सृष्टि से पूर्व भी शिव हैं व विनाश के बाद भी: जिदा बाबा
शिव की महिमा अनंत है और उनके रूप रंग और गुण भी अनंत हैं। समस्त सृष्टि शिवमय है। सृष्टि से पूर्व शिव हैं और इसके विनाश के बाद केवल शिव ही शेष रहते हैं।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : शिव की महिमा अनंत है और उनके रूप, रंग और गुण भी अनंत हैं। समस्त सृष्टि शिवमय है। सृष्टि से पूर्व शिव हैं और इसके विनाश के बाद केवल शिव ही शेष रहते हैं। शिव जी के अतिप्रिय महीने सावन पर मंगलवार को दलवाली के दुर्गा माता मंदिर में आध्यात्मिक विभूति राजिदर सिंह जिदा बाबा ने शिव महापुराण पर प्रवचन करते हुए उक्त विचार रखे। उन्होंने कहा, ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, परंतु जब सृष्टि का विस्तार संभव न हुआ तब ब्रह्मा ने शिव का ध्यान किया और घोर तपस्या की, तब शिवजी अर्द्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए। उन्होंने अपने शरीर के आधे भाग से शिवा (शक्ति या देवी) को अलग कर दिया। शिवा को प्रकृति, गुणमयी माया व निर्विकार बुद्धि के नाम से भी जाना जाता है। इसे अंबिका, सर्वलोकेश्वरी, त्रिदेव जननी, नित्य तथा मूल प्रकृति भी कहते हैं। इनकी आठ भुजाएं व विचित्र मुख हैं। अचित्य तेजोयुक्त यह माया संयोग से अनेक रूपों वाली हो जाती हैं। इस प्रकार सृष्टि की रचना के लिए शिव दो भागों में विभक्त हो गए, क्योंकि दो के बिना सृष्टि की रचना असंभव है। शिव सिर पर गंगा और ललाट पर चंद्रमा धारण किए हैं। उनके पांच मुख पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण व ऊध्र्वा जो क्रमश: हरित, रक्त, धूम्र, नील और पीत वर्ण के माने जाते हैं। उनकी दस भुजाएं हैं और इन हाथों में अभय, शूल, बज्र, टंक, पाश, अंकुश, खड्ग, घंटा, नाद और अग्नि आयुध हैं। इस अवसर पर राकेश कुमार, गोला पंडित, मनु पठानिया, प्रितपाल सिंह, भोली देवी, अरुणा कुमारी, सरोज बाला, बनबारी, सुदर्शन कुमार, रविद्र, चंद्र, राजिद्र, सुदेश कुमारी, अंजू बाला, सरोज शर्मा, अजय, अजीत सिंह, शाम सिंह उपस्थित थे।