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कंडी में लुप्त होने की कगार पर गलगल फल

निबू प्रजाति के गलगल के फल उपलब्ध होने और उसके आचार का आनंद लेने के लिए अब लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि कंडी क्षेत्र के दातारपुर रामपुर कमाही देवी चमूही अमरोह रामगढ़ बह लखन बडला आदि में इसकी पैदावार बहुत कम हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 11:43 PM (IST)
कंडी में लुप्त होने की कगार पर गलगल फल
कंडी में लुप्त होने की कगार पर गलगल फल

सरोज बाला, दातारपुर : निबू प्रजाति के गलगल के फल उपलब्ध होने और उसके आचार का आनंद लेने के लिए अब लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि कंडी क्षेत्र के दातारपुर, रामपुर, कमाही देवी, चमूही अमरोह, रामगढ़, बह लखन, बडला आदि में इसकी पैदावार बहुत कम हो गई है। जबकि सबसे अधिक मात्रा में इस फल की पैदावार यहीं होती रही है। क्योंकि नीम पहाड़ी, गैर सिचित, ऊबड़-खाबड़ और पथरीले स्थानों में निबू प्रजाति अधिक पैदावार देती हैं, पर आजकल गलगल का फल लुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। हालत यह कि अब लोगों को आचार डालने के लिए गलगल के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं, जोकि चिता का विषय है। जबकि कुछ समय पहले तक यहां इनके सैकड़ों पेड़ थे, पर अब लोग मेहनत से कतराते हैं। नतीजतन पौधे रखरखाव की कमी के कारण सूखते गए और नए लगाने का काम हुआ नहीं, करीब डेढ़ दशक पहले कंडी इलाका और हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्र के अनेक गांवों में गलगल की बागवानी होती थी। एक पौधे से चार से पांच क्विटल गलगल की पैदावार होती थी। स्वाद में पूरी तरह खट्टेपन से युक्त यह फल सबसे ज्यादा आचार के काम ही आता है और इसके एक फल का वजन आधा किलो तक होता है। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई रोगों से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है। आयर्न की कमी को दूर करता है, पाचन तंत्र को दुरुस्त और गैस आदि बीमारियों को भी दूर करने में अत्यंत लाभदायक फल है। बाहरी राज्यों से आने वाली गलगल पर होना पड़ रहा निर्भर : शक्ति सिंह

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रामपुर के शक्ति सिंह, कमाही के बलदेव सिंह का कहना है। क्षेत्र में गलगल की भरपूर पैदावार होती थी। निबू प्रजाति की उचित देखभाल की जानकारी न मिलना और मार्केटिग सही न होने के कारण गलगल की बागवानी दम तोड़ती हुई दिख रही है। जिससे अब इसका स्वाद लेने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले गलगल पर निर्भर होना पड़ रहा है। गलगल की खेती में पहले अव्वल था कंडी : प्रकाश

प्रकाश सिंह, विनोद कुमार ने कहा कि पहले कंडी इलाका गलगल की खेती में अव्वल था, लेकिन निबू प्रजाति के इस तरह पांव उखड़ना कहीं न कहीं कोई कमी, तो आ गई है। क्षेत्र में पर्याप्त सिचाई साधन भी न होना भी बागवानी की राह में रोड़ा बन गए हैं। गलगल एक बहुत ही महत्वपूर्ण फल : संजीव

आयुर्वेद के ज्ञाता वैद्य संजीव भारद्वाज के मत में गलगल एक बहुत ही महत्वपूर्ण फल है, अपने में अनेक गुणों को लिए समेटे हुए है। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा मौजूद है। इस फल के सेवन से शरीर में रोगों से प्रतिरक्षण की ताकत मिलती है। गलगल का आचार बनाने के समय इसमें नमक की मात्रा बिलकुल हल्की रखनी चाहिए क्योंकि ज्यादा नमक के सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।


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