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पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति: महंत राजगिरी

श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा, आस्था व प्रेम के साथ कुछ भी भेंट किया जाय। पितृ पक्षपर चर्चा करते हुए महंत राज गिरी जी ने कहा पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन जल, जौ, कुशा, अक्षत, दूध, पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन किया जाता है। उन्होंने कहा पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है तथा पूर्वज प्रसन्न होकर पूरे वर्ष आपके दीर्घायु तथा प्रगति की कामना करते है। एक मास में दो पक्ष होते है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, एक पक्ष 15 दिन का होता है। उन्होंने कहा आ

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 04:13 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 04:13 PM (IST)
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति: महंत राजगिरी
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति: महंत राजगिरी

सरोज बाला, दातारपुर

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श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा, आस्था व प्रेम के साथ कुछ भी भेंट करना। पितृ पक्ष पर चर्चा करते हुए महंत राज गिरि ने कहा कि पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन जल, जौ, कुशा, अक्षत, दूध, पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन्न किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है तथा पूर्वज प्रसन्न होकर पूरे वर्ष आपकी दीर्घायु तथा प्रगति की कामना करते हैं। एक मास में दो पक्ष होते है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, एक पक्ष 15 दिन का होता है।

उन्होंने कहा आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के 15 दिन पितृ पक्ष के नाम से प्रचलित हैं। इन 15 दिनों में लोग अपने पूर्वजों/पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं। पितरों का ऋण श्राद्धों के द्वारा उतारा जाता है। वर्ष के किसी भी महीने या तिथि में स्वर्गवासी हुए पूर्वजों के लिए कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।

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विशेष मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार गृहस्थ को अपने पूर्वजों की निधन तिथि के दिन तृतीय प्रहर (अपराह्नकाल) में श्राद्ध करना चाहिए। इसलिए पितृ कर्म में अपराह्नव्यापनी तिथि ग्रहण करनी चाहिए। पूर्णिमा से अमावस्या के ये 15 दिन पितरों को कहे जाते हैं। इन 15 दिनों में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण किया जाता है। श्राद्ध को पितृ पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है।

इस साल 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। जिन घरों में पितरों को याद किया जाता है, वहां हमेशा खुशहाली रहती है। इसलिए पितृ पक्ष में पृथ्वी लोक में आए हुए पितरों का तर्पण किया जाता है।

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तर्पण

प्रत्येक दिन मध्याह्न 12 बजे से डेढ़ बजे के बीच तर्पण करना उचित है। इस अवसर पर कविराज राजिन्द्र मेहता, समाजसेवी डॉ. रविन्द्र ¨सह, विक्रांत मेहता, बनबारी लाल, सुदर्शन ऐरी, रमन गोल्डी व गोपाल शर्मा उपस्थित थे।


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