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बदलते मौसम में जरूर बरतें सावधानी : डॉ. सर्बजीत

होशियारपुर मौसम में आए बदलाव से ठंड शुरू हो गई है। तापमान में गिरावट आ

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Nov 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 18 Nov 2017 03:00 AM (IST)
बदलते मौसम में जरूर बरतें सावधानी : डॉ. सर्बजीत
बदलते मौसम में जरूर बरतें सावधानी : डॉ. सर्बजीत

व¨रदर बेदी, होशियारपुर

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मौसम में आए बदलाव से ठंड शुरू हो गई है। तापमान में गिरावट आने से कई प्रकार के वायरल इंफेक्शन पनपने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सभी को स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बुजुर्गो व बच्चों के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसे मौसम में खासकर 60 साल से ज्यादा उम्र वाले व्यक्ति को अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है। अगर ठंड में थोड़ी सी सावधानी बरती जाए, तो इस मौसम में होने वाले वायरल इंफेकशन से बचाव संभव है।

इस बारे में सिविल अस्पताल में तैनात एमडी मेडिसन डॉ. सर्बजीत ¨सह ने बताया कि मौसम के बदलाव की वजह से तापमान में कमी होने से इन दिनों ज्यादातर वायरल इंफेकशन, वायरल एलर्जी, रेसपेटरी इंफेकशन जैसे रोग पनपने लगते हैं। इस मौसम में खासकर दमा रोगी व हृदय रोगी को अपना ध्यान रखने की जरूरत है। थोड़ी सी सावधानी से काम लिया जाए, तो इन रोगों से बचा जा सकता है।

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सर्दी में ज्यादातर होते हैं ये रोग

तापमन कम होने से कई तरह के वायरल रोग सिर उठाना शुरू कर देते हैं। मौसम में खुश्की आने से सांस की तकलीफ, अस्थमा, चेस्ट इंफेक्शन, जैसे वायरल रोग होने लगते हैं। वहीं इन दिनों सबसे खतरनाक वायरल स्वाइन फ्लू है। ठंड बढ़ने से तापमान में आई कमी इस वायरस के लिए के लिए जीवनदायक साबित होती है।

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अस्थमा व दिल के मरीज खास ख्याल रखें

ऐसे मौसम में अस्थमा, दिल की बीमारी, उच्च रक्तचाप व मधुमेह रोगियों को खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। कम तापमान में शरीर का इम्यून सिस्टम वीक होने से ऐसे रोगियों को जल्द इंफेकशन होने का खतरा बढ़ जाता है।

बढ़ती उम्र में शरीर का इम्यून सिस्टम (अंदरुनी ताकत) कमजोर होने लगता है। जिससे शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो जाती है। इसमें शरीर में कई प्रकार की बीमारियां व वायरल इंफेकशन जल्द असर करने लगता है।

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लक्षण

सर्दी के मौसम में खांसी, रेशा, रेस्पेटरी एलर्जी, चेस्ट इंफेकशन आदि रोग होने लगते हैं। वहीं स्वाइन फ्लू के वायरल इंफेकशन के लक्षण थोड़े अलग होते हैं। स्लाइन फ्लू होने पर बुखार, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, सांस लेने में तकलीफ व बदन दर्द जैसी शिकायत होने लगती है। अगर ऐसा हो, तो तुरंत डॉक्टर का परामर्श लेने की जरूरत होती है।

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सावधानी व बचाव

-गर्म कपड़े पहने, तरल पदार्थ का सेवन करें व जितना हो सके आराम करें।

-अगर किसी को वायरल इंफेकशन हो, तो सीधा उसके संपर्क में जाने से बचें व उससे हाथ मिलाने से गुरेज करें।

-सफर करते समय मुंह व नाक ढंक चलें।

-वायरल इंफेकशन वाले भी छींकते समय रुमाल का इस्तेमाल करें, हाथों को साफ रखें।

-दमा रोगी ठंड व दस्त से बचाव रखें। मौसमी वायरल हो तो चार-पांच दिन में ठीक हो जाता है। अगर ज्यादा दिन तक ऐसी तकलीफ हो तो डाक्टर को दिखाना जरूरी है।


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