स्कूल फर्नीचर की रिपेयर के लिए बिना मंजूरी कटवा दिए पेड़
एक तरफ सरकार दिन व दिन प्रदूषित हुए वातावरण को सुधारने के लिए पौधारोपण मुहिम के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। हरे पेड़ों को बचाने और लोगों को जागरुक करने के लिए खर्च रही है। जिसके अंतर्गत सभी सरकारी विभागों द्वारा रैलियां और पोस्टर लगाकर पेड़ों के ़फायदे बताने के लिए निकाली जाती है वहीं माहिलपुर ब्लाक के गांव भाम में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दस साल पुराने पेड़ को विभागीय की मंजूरी से बिना स्कूल ¨प्रसिपल द्वारा कटवा दिया गया है जबकि अगर कोई पेड़ काटना पड़ता है उसकी एक परिक्रिया के तहत मंजूरी लेने के लिए आवेदन करना पड़ता है और यह मंजूरी यह देख कर प्रदान की जाती है की उस पेड़ से क्या नुकसान हो सकता है पर सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल भाम में इस नियम की कोई पालना नहीं की गई।
रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर/गढ़शंकर
एक ओर सरकार दिन-प्रतिदिन प्रदूषित हुए वातावरण को सुधारने के लिए पौधरोपण मुहिम के तहत करोड़ों रुपये हरे पेड़ों को बचाने, लगाने और लोगों को जागरूक करने पर खर्च कर रही है। इसके अंतर्गत सभी सरकारी विभागों द्वारा पोस्टर लगाने व रैलियां निकालककर पेड़ों के फायदे बताए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर माहिलपुर ब्लॉक के गांव भाम में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दस साल पुराने पेड़ों को विभागीय मंजूरी से बिना स्कूल ¨प्रसिपल द्वारा कटवा दिया गया। जबकि अगर कोई पेड़ काटना पड़ता है, तो उसे एक प्रक्रिया के तहत मंजूरी लेने के लिए आवेदन करना पड़ता है। यह मंजूरी यह देख कर प्रदान की जाती है कि उस पेड़ से क्या नुकसान हो सकता है। मगर, सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल भाम में इस नियम की कोई पालन नहीं किया गया।
दैनिक जागरण के संवाद सहयोगी ने जब उक्त स्कूल का दौरा किया तो देखा कि तीन-चार मजदूर पेड़ काट रहे थे। जब उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि पेड़ तेज आंधी से गिर गया था। मगर, पेड़ स्कूल की इमारत के पास होने के बावजूद कहीं पर भी गिरने के निशान नहीं थे। इन मजदूरों ने बड़े पेड़ को काटा हुआ था और पास से एक छोटे पेड़ को काट रहे थे। जबकि स्कूल में पढ़ने वाले कुछ विद्यार्थियों ने बताया कि पेड़ बिलकुल सही था और झुका हुआ नहीं था। सरपंच की ओर से बताया गया है कि स्कूल फर्नीचर की रिपेयर करने के लिए पेड़ काटा गया है।
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पेड़ झुका था, कटवा दिया : प्रिंसिपल
उधर, इस बारे में स्कूल ¨प्रसिपल मनजीत कौर से बात की, तो उन्होंने बताया कि पेड़ एक तरफ झुका हुआ था। इसलिए कटवाने का फैसला लिया। मगर, छोटे पेड़ काटने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वह तो ऐसे ही था। विभागीय विज्ञापन और मंजूरी के सवाल पर वह चुप हो गई।
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प्रस्ताव पास किया था : सरपंच
उधर, गांव के सरपंच जस¨वदर ¨सह से की तो उन्होंने कहा कि स्कूल के फर्नीचर की रिपेयर करवाने के पेड़ कटवाया गया है। इसके लिए प्रस्ताव पास किया गया था।
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कोई प्रस्ताव नहीं भेजा : जेई
उधर, इस बारे में पंचायत विकास कार्यलय के जई रा¨जदर कुमार जोकि भाम पंचायत का कार्य देख रहे हैं, ने कहा कि संबंधित पंचायत ने पेड़ काटने के लिए कोई मंजूरी प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा था।
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बिना मंजूरी पर होगी कार्रवाई : डीईओ
उधर, इस बारे में डीईओ मोहन ¨सह लेहल से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि अगर मंजूरी के बिना पेड़ कटवाए गए हैं तो इसके लिए संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।
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यह गलत काम है : विजय कुमार बंबेली
इस बारे में वातावरण प्रेमी विजय कुमार बंबेली ने कहा कि एक तरफ तो सरकार अपने विभागों से पेड़ लगाओ, पेड़ बचाने की अपील कर रही है। वहीं बच्चों को शिक्षा देने वाले विभाग के अधिकारी ही पेड़ों को खत्म करने पर तुले हुए हैं, तो सरकार द्वारा जारी निर्देशों की पालन कौन करेगा?
उधर, इस बारे में जिला वन अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई पर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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ये है नियम
अगर सरकारी स्थल से पेड़ काटने की नौबत आ जाए, तो संबंधित पंचायत अपने ब्लॉक पंचायत विकास अधिकारी को प्रस्ताव भेजते हैं। विकास अधिकारी उसे डीडीपीओ को भेज देते हैं। यहां से वह प्रस्ताव वन विभाग को भेजा जाता है, जो उसकी कीमत तय कर नीलामी कराने की प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी प्रदान करता है। ज्यादा पेड़ होने पर किसी अखबार में भी इश्तिहार दिया जाता है। उसके बाद लक्कड़ काटने वाले लोग इस लक्कड़ को बोली लगाकर इसे काटने का अधिकार प्राप्त करते हैं।