संगत ने किया गुरबाणी का शबद गायन
चाहे हम कितना भी पूजा-पाठ कर लें या भक्ति कर लें, परमात्मा भी तभी खुश होते हैं। यदि हम एक दूसरे का आदर व प्रेम करें, ऊंच-नीच का भेदभाव ़खत्म कर आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा दें न कि एक दूसरे से नफरत करें। क्योंकि सभी गुरु साहेबान भी हमें आपसी एकता का संदेश देते है। सतगुरु दलीप ¨सह जी ने भी गुरबाणी अनुसार सभी को आपसी विरोधता और वैर-भाव छोड़कर मिल-जल कर आगे बढ़ने का संदेश दे रहे हैं। उनके इस महान संदेश के अनुसार दसू
संवाद सहयोगी, दसूहा
चाहे हम कितना भी पूजा-पाठ कर लें या भक्ति कर लें, परमात्मा भी तभी खुश होते हैं यदि हम एक-दूसरे का आदर व प्रेम करें। ऊंच-नीच का भेदभाव ़खत्म कर आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा दें न कि एक दूसरे से नफरत करें। सतगुरु दलीप ¨सह जी ने भी गुरबाणी अनुसार सभी को आपसी विरोधता और वैर-भाव छोड़कर मिल-जलुकर आगे बढ़ने का संदेश दे रहे हैं। दसूहा में जारी जप-प्रयोग के दौरान भी इन बातों को क्रियात्मक रूप में लाया जा रहा है। प्रतिदिन नामधारियों के साथ अन्य सम्प्रदायों की सिक्ख-संगत तथा हिन्दू भाई भी शामिल होते हैं और समागम की शोभा बढ़ाते हैं।
इस सिमरन-साधना के समागम में वीरवार सुबह यमुना नगर के जत्थे द्वारा आसा की वार के कीर्तन के बाद जप-साहिब का पाठ बीबी सतवीर कौर ने किया। संगत से मिलकर गुरबाणी का शबद गायन किया गया। फिर इसी तरह दोपहर व शाम को भी कथा-कीर्तन और नाम-सिमरन का प्रवाह चला। इस मौके पर संत बूटा ¨सह जी, जत्थेदार दलबीर ¨सह, म¨हदर ¨सह, सुख¨वदर ¨सह, रघबीर ¨सह पटवारी, बल¨वदर ¨सह जी डुगरी, बीबी सतवंत कौर, बीबी गुरवंत कौर, बीबी हर¨जदर कौर और बीबी दर्शन कौर तथा अन्य संगत भी हा•िार थी।