सतगुरु का फरिश्ता बन बहादुर रणजीत ने बचाई छह लोगों की जान
24 सितंबर का दिन वह अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकता। उन्हें तो लगा आज वह और उनका परिवार नहीं बचेगा लेकिन परमात्मा ने अपने फरिश्ते को भेज दिया और हमारे पूरे परिवार की जान बच गई। उनके साथ में उनका पांच दिन का बच्चा, दो नन्ही बेटियां, पत्नी व उसकी बहन थी। एक पल लगा वह इन सब को खो दूंगें। पानी का सैलाब मानों निगलने वाला था, उनकी आंखे बंद थी, पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी की डिलीवरी हुई थी और आप्रेशन के कारण उसका दर्द कम होने
जेएनएन, होशियारपुर
'24 सितंबर का दिन मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकता। मुझे लगा आज मैं और मेरा परिवार नहीं बचेगा। मगर, परमात्मा ने अपने फरिश्ते को भेज दिया और हमारे पूरे परिवार की जान बच गई। मेरे साथ पांच दिन का बच्चा, दो नन्ही बेटियां, पत्नी व उसकी बहन थी। एक पल को लगा मैं इन सभी को खो दूंगा। पानी का सैलाब मानो निगलने वाला था। उसकी आंखें बंद थी, पांच दिन पहले ही पत्नी की डिलीवरी हुई थी और ऑपरेशन के कारण उसका दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था। वहीं पानी रुपी मौत को देख पत्नी का दर्द और बढ़ गया। मगर, गांव के रणजीत ¨सह सूद फरिश्ते की तरह आए और हमें बचा कर ले गए। उक्त वाक्या को सोचकर आज भी रुह कांप जाती है। मगर, हम परमात्मा और उसके उस फरिश्ते के शुक्रगुजार हैं, जिसके कारण आज मेरा परिवार ¨जदा है।' यह कहना हैं गांव खुरालगढ़ साहिब के लख¨वदर ¨सह का। जो 24 सितंबर को भारी बारिश में पूरे परिवार सहित अपनी कार में गांव की खड्ड में फंस गए थे।
लख¨वदर ने बताया कि वह मुंबई में नौकरी करता है। थोड़े दिन पहले ही अपने गांव खुरालगढ़ साहिब आया था। उसकी पत्नी का बड़ा ऑपरेशन हुआ था। इसलिए उसे डॉक्टर को दिखाने वह परिवार सहित गढ़शंकर गया था। बरसात खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। डॉक्टर को दिखा कर कार में वह अपनी पत्नी राज¨वदर कौर, उसकी बहन व अपनी 14 वर्षीय व ढाई वर्षीय बेटी और पांच दिन के बेटे को साथ लेकर घर जा रहा था। गांव जाने के लिए खड्ड से गुजरना पड़ता है। मगर, उस दिन भारी बरसात के कारण खड्ड में पानी का बहाव बहुत तेज था। मुझे लगा कि मैं अपनी कार निकाल लूंगा। मगर, देखते ही देखते पानी कार को खींचने लगी। ऐसा लगा कि अब कार पानी के साथ ही बह जाएगी, लेकिन किसी तरह कार अटक गई। मगर, पानी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और मेरी कार डूबने लगी। कार में बच्चे व पत्नी चीखने-चिल्लाने लगे। मौत को देखकर मैं परमात्मा को याद करने लगा और अचानक मेरे ध्यान में गांव के रणजीत सूद का ख्याल आया। जिन्हें मैं चाचा जी कहता था। मैंने तुरंत रणजीत सूद को फोन मिला दिया और वह फरिश्ते की तरह आए और मेरे पूरे परिवार को पानी से निकाल लाए।
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चाचा मैनू बचा ले
