जंगलों की निशानदेही न होने काट रहे हैं पेड़
एक तरफ पूरे देश में कम हो रहे वनों को लेकर ¨चता का विषय बना हुआ है। सरकारों द्वारा करोड़ो रुपए खर्च कर अलग -अलग स्कीमें चलाई तो जाती है, लेकिन सरकारों व वन विभाग द्वारा इस प्रति पूरी गंभीरता न दिखने के कारण जंगल लुप्त होते जा रहे है। इसी तरह अगर बात पंजाब करे तो एक सर्वे के मुताबिक वनों का क्षेतर्फल करीब 6.7 प्रतिशत बताई जा रही है। होशियारपुर जिले में लगभग 21 प्रतिशत वन है। रेंज मुकेरियां भी अधिकतम वन वाला क्षेत्र है। लेकिन प्रशासन
सचिन शर्मा, मुकेरियां : पूरे देश में कम हो रहे वनों को लेकर पर्यावरणविद् चिंतित हैं। लेकिन, मुकेरियां में वनों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की ग्राउंड रिपोर्ट जीरो है। हालात यह है जहां सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर पौधरोपण की अलग अलग योजनाएं चला रही हैं। मुकेरियां में अधिकारियों की उदासीनता के कारण करोड़ों रुपये के जंगल बर्बाद हो रहे हैं। पेड़ कट रहे हैं, जंगलों पर अतिक्रमण हो रहा है। प्रशासन व वन विभाग की ढीली कार्यप्रणाली के कारण रेंज मुकेरियां के अंतर्गत पड़ते करीब 13 जंगल बर्बाद होने की कगार पर खड़े हैं। लगातार वन की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है और पेड़ काटे जा रहे हैं पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। पिछले लंबे समय से इन 13 जंगलों की निशानदेही ही नहीं हो पा रही है। इसका लाभ सीधे तौर पर वन माफिया व भू माफिया ले रहे हैं। वन माफिया व भूमिया लगातार पेड़ काट रहे हैं और अपना कब्जा बढ़ा रहे हैं।
इन गांवों में नहीं हुई निशानदेही वनों की निशानदेही न हो पाना अपने आप में विभाग की बड़ी कमजोरी है। इलाके के 13 गांव निशादेही से वंचित हैं। ब्यास नदी के पार महिताबपुर में 40 एकड़, मोतलाकी 65 एकड़, गांव हलेड जनार्दन में 55 एकड़, हलेड़ दलपत में 54, नौशहरा में 3 एकड़, होशियारपुर कलोता में 9 एकड़, मुरादपुर में 52 एकड़, बगड़ोई में 9 एकड़, बाऊपुर में 57 एकड़, नाहरपुर में 7 एकड़, अमीरपुर में 40 एकड़, मोली में 92 एकड़, तलुवाल में 4 एकड़ आदि सरकारी जंगलों की निशानदेही नहीं हो रही। समाजसेवी संस्थाएं तो पौधरोपण कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रशासन की इस ढीली कार्रवाई कहीं न कहीं भू माफिया से मिलीभगत की और इशारा कर रही है।
तीन साल के लिख रहा हूं पत्र पर नहीं हो रही कार्रवाई
मोहन ¨सह वन रेंज अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर 2015 में उन्होंने मुकेरियां में कार्यभार संभाला था। इसके बाद उन्हें जंगलों की निशानदेही न होने के बारे में पता चला। मामला गंभीर था, जिसके चलते उन्होंने एसडीएम व तहसीलदार मुकेरियां को दिसंबर 2015 से सरकारी जंगलों की निशानदेही के लिए पत्र लिखा। एक नहीं बार-बार पत्र लिखे, लेकिन तीन साल से ज्याद समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वन रेंज अधिकारी ने बताया कि उन्होंने जब कोई कार्रवाई नहीं होती देखी तो उन्होंने डीएफओ अटल महाजन से बात की और अटल महाजन ने तुरंत इस मामले पर कार्रवाई करते हुए पठानकोट से वन विभाग का कानगो भेजा और गांव महिताबपुर की 340 एकड़ जमीन से 300 एकड़ से नाजायज कब्जे छुड़वा कर पौधे लगवाए। इसके अलावा वन विभाग की नहरों, सड़कों, रेलवे लाइनों के किनारों आदि से कब्जे छुड़वा कर पौधे लगवाए।
फारेस्ट एक्ट 1980 की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां कट रहे हैं पेड़
जानकारी अनुसार जो इलाका जंगल का होता है वहां पर फारेस्ट एक्ट 1980 लगता है और इसके तहत कोई भी व्यक्ति जंगल के पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचा सकता यहां तक की जंगल में दातर, कुलहाड़ी तक लेकर जाना अपराध माना जाता है लेकिन इलाके में निशानदेही न होने के कारण हर रोज पेड़ कट रहे हैं। अतिक्रमण करने वाले हर रोज धड़ले से निशानदेही न होने का फायदा उठा रहे हैं और अतिक्रमण के सहारे पेड़ काट रहे हैं। लगातार जंगल बर्बाद हो रहे हैं।
एप्लिकेशन आई हैं हमने आगे मार्क की हैं : तहसीलदार
इस संबंध में जब तहसीलदार मनदीप ¨सह मान बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे पास रुटीन में शिकायतें आई हैं और हमने आगे अधिकारियों को मार्क की थी। हमने अपने काम में कोई कमी नहीं छोड़ी।
एसडीएम एप्लिकेशन के नाम पर मुकरे, कहा नहीं आई कोई एप्लिकेशन
एसडीएम आदत्यि उप्पल ने कहा कि हमारे पास कोई एप्लिकेशन नहीं पहुंची हैं। यदि एप्लिकेशन आई होती तो कार्रवाई जरूर होती।