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पांच दिन में पुलिस नहीं ढूंढ पाई वन रेंज अफसर का शव, मजदूरों ने देखा, हत्या की आशंका

संवाद सहयोगी, होशियारपुर खड़कां के जंगल में मंत्री के दौरे की तैयारियों का जायजा लेने

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 06:56 PM (IST)
पांच दिन में पुलिस नहीं ढूंढ पाई वन रेंज अफसर का शव, मजदूरों ने देखा, हत्या की आशंका
पांच दिन में पुलिस नहीं ढूंढ पाई वन रेंज अफसर का शव, मजदूरों ने देखा, हत्या की आशंका

संवाद सहयोगी, होशियारपुर

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खड़कां के जंगल में मंत्री के दौरे की तैयारियों का जायजा लेने के दौरान लापता हुए वन रेंज अफसर विजय कुमार को जिला पुलिस पांच दिन की कड़ी मशक्कत के बाद भी ढूंढ नहीं पाई। यहां तक की पुलिस के डॉग स्क्वॉयड भी फेल हो गए, लेकिन वीरवार को खड़कां के ही जंगल से मजदूरों ने वन रेंज अफसर के शव को देखा, तो यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। वन रेंज अफसर के शव को देखकर प्रतीत हो रहा है कि उसने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि उसकी हत्या की गई है। हत्यारों ने बड़े शातिराना ढंग से उसे आत्महत्या करार देने की कोशिश की है।

बड़ी हैरानीजनक बात है कि विजय कुमार का शव खड़कां के जंगल में उसी स्थान से मिला, जिसके ईर्दगिर्द पुलिस और वन विभाग की टीम खाक छान रही थी। विजय कुमार की कार रिसर्च सेंटर खड़कां के आफिस के पास खड़ी है। पुलिस बता रही थी कि दो किलोमीटर के दायरे में सर्च आपरेशन चलाया गया था, मगर विजय कुमार का कुछ भी पता नहीं चल रहा था। थाना सदर के एएसआइ सेवा ¨सह ने बताया कि पुलिस का डॉग स्क्वायड भी जंगल में लेकर गए थे मगर वह भी कुछ दूरी पर जाकर वापस आ गया था।

खुले मैदान में पड़ा था विजय का शव

रिसर्च सेंटर के बाहर विजय की कार पीबी07एजे9306 खड़ी है। वन विभाग और पुलिस उससे दो किलोमीटर की दूरी तक पिछले तीन दिन से विजय की तलाश कर रही थी। वीरवार सुबह रिसर्च सेटर से चार सौ मीटर की दूरी पर खुले मैदान में विजय कुमार का शव पड़ा था। शव को मजदूरों ने देखा। उसे देखकर सभी हैरान हुए कि तीन दिन से पता नहीं कितनी बार इस स्थान से निकले, पर किसी को भी शव दिखाई नहीं दिया। फिर वीरवार को शव कहां से आ गया। शव से नहीं आ रही थी बदबू

विजय कुमार के शव से किसी भी प्रकार की बदबू नहीं आ रही थी। ऐसे कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर विजय कुमार का शव तीन चार दिन से पड़ा था, तो शव से बदबू क्यों नहीं आ रही थी। अब तक तो शव सड़ चुका होता। सोमवार को सारा दिन बारिश भी हुई थी, लेकिन विजय कुमार के कपड़े पूरी तरह से सूखे थे। यह ही साफ इशारा करता है कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।

जहां पर मिला शव, वहां पत्नी भी कर चुकी थी तलाश

विजय कुमार की पत्नी रजनी पिछले पांच दिन से ही अपने पति की तलाश के लिए दर-दर भटक रही थी। रजनी देवी अपने बच्चों को बताए बगैर ही पति की तलाश में पागलों की तरह इधर-उधर तलाश कर रही थी, क्योंकि उसे पता था कि पति वन विभाग के अधिकारियों की वजह से परेशान चल रहा है। वह यही सोच रही थी कि विजय कुमार सकुशल घर वापस आ जाएं उसके बाद ही सोचेंगे आगे क्या करना है। यह भी बड़ी हैरानी की बात है की कि जहां से विजय कुमार का शव मिला है, वहां पर पत्नी ढूंढ चुकी है, उस दौरान तो शव नहीं था। विजय की हत्या करके शव फेंका गया

