर। सिविल अस्पताल होशियारपुर के गायनी वार्ड में उस समय हाई वोलटेज ड्रामा हो गया, जब पिछले तीन दिन से डिलीवरी के लिए दाखिल हुई महिला को डॉक्टरों ने यह कहकर छुट्टी देने की बात कर दी कि वह गर्भवती है ही नहीं। यह सुनकर महिला के पैरों तले जमीन सरक गई कि यह क्या हो गया। जबकि आशा वर्कर ने यह कहकर दाखिल करवाया था कि उसके नौ महीने पूरे हो चुके हैं। किसी भी समय डिलीवरी हो सकती है। डाॅक्टरों का बेतुका जवाब सुनकर महिला के पति ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। अगर उसकी पत्नी गर्भवती नहीं थी तो फिर नौ माह तक उसका इलाज क्यों और कैसे किया गया। यहां तक कि समय पर वेक्सीनेशन भी गए और जरूरी टेस्ट भी।
मामला तूल पकड़ने लगा तो डॉक्टर एक-दूसरे पर बात डालने लगे। एसएमओ विनोद सरीन ने गेंद सिविल सर्जन के पाले में यह कहकर फेंक दी कि एएनएम व आशा वर्कर सिविल सर्जन के अधीन हैं। जब एसएमओ से पूछा गया कि ट्रीटमेंट तो अस्पताल में चल रहा है तो उन्होंने बात आशा वर्कर के सिर पर डाल दी। वेक्सीनेशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कह दिया की वह तो कार्ड के हिसाब से लगते हैं। लेकिन हैरानी वाली बात तो यह है कि पिछले नौ माह से एक गर्भवती महिला सिविल अस्पताल में ट्रीटमेंट करवा रही है। लेकिन किसी डॉक्टर ने उसकी जांच तक नहीं की। बाद में एसएमओ विनोद सरीन ने मामला रफा-दफा करते हुए कह दिया कि महिला को तो सुडोसाईसिस का रोग है, जिसमें महिला को समय-समय पर महसूस होता है कि वह गर्भवती है।
क्या है सारा मामला
बहादुरपुर के सूर्य नगर की रहने वाली महिला पूजा पत्नी गौतम 27 मई को उसे आशा वर्कर किरण ने इसलिए अस्पताल में दाखिल करवाया था। क्योंकि उसकी डिलीवरी का समय आ गया था। किसी भी समय उसे लेबर पेन शुरू हो सकती थी। पिछले नौ माह से पूजा का सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने सारे जरूरी चेकअप करके पूजा को दाखिल कर लिया, लेकिन मामला उस समय बिगड़ गया, जब स्केनिंग की रिपोर्ट में यह आ गया कि पूजा गर्भवती है ही नहीं। जब डॉक्टरों ने इस संबंध में पूजा व उसके पति गौतम को बताया तो उसने हंगामा कर दिया और अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अस्पताल में तैनात डॉक्टरों ने उसके साथ भद्दा मजाक किया है। जबकि आशा वर्कर किरण ने गर्भ का टेस्ट करने के बाद ही उनका जच्चा-बच्चा कार्ड बनाया था। अस्पताल के डॉक्टर भी उसका इलाज कर रहे थे। डॉक्टरों के कहने पर उसने एक दिन पहले अपनी पत्नी को अस्पताल में दाखिल करवाया था। अब जब पत्नी की डिलीवरी होनी थी तो डॉक्टर यह कह रहे हैं कि पूजा गर्भवती है ही नहीं, जबकि पहले स्कैनिंग में कहा जाता रहा कि बच्चा कमजोर होने की वजह सही स्थिति का पता नहीं चल रहा है। गौतम ने हंगामा किया तो उल्टा डॉक्टरों ने उसे यह कहकर धमकाना शुरू कर दिया कि यदि हंगामा किया तो पर्चा दर्ज किया जाएगा।
अस्पताल की नहीं कोई गलती, सुडोसाईसिस रोग से ग्रस्त है महिला: एसएमओ
सिविल अस्पताल के एसएमओ डाॅ. विनोद सरीन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल की इसमें कोई गलती नहीं है, महिला सुडोसाईसिस रोग से ग्रस्त है, जिसमें महिला को महसूस होता रहता है कि वह गर्भवती है। बाकी जो महिला का ट्रीटमेंट किया गया है, उसकी जिम्मेदारी आशा वर्कर की है। क्योंकि उसी ने कार्ड बनाया था। जब उनसे पूछा गया कि क्या कार्ड को देखकर ही टीका करण चलता रहा और कोई जांच नहीं हुई तो उनके पास कोई जवाब नहीं था और वह मामले से पल्ला झाड़ गए।
मैंने जांच की थी उसके बाद बनाया कार्ड : आशा वर्कर
आशा वर्कर किरण बाला ने कहा कि पूजा का गभर्वती टेस्ट पॉजिटिव आया था। इस पर ही उसका कार्ड बनाया गया था। बाकी जांच तो डॉक्टरों ने करनी होती है। इसमें उसका कोई कसूर नहीं है।
खुद करुंगी मामले की जांच, होगी विभागीय कार्रवाई : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. रेणू सूद ने कहा कि उनके ध्यान में यह मामला आया है। पीड़ित पक्ष ने उन्हें शिकायत की है। मामले की खुद जांच करूंगी।खुद भी जानना चाहती हूं कि ड्यूटी के दौरान किस डॉक्टर ने एेसी लापरवाही की है। उसे बख्शा नहीं जाएगा। केवल कार्ड के आधार पर ट्रीटमेंट करना गलत है। डॉक्टर को खुद भी जांच करनी चाहिए थी। गलती किस स्तर पर हुई है। इसकी जांच के लिए टीम गठित की जाएगी।
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