Move to Jagran APP

परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं होता: महंत राज गिरी

मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में प्रवचन करते हुए महंत राज गिरी ने कहा कि परोपकार करने के लिए ही नदियां बहती हैं पेड़ भी फलते-फूलते हैं हवा चलती है बादल बरसते हैं। सज्जन लोग भी परोपकार को ही अपना लक्ष्य मानते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 01:39 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 06:08 AM (IST)
परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं होता: महंत राज गिरी
परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं होता: महंत राज गिरी

संवाद सहयोगी, दातारपुर : मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में प्रवचन करते हुए महंत राज गिरी ने कहा कि परोपकार करने के लिए ही नदियां बहती हैं, पेड़ भी फलते-फूलते हैं, हवा चलती है, बादल बरसते हैं। सज्जन लोग भी परोपकार को ही अपना लक्ष्य मानते हैं।

prime article banner

सूर्य और चंद्रमा भी धूप प्रकाश और चांदनी सृष्टि के कल्याण के लिए देते हैं। उन्होंने कहा सूर्य की किरणों से ही हमें नाइट्रोजन मिलती है और इसी के चलते यह सभी वनस्पतियां उगती हैं, फसलें होती हैं, अन्न उत्पादन होता है। वायु हमें ऑक्सीजन देती है, जिसके बिना हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते।

उन्होंने कहा धरती मां भी सभी का भार धारण करती है। सभी के लिए अन्न जल वनस्पतियां खनिज धातुएं प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें भी इन सबसे प्रेरणा लेकर दूसरों का भला करने को तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि परोपकार करने से मनुष्य की आयु, विद्या, बल और बुद्धि भी बढ़ती है। इसलिए हमें जीवन में परोपकार करने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर अजय शास्त्री कवि राजेंद्र मेहता, डॉक्टर रविंद्र सिंह, रमन गोल्डी, अजीत सिंह, दर्शन कुमार, शाम लाल व बलकार सिंह उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.