कांग्रेस से असंतोष, अब बागी हुई संतोष
तीन दिन पहले तक पिपलांवाला में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष चौधरी के आवास पर टिकट मिलने की उम्मीदों का इंतजार था लेकिन हाईकमान की ओर से टिकट का राज बाहर आते ही संतोष चौधरी और उनके समर्थकों में असंतोष व्याप्त हो गया। टिकट कटने के बाद दिल्ली से होशियारपुर पहुंची संतोष चौधरी ने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक में टिकट कटने से आंसू भी छलके और गुस्सा भी दिखा।
हजारी लाल, होशियारपुर : तीन दिन पहले तक पिपलांवाला में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष चौधरी के आवास पर टिकट मिलने की उम्मीदों का इंतजार था, लेकिन हाईकमान की ओर से टिकट का राज बाहर आते ही संतोष चौधरी और उनके समर्थकों में असंतोष व्याप्त हो गया। टिकट कटने के बाद दिल्ली से होशियारपुर पहुंची संतोष चौधरी ने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। जिसमें टिकट कटने पर आंसू भी छलके और गुस्सा भी दिखा। बैठक में खास तौर पर दोआबा इंटक के प्रधान कर्मवीर बाली, कांग्रेस जिला महासचिव रमन कपूर, महिला मोर्चा की मीडिया प्रभारी भट्टी समेत करीबन तीस कार्यकर्ता मौजूद थे। हलका चब्बेवाल से विधायक डॉ. राज कुमार को टिकट देने का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने गुस्से में कहा कि हाईकमान दौलतमंदों की भूखी हो गई है। पार्टी की सच्ची सिपाही संतोष चौधरी की कद्र नहीं की, जबकि टिकट की हकदार संतोष चौधरी ही थीं। कार्यकर्ताओं ने सरेआम कहा कि वह संतोष चौधरी के साथ खड़े हैं और उन्हें कांग्रेस से नाता तोड़कर आजाद मैदान में कूदने का आह्वान किया। वहीं संतोष चौधरी ने अभी साफ शब्दों में आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के बारे में जुबान नहीं खोली, लेकिन उन्होंने यह बात कहकर साफ इशारा कर दिया कि वह कार्यकर्ताओं के बीच जाएंगी, उनकी बातें सुनेंगी। फिर कोई निर्णय सुनाएंगी। ऐसा कहकर साफ कर दिया कि इस बार टिकट कटने से वह चुप बैठनी वाली नहीं है। चुनाव मैदान में जरूर उतरेंगी जिस तरह से संतोष चौधरी गुस्से में है और वह कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने लगी हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के लिए नई मुश्किलें पैदा हो गई हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर संतोष चौधरी चुनाव मैदान में कूदती हैं तो कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
रोते हुए बोली चौधरी, जो दौलत कांग्रेस ढूंढती है, वह मेरे पास नहीं
बैठक में टिकट कटने का दर्द साफ झलक रहा था। माहौल तो उस समय गरमा गया जब संतोष चौधरी ने कार्यकर्ताओं को सुनने के बाद संबोधन करने उठीं। संबोधन करने के साथ ही संतोष चौधरी के आंसू छलकने लगे और वह रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। संतोष चौधरी बोले जा रही थीं और आंसू भी निकलना बंद नहीं हो रहे थे। आंसुओं को पोंछते हुए श्रीमती चौधरी ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान अब दौलतमंदों की पार्टी बनकर रह गई है। कांग्रेस जो दौलत ढूंढती है, वह उनके पास नहीं है। और जो दौलत उनके पास है, उसे कांग्रेस को जरुरत नहीं है।
अमरिदर को शहनशाह कहते कहा, उसने उतारा चौधरी परिवार का राजनीतिक ताज
उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ही रहे। दो टूक शब्दों में कहा कि अमरिदर ने ही उनकी टिकट कटाई है, क्योंकि वह अनुसुचित जाति से संबंध रखती हैं। मुख्यमंत्री अमरिदर सिंह को शहनशाह की संज्ञा देते हुए कहा कि इस शख्स ने उनके परिवार का राजनीतिक ताज उतारा है, तो ठीक है। खुश रहें, लड्डू बांटे। मगर, एक बात तय है कि जनता उनके साथ है। यह ही उनकी सबसे बड़ी दौलत है।
2009 में बनी थी सांसद, 2014 में नहीं मिली टिकट
बता दें कि 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर सांसद बनने वाली संतोष चौधरी की 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट कट गई थी। इस बार भी टिकट की दावेदार थीं, लेकिन हाईकमान ने हलका चब्बेवाल से विधायक डॉ. राजकुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके बाद से ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। दूसरी तरफ, कांग्रेस में मचे घमासान से भाजपा गुड फील कर रही है।
टिकट देने का फैसला हाईकमान का है। हाईकमान ने सोच समझकर ही टिकट दिया है। लेकिन पार्टी के फैसले से संतोष चौधरी को निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि पार्टी ही सुप्रीम होती है। वह पुरानी नेत्री हैं। निश्चित तौर पर पार्टी उनके बारे में कुछ न कुछ सोचेगी। जहां तक कार्यकर्ताओं की बात है तो यह नाराजगी नहीं, भावनाएं होती हैं। पूरी उम्मीद है कि संतोष चौधरी आजाद तौर पर चुनाव नहीं लड़ेंगी क्योंकि वह समझदार नेत्री हैं।
-डॉ. कुलदीप नंदा, जिला प्रधान कांग्रेस कमेटी होशियारपुर।