संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने के फैसले को सराहा
दातारपुर हिमाचल प्रदेश में जल्द ही पहला संस्कृत विश्वविद्यालय अस्तित्व में आने वाला है। प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और इसे शीघ्र ही मूर्तरूप दिया जा सकता है।
संवाद सहयोगी , दातारपुर: हिमाचल प्रदेश में जल्द ही पहला संस्कृत विश्वविद्यालय अस्तित्व में आने वाला है। प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और इसे शीघ्र ही मूर्तरूप दिया जा सकता है। 31 जुलाई से लेकर छह अगस्त तक संस्कृत सप्ताह के अवसर पर हिमाचल प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए संस्कृत के विद्वान प्रोफेसर हर्ष मेहता तथा शिक्षाविद सतपाल शास्त्री ने कहा कि हिमाचल में पहले ही संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा हासिल है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला में हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा अपनी शब्दावली, साहित्य, विचारों, भावों और मूल्यों में समृद्ध है। प्रोफेसर हर्ष मेहता तथा शिक्षा विद सतपालशास्त्री ने कहा कि संस्कृत भाषा अपनी प्राचीनता के कारण ग्रीक भाषा की तुलना में अधिक परिपूर्ण, लैटिन भाषा की तुलना में अधिक समृद्ध और इन दोनों की तुलना में अधिक परिष्कृत है।
उन्होंने कहा कि भारत के कुछ विद्यालयों में संस्कृत भाषा और पश्चिमी देशों के कुछ स्थानों में भी इसकी शिक्षा प्रदान की जाती है। भारत के वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ ही विश्व में भी संस्कृत भाषा के प्रति रुझान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए भी सबसे अच्छी भाषा माना जाता है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्वानों और संस्कृत अकादमी को इस भाषा को सामान्य भाषा बनाने के लिए सुझावों के साथ आगे आना चाहिए ताकि छात्रों को इस भाषा का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जा सके। मेहता तथा शास्त्री ने कहा कि संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने वाला हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य है जो बहुत प्रसन्नता का विषय है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार भी संस्कृत भाषा को बारहवीं कक्षा तक अनिवार्य विषय घोषित करे, ताकि अगली पीढ़ी को भी हमारी समृद्ध संस्कृति और धर्म का पता चल सके।