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इस स्कूल में PM भी हैं और उनकी Cabinet भी, ऐसे होता है चुनाव और ये है काम का तरीका

इस स्कूल में प्रधानमंत्री भी हैं और मंत्री भी। बाल कैबिनेट भी है जो ठीक उसी तरह काम करती है जैसे देश की कैबिनेट। अंतर सिर्फ दायरे का है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 05:35 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 09:20 PM (IST)
इस स्कूल में PM भी हैं और उनकी Cabinet भी, ऐसे होता है चुनाव और ये है काम का तरीका
इस स्कूल में PM भी हैं और उनकी Cabinet भी, ऐसे होता है चुनाव और ये है काम का तरीका

होशियारपुर [रजनीश गुलियानी]। लोकतंत्र की झलक देखनी हो तो होशियारपुर से 17 किलोमीटर दूर स्थित गांव ढठा फतेह सिंह के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आइए। यहां प्रधानमंत्री भी हैं और मंत्री भी। बाल कैबिनेट भी है, जो ठीक उसी तरह काम करती है, जैसे देश की कैबिनेट। अंतर सिर्फ दायरे का है। केंद्र की कैबिनेट के कार्य का दायरा पूरा देश होता है, जबकि इस बाल कैबिनेट का दायरा स्कूल तक है। लक्ष्य एक ही है, हर काम लोकतांत्रिक तरीके से और सुव्यवस्थित हो।

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यहां प्रिंसिपल, अध्यापक, स्टाफ और छात्र मिलकर अपना प्रतिनिधि चुनते हैं और फिर बनती है बाल कैबिनेट। इसका प्रमुख लक्ष्य यह भी है कि बच्चों में भी लोकतांत्रिक भावना विकसित हो। इस बार बाल कैबिनेट में बारहवीं कक्षा का छात्र लवप्रीत प्रधानमंत्री है। बारहवीं कक्षा के ही कमलप्रीत शिक्षा मंत्री, आकाश खेल मंत्री, अंजलि स्वास्थ्य मंत्री, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पार्यावरण मंत्री सतवीर कौर हैं। अन्य गुरप्रीत सिंह, मनदीप और सदस्यो के अपने अलग-अलग प्रभार हैं। स्कूल में कैबिनेट के ऊपर प्रिंसिपल व कर्मचारी हैं। बाल कैबिनेट का कार्यकाल एक साल का होता है।

अच्छे स्कूलों की अच्छी बातों को स्कूल में लागू करवाती है कैबिनेट

शिक्षा मंत्री कमलप्रीत लंच टाइम में अखबारों में छपने वाली खबरों को देखती हैं। वे ऐसी खबरों को देखती हैं, जिसमें अच्छे स्कूलों की कार्यप्रणाली का जिक्र होता है। इसके बाद शिक्षा मंत्री उस स्कूल की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी जुटाती हैं। प्रिंसिपल से चर्चा करती हैं कि उस स्कूल की अच्छी कार्यप्रणाली को कैसे अपने स्कूल में लागू किया जाए। इसी तरह खेल मंत्री आकाश खेल-कूद संबंधित खबरों के साथ खेलों के बारे में जानकारी देते हैं। इसका भी उद्देश्य भी होता है कि दूसरे स्कूलों की अच्छी खेल प्रणाली को अपने स्कूल में अपनाया जाए।

इस स्कूल की खास बात यह है कि सब मिलकर काम करते हैं। उस समय न कोई प्रिंसिपल होता है और न ही छात्र। जिसके हिस्से का काम है, वही मंत्री सही ढंग से काम करवाता है। यानी यदि सफाई का काम चल रहा है तो स्कूल के प्रिंसिपल खुद बच्चों के साथ मिलकर फावड़ा उठाकर निकल पड़ते हैं सफाई करने के लिए। उस समय सफाई की कमान सफाई मंत्री के हाथ में होती है।

