70 फीसद वाहन बिना रिफ्लेक्टर दौड़ रहे, इस साल 23 ने जान से धोया हाथ
सर्दी का मौसम शुरू हो गया है। ऐसे में सड़कों धुंध की वजह से कई हादसे होते हैं।
नीरज शर्मा, होशियारपुर
सर्दी का मौसम शुरू हो गया है। ऐसे में सड़कों धुंध की वजह से कई हादसे होते हैं। इनमें रिफ्लेक्टर के बिना सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की वजह से कई हादसे होते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस साल में अब-तक वाहनों पर रिफ्लेक्टर न होने के कारण 23 लोग जान गंवा चुके हैं। 70 फीसद वाहन बिना रिफ्लेक्टर के सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
इन हादसों के लिए जितने जिम्मेदार वाहन चालक हैं, उससे ज्यादा जिम्मेदार प्रशासन। वाहन चालक सड़क पर चलते समय नियमों के पालन से अनभिज्ञ है और प्रशासन नियमों को लागू करने में असफल है। यही कारण है कि आए दिन सड़कें खूनी से सनती जा रही हैं।
प्रशासन हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाता है। लोगों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी दी जाती है। इसी मुहिम के तहत वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाए जाते हैं, लेकिन इन जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद अभी भी सड़कों पर कई वाहन ऐसे हैं जो रिफ्लेक्टरों के बिना ही चल रहे हैं और इन पर ट्रैफिक पुलिस भी कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझती।
हादसों में आए दिन लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। कोई दिन ऐसा नहीं जिस दिन हादसा नहीं होता। कोहरे के दिनों में हादसों का खतरा और भी बढ़ जाता है। जिसका मुख्य कारण वाहनों पर रिफलेक्टर न होना व सड़कों पर सांकेतिक निशान न होना है। घने कोहरे में वाहन चालक को पता ही नहीं चलता कि उसके आगे कोई वाहन चल रहा है या फिर सड़क किनारे कोई वाहन खड़ा है। अधिकतर वाहन दौड़ते हैं बिना रिफ्लेक्टर के
शहर में 70 फीसद वाहन बिना रिफ्लेक्टरों के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। चाहे वह कमर्शियल वाहन हों या फिर घरेलू वाहन। हर तीसरा वाहन बिना रिफ्लेक्टर के सड़क पर दौड़ रहा है। इसके लिए कोई रोकटोक नहीं होती। दैनिक जागरण टीम ने होशियारपुर के व्यस्त इलाकों व रहीमपुर दानामंडी का दौरा किया तो पाया कि शहर में बहुत कम ऐसे वाहन होंगे जिन पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं। रिफ्लेक्टर तो दूर की बात है कई वाहन तो ऐसे हैं जिनकी बेक लाइट तक नहीं जलती। क्यों जरूरी है रिफ्लेक्टर व बेक लाइट का होना
वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाना बहुत ही जरूरी है। रिफ्लेक्टर के साथ-साथ हर वाहन में बेक लाइट होनी भी बहुत जरूरी होती है। इससे पीछे चलने वाले वाहन चालक को आगे चलने वाले वाहन में दूरी बनाए रखने में असानी रहती है। रिफ्लेक्टर व बेक लाइट न होने के कारण ही हादसे होते हैं। रिफ्लेक्टर जोकि एक तरह की रेडियम टेप होती है जो लाइट पड़ने पर चमकती है। अंधेरे में यह काफी कारगर साबित होती है। वहीं बेक लाइट भी किसी वाहन के लिए उतनी ही जरूरी है, जितनी कि फ्रंट लाइट।
लोगों को टै्रफिक नियमों की नहीं है जानकारी
बेक लाइट ब्रेक लगाने के समय ऑटोमेटिक जलती है। जिससे पीछे चलने वाले वाहन चालक को आभास हो जाए कि उसके आगे चलने वाले वाहन की स्पीड कम हो रही है और उसी को देखकर पीछे चलने वाला वाहन चालक अपनी गाड़ी की गति धीमी करता है। बहुत कम लोगों को इसका पता है और बहुत कम लोग इसकी तरफ ध्यान देते हैं। चालान केवल नाम के
वाहनों के लिए रिफ्लेकटर बहुत जरूरी है और हादसों को कंट्रोल करने में इसकी बहुत अहमियत है। खास तौर पर कोहरे के दिनों में या फिर रात के समय रिफ्लेक्टर न होने पर चालान का कोई प्रावधान इतना ठोस नहीं है। यही कारण हैं कि लोग रिफ्लेक्टर लगाने के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। इसका सबूत शहर में बिना रिफ्लेक्टर के दौड़ते वाहन हैं। जहां लोग इसके प्रति गंभीर नहीं है, वहीं ट्रैफिक पुलिस भी रिफ्लेक्टर न होने पर चालान काटना जरूरी नहीं समझती।
छह में बिना रिफ्लेक्टर वाहनों के 29 चालान काटे गए
होशियारपुर में पिछले छह माह में रिफ्लेक्टर न लगाने के मात्र 29 ही चालान काटे गए हैं। ट्रैफिक मुलाजिमों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब ऑर्डर होते हैं तभी चालान काटते हैं। बाकी तो ऐसे ही चलता है। चालान तो सीजन के हिसाब से होते हैं। उन्होंने बताया कि अब धुंध शुरू हो जाएगी और इन दिनों में कार्रवाई की जाती है। काटे गए चालान ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं।
वाहन चालकों के होते हैं चालान: टीआइ
ट्रैफिक इंचार्ज मनमोहन सिंह ने कहा कि रिफ्लेक्टर न लगाना नियमों का उल्लघंन है। इसके चालान भी काटे जाते हैं। उन्होंने लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने व अपने वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस सेमिनार लगाकर लोगों को जागरूक करती है और कई बार मुहिम चलाकर वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाए भी गए जाते हैं।