परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं होता: महंत राज गिरी
मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में प्रवचन करते हुए महंत राज गिरी ने कहा कि परोपकार करने के लिए ही नदियां बहती हैं पेड़ भी फलते-फूलते हैं हवा चलती है बादल बरसते हैं। सज्जन लोग भी परोपकार को ही अपना लक्ष्य मानते हैं।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में प्रवचन करते हुए महंत राज गिरी ने कहा कि परोपकार करने के लिए ही नदियां बहती हैं, पेड़ भी फलते-फूलते हैं, हवा चलती है, बादल बरसते हैं। सज्जन लोग भी परोपकार को ही अपना लक्ष्य मानते हैं।
सूर्य और चंद्रमा भी धूप प्रकाश और चांदनी सृष्टि के कल्याण के लिए देते हैं। उन्होंने कहा सूर्य की किरणों से ही हमें नाइट्रोजन मिलती है और इसी के चलते यह सभी वनस्पतियां उगती हैं, फसलें होती हैं, अन्न उत्पादन होता है। वायु हमें ऑक्सीजन देती है, जिसके बिना हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा धरती मां भी सभी का भार धारण करती है। सभी के लिए अन्न जल वनस्पतियां खनिज धातुएं प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें भी इन सबसे प्रेरणा लेकर दूसरों का भला करने को तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि परोपकार करने से मनुष्य की आयु, विद्या, बल और बुद्धि भी बढ़ती है। इसलिए हमें जीवन में परोपकार करने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर अजय शास्त्री कवि राजेंद्र मेहता, डॉक्टर रविंद्र सिंह, रमन गोल्डी, अजीत सिंह, दर्शन कुमार, शाम लाल व बलकार सिंह उपस्थित थे।