स्वच्छता को मिला बढ़ावा, बिजली की हो रही बचत

बाल कैबिनेट बनने से स्कूल की व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। चाहे वह स्वच्छता हो, बिजली की बचत हो या फिर अनुशासन। स्वास्थ्य मंत्रालय बनने के बाद विद्यार्थियों के शारीरिक फिटनेस में सुधार हुआ है। उनमें नेतृत्व करने की भावना भी आई है। अगर स्कूल के दफ्तर, स्टाफ रूम या अन्य स्थान पर प्रिंसिपल या अध्यापकों द्वारा बिजली का दुरुपयोग हो रहा तो बाल कैबिनेट के पास जुर्माना करने का भी अधिकार है।

ऐसे चुनी जाती है बाल कैबिनेट

बाल कैबिनेट में छठवीं से 12वीं तक के बच्चों की सहभागिता होती है। छठवीं से 12वीं तक 38 सेक्शन हैं। इनमें दस हाउस हैं। प्रत्येक सेक्शन से तीन बच्चों का चयन होता है। 38 सेक्शन से 114 बच्चों का चयन होता है। इन बच्चों की बैठक होती है। प्रधानमंत्री पद के लिए बारहवीं से तीन बच्चों का नाम उम्मीदवार के तौर पर चयनित किया जाता है। इसके बाद सभी बच्चे अपने पसंदीदा उम्मीदवार के समर्थन में हाथ उठाते हैं। जिसके समर्थन में ज्यादा बच्चे होते हैं, उसे ही प्रधानमंत्री चयनित किया जाता है। इसके बाद मंत्रियों का भी ऐसे चयन होता है। प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री का चयन बारहवीं कक्षा के छात्रों में से ही होता है। खेल मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पार्यावरण मंत्री अन्य कक्षाओँ के छात्र भी चुने जा सकते हैं।

हर महीने होती है कैबिनेट की बैठक

प्रति सप्ताह प्रधानमंत्री मंत्रियों के साथ बैठक करते हैं। इसमें सभी मंत्री विभाग के कार्यों और प्रगति की जानकारी पेश कर समस्याओं पर चर्चा करते हैं। हर महीने इस कैबिनेट की बैठक भी होती है, जिसमें सभी बच्चे व शिक्षक मौजूद रहते हैं। कैबिनेट की गतिविधि स्कूल समय से पहले, लंच में या प्रार्थना के दौरान होती है, ताकि पढ़ाई का नुकसान न हो। बाल कैबिनेट में प्रधानमंत्री बारहवीं कक्षा के छात्र लवप्रीत कहते हैं कि यह एक अच्छा अनुभव है। इसका भविष्य में हमें फायदा होगा।

बच्चों में स्कूल के प्रति पैदा हो लगाव, इसलिए की पहल: प्रिंसिपल शैलेंद्र सिंह

प्रिंसिपल शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि बच्चों में स्कूल के प्रति लगाव और अनुशासन की भावना पैदा हो, इसके लिए बाल कैबिनेट बनाने की पहल की। इस कैबिनेट में प्रधानमंत्री के अलावा शिक्षा, जल, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक एवं पर्यावरण मंत्री भी हैं। बच्चों में नेतृत्व क्षमता एवं प्रजातांत्रिक मूल्य विकसित हों। उनमें स्वअनुशासन आए। वे स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण, खेल और सांस्कृतिक मुद्दों पर विचार व्यक्त कर सकें, इसी सोच के साथ यह कैबिनेट बनाई गई है।

निजी स्कूलों को भी मात दे रहा यह स्कूल

यह स्कूल यूकेजी से लेकर प्लस टू तक अंग्रेजी माध्यम में है। यह इलाके के निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। सफाई के मामले में यह पूरे पंजाब में नंबर वन है। यहां बच्चों को घर से स्कूल लाने और ले जाने के लिए अपनी परिवहन व्यवस्था है। इसमें स्कूल के कर्मचारी और गांव के लोग आर्थिक सहयोग करते हैं।

परिवहन व्यवस्था अच्छी होने से 40 किलोमीटर दूर तक के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। 2018-19 स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 500 के आसपास थी। यह अब 2019-20 में 900 विद्यार्थियों से अधिक है। स्कूल नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। यह पंजाब का यह एकमात्र स्कूल ही होगा, जहां यूकेजी से लेकर बाहरवीं तक सारी सीटें फुल हैं। अगले साल के लिए कुछ दाखिले एडवांस में लिए गए हैं।

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