बेसहारा पशुओं की समस्या हो रही विकराल, मेयर साहब आपका क्या है ख्याल
कुर्सी पर बैठने के बाद मेयर सुरिदर कुमार छिदा के लिए कई चुनौतियां हैं जिनका उन्हें सामना करना पड़ेगा। शहर की मुख्य समस्याओं का निदान करना बड़ा लक्ष्य है क्योंकि कई समस्याएं ऐसी हैं जिसके लिए लंबे चौड़े दावे तो पहले भी किए जाते हैं लेकिन अभी तक समस्या ज्यों की त्यों है।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : कुर्सी पर बैठने के बाद मेयर सुरिदर कुमार छिदा के लिए कई चुनौतियां हैं जिनका उन्हें सामना करना पड़ेगा। शहर की मुख्य समस्याओं का निदान करना बड़ा लक्ष्य है क्योंकि कई समस्याएं ऐसी हैं जिसके लिए लंबे चौड़े दावे तो पहले भी किए जाते हैं, लेकिन अभी तक समस्या ज्यों की त्यों है। इनमें से सबसे प्रमुख समस्या बेसहारा पशु हैं। यह पशु कई बार हादसों का कारण बन चुके हैं। इसके लिए पहले निगम हाउस ने कई योजनाएं तैयार की थी और दावा किया था कि समस्या का जल्द ही हल होगा। इसके लिए शहर में कैटल पाउंड बनाया गया। बेसहारा पशुओं का पता व संख्या का सही आंकड़ा मिल सके, इसके लिए बकायदा पशुओं की टैगिग की जानी थी पर अफसोस यह अधूरी है। निगम के पास यह आंकड़ा ही नहीं है कि शहर में कितने बेसहारा पशु हैं जो कैटल पाउंड में पहुंचाए जाने हैं। वहीं दूसरी बात अभी तक कई मीटिगों में यह डिस्कस हो चुका है कि पशुओं को पकड़ने के लिए बेहोश करने वाली गन (ट्रेंक्यूलाइजर गन) को खरीदा जाएगा जो आज तक नहीं खरीदी जा सकी। इसके लिए निगम फंड ही न जुटा सका। अब देखना यह है कि मेयर इस समस्या का हल कैसे करते हैं।
शहर में जगह-जगह घूमते हैं मवेशी
निगम व जिला प्रशासन के लाख दावों के बाद भी पशु शहर की बड़ी समस्या बन चुके हैं। आए दिन हादसों का कारण बनते रहते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कार्रवाई के दावों के बाद भी हालात नहीं सुधर रहे। हर चौक, हर सड़क पर खास तौर पर कूड़े के डंप के पास पशुओं का झुंड रहता है जो किसी की जिदगी का काल बन जाता है। चाहे वह ऊना, चंडीगढ़ रोड हो, रोशन ग्राउंड का इलाका हो, माडल टाउन हो या फिर शहर का अन्य कोई मोहल्ला, यहां बेसराहा पशुओं का झुंड आराम से देखने को मिलेगा। खतरे भरे हालात तो तब होते हैं जब सांड आपस में भिड़ते हैं पर उस समय निगम के मुलाजिम लाचार होते हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले जब माल रोड पर सांड़ भिड़ने लगे थे तो निगम मुलाजिमों के पास उन्हें पकड़ने या फिर शांत करने का कोई साधन नहीं था। हारकर फायर ब्रिगेड को बुलाया गया और पानी की तेज बौछारों से उन्हें भगाया गया।
पशुओं को पकड़ने के लिए नहीं हैं साधन पूरे
पशुओं को पकड़ने के लिए निगम के पास साधन ही पूरे नहीं है जिनके जरिए पशु कैटल पाउंड में पहुंचाए जा सके। नई सोच संस्था ने बेसहारा पशुओं को गोशाला में पहुंचाने का काम शुरू किया था परंतु वह अधर में ही रह गया। कारण, बड़े साडों को काबू करने के लिए जिस गन की जरूरत होती है वह अभी तक निगम ने नहीं खरीदी। या यूं कहें कि इस तरफ केवल मीटिगों में ही बातचीत होती है और आज तक ग्रांट नहीं मिली। बड़े-बडे़ सींगों वाले जानवर के पास से गुजरने पर राहगीरों को डर लगा रहता है कि कहीं ये घायल ही न कर दें।
टैगिग भी अभी है अधूरी
पशुओं को ट्रेस करने के लिए नगर निगम ने कुछ समय पहले पशुओं की टैगिंग शुरू की थी, लेकिन अभी तक यह मुहिम सिरे न चढ़ सकी। इसके बाद संस्था नई सोच ने बीड़ा उठाया कि समस्या के हल के लिए बेसहारा पशुओं को फ्लाही व अन्य गोशालाओं में पहुंचाएंगे। काफी हद तक काम हुआ भी, लेकिन बाद में यह भी अधर में लटक गया। कारण, कोई सरकारी मदद नहीं मिलना रहा।
जल्द किया जाएगा समस्या का हल : मेयर
मेयर सुरिदर कुमार छिदा ने बताया कि शहर की समस्याओं का हल करना प्राथमिकता है। और इन्हें जल्द दूर किया जाएगा। बेसहारा पशुओं के मामले में जितने भी प्लान अधूरे हैं उन्हें पूरा किया जाएगा। टैगिग करवाई जाएगी, पशुओं को पकड़ने के लिए ट्रेंक्यूलाइजर गन खरीदी जाएगी।