विजय कुमार का शव मिलते ही वन विभाग यूनियन ने विजय के पक्ष में एक बैठक बस्सी जाना पार्क में कर कहा कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है। अब इस केस को कुछ उच्च अधिकारी और उनके चमचे इस बात को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। मगर यूनियन पूरी तरह से विजय कुमार और उसके परिवार के साथ खड़ी है। वह सच्चाई का पता लगा कर ही दम लेगी। बेटे के विदेश से आने के बाद होगा पोस्टमार्टम

विजय कुमार का शव मिलते ही सारे वन विभाग में हड़कंप सा मच गया है। यहां वन रेंज यूनियन विजय के पक्ष में खड़ी हो गई है। वन विभाग के तीन रेंज अफसर शव मिलते ही उसके परिवार पर यह दबाव बना रहे थे कि किसी प्रकार शव का पोस्टमार्टम हो जाए और अंतिम संस्कार कर दिया जाए। उसके बाद कुछ नहीं बनेगा। मगर विजय कुमार की पत्नी रजनी देवी ने कहा है कि बड़े बेटे हर्ष जो विदेश में पढ़ाई कर रहा है, के विदेश से आने के बाद ही शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। कहीं गुमराह करने के लिए सुसाइड नोट तो नहीं

हालांकि पुलिस ने तो सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक पुलिस को सुसाइड नोट मिला है। विजय कुमार ने सुसाइड नोट में अपनी पत्नी रजनी को यह लिखा है कि वन विभाग में पिछले कुछ समय से सब कुछ ठीक नहीं हो रहा है। बगैर बात के टार्चर किया जा रहा है। वन अधिकारी बनती बात को भी गलत पेश करके परेशान कर रहे हैं। इसीलिए मैं अपनी ¨जदगी से तंग आ गया हूं। मुझे क्षमा करना की मैं अपने विभाग के अधिकारियों की वजह से तुझे जिंदगी का वह सुख और आराम नहीं दे पाया जिसकी तुम सही मायने में हकदार हो। मुझे माफ करना मैं तुझे बीच रास्ते छोड़कर जा रहा हूं। शव के पास ही एक बोतल मिली है। मगर, आशंका जताई जा रही है कि कहीं सुसाइड नोट गुमराह करने के लिए तो नहीं? हत्या करके शव जंगल में फेंकने की आशंका

शव को देखकर लग रहा था की कि जैसे विजय कुमार का हाथ मरोड़ा गया हो। उनके माथे पर भी चोट के निशान दिख रहे थे। सारे पहलुओं को देखकर लगता है कि किसी ने साजिश के तहत हत्या करके विजय कुमार के शव को जंगल में ठिकाने लगा दिया। हालात यह भी बताते हैं कि उसकी हत्या कहीं और पर की गई है। वन विभाग की यूनियन का आरोप, डीएफओ करता था तंग

वन विभाग की यूनियन के प्रधान इकबाल सिंह का आरोप है कि डीएफओ नरेश महाजन वन रेंज अफसर को अनायास मानसिक तौर पर परेशान करता था। इस वजह से विजय कुमार काफी दुखी थे। इस बात को उन्होंने अपनी पत्नी को भी बताया था।

वहीं, डीएफओ नरेश महाजन को फोन किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

अभी कुछ कहना मुश्किल है। पुलिस हरेक एंगल से काम कर रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।

-स¨तदर कुमार चड्ढा, डीएसपी सिटी होशियारपुर। ये चीजें खोलेंगी

-मौके से मिले सुसाइड नोट का पुलिस विजय कुमार के हैंड राइ¨टग से मैच करवाएंगी। उसके बाद तस्वीर साफ होगी कि सुसाइड नोट की सच्चाई क्या है?

-विजय कुमार के शव का पुलिस बोर्ड बैठाकर पोस्टमार्टम करवाएगी। पोस्टमार्टम में काफी कुछ क्लीयर हो जाएगा। मसलन मौत कितने घंटे पहले हुई है और मौत की वजह क्या रही है।


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