तप स्थान श्री खुरालगढ़ साहिब के कैशियर व गांव के पूर्व सरपंच रणजीत सूद ने कहा कि जब लख¨वदर का उन्हें उस दिन दोपहर दो बजे के करीब फोन आया, तो उसने यही कहा चाचा मैनू बचा ले। गड्डी खड़ गई है। असीं रुड़ चल्ले आं। लख¨वदर के यह शब्द सुनते हुए वह अफरा-तफरी में बाहर आए और भाई को कहा कि ट्रैक्टर निकाल। भाई ने पूछा तो उसने उसे मामला बताया। उसने बाकी लोगों को भी बुलाया और ट्रैक्टर व जेसीबी की व्यवस्था कर वे खड्ड की तरफ निकल पड़े। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। लग रहा था जैसे आज सब कुछ डूब जाएगा।
5-7 मिनट में वह मौके पर पहुंच गए। देखा कि गाड़ी लगभग डूब चुकी थी और गाड़ी में बच्चे बिलख रहे थे। रणजीत सूद ने आव देखा न ताव, रस्सी का एक सिरा ट्रैक्टर के स्टेय¨रग के साथ बांधा और दूसरा सिरा अपनी कमर के साथ बांध कर खड्ड में छलांग लगा दी। पहले तो उसे ऐसा लगा कि वही पानी के साथ बह जाएगा। मगर, परमात्मा ने शायद मुझे इस काम के लिए चुना था। इसलिए मेरा हौसला कम नहीं हुआ और किसी रुकावट की परवाह न करते हुए कार तक पहुंच गया। साथ ही उन्होंने पीछे गांव के नौजवानों को भी कहा कि आप रस्सी पकड़ कर लाइन बना लो, ताकि परिवार के लोगों को निकाला जा सके। इस दौरान कार की खिड़की थोड़ी सी खुली थी। सबसे पहले लख¨वदर ने अपने पांच दिन के बच्चे को उनके हवाले किया और कहा चाचा जी इसनू बचा लो। इसने ता हजे दुनिया वी नहीं देखी। उसने कहा लख¨वदर हौंसला रख सतगुरु सब नू बचाएगा। रणजीत सूद ने पांच दिन के बच्चे को अपने हाथों में उठाया और उसे अपने साथियों के सहारे बाहर निकाल लिया। इसके बाद लख¨वदर की ढाई साल की व 14 वर्षीय बेटी को निकाला। उसके बाद उसकी पत्नी की बहन तथा फिर लख¨वदर को निकाला।
अब लख¨वदर की पत्नी को कार से निकालना था। मगर, ऑपरेशन के दर्द के कारण वह हिम्मत छोड़ चुकी थी और निढाल पड़ी थी। कार की खिड़की से निकलने की उसकी हिम्मत नहीं थी। रणजीत सूद ने उसे कहा कि हौसला रख वह तैनू बचा लवांगा। फिर उन्होंने कार की खिड़की तरफ पीठ कर उसकी बाजू पकड़ ली और अपनी पीठ पर उसे उठाकर पानी से बाहर ले आया। एक बार तो लगा कि राज¨वदर बह जाएगी, लेकिन सतगुरु की ऐसी कृपा रही कि पूरा परिवार सकुशल पानी के चक्रव्यूह से बाहर आ गया। परमात्मा ने भी उसे ऐसी स्थिति में जोश के साथ होश बख्शा। जिसके कारण वह इस परिवार को बचा पाया।
रणजीत सूद को खुशी इस बात की है कि उसके और साथियों के प्रयास से एक परिवार की जान बच गई। लख¨वदर व राज¨वदर ने कहा कि अगर रणजीत चाचा न होते, तो शायद हमारी जान नहीं बचनी थी।
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डीसी ने सराही रणजीत सूद की बहादुरी
डीसी ईशा कालिया ने रणजीत सूद की बहादुरी की सराहना करते हुए लोगों को रणजीत सूद से प्रेरणा लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे लोगों की मौजूदगी हमें हमेशा सुरक्षा का अहसास करवाती हैं और जिला प्रशासन रणजीत सूद की इस बहादुरी की कद्र करता है। उन्होंने कहा कि रणजीत ¨सह की बहादुरी के लिए जिला प्रशासन की ओर से उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा। बताते चलें कि रणजीत सूद सामाजिक गतिविधियों में हमेशा आगे रहते हैं। वह 11 बार रक्तदान भी कर चुके हैं।