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सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु बन रहे हादसों का कारण, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

बेसहारा पशुओं की समस्या नगर निगम होशियारपुर के लिए नासूर बन गई है। चाहे कहने को होशियारपुर को मिनी कांशी कहा जाता है लेकिन कैटल पौंड होने के बाद भी यह बेसहारा पशु सड़कों पर आम घूमते दिखाए देते है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 10:46 PM (IST)
सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु बन रहे हादसों का कारण, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु बन रहे हादसों का कारण, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : बेसहारा पशुओं की समस्या नगर निगम होशियारपुर के लिए नासूर बन गई है। चाहे कहने को होशियारपुर को मिनी कांशी कहा जाता है, लेकिन कैटल पौंड होने के बाद भी यह बेसहारा पशु सड़कों पर आम घूमते दिखाए देते है। अकसर यह हादसे का कारण बनते हैं। बता दें कि नगर निगम व जिला प्रशासन कई बार दावे कर चुका है कि इस समस्या का हल तुरंत किया जाएगा लेकिन आज तक समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। कुल मिलाकर जमीनी स्तर पर इन सारे दावों को अमलीजामा पहनाने की जहमत नहीं उठाई जा रही। हालात यह है कि शहर में किसी भी इलाके में जाएं आपको सड़कों पर बेसहारा पशु घूमते हुए मिल जाएंगे। कई जगहों पर तो हालात ऐसे होते हैं कि यातायात ही थम जाता है। वहीं कई बार यह बेसहारा पशु हादसों का कारण बन जाते हैं। जहां दिल करे डेरा जमाकर बैठ जाते हैं। या फिर आपस में ही भिड़ने लगते है। इनकी वजह से कई बार हादसे हो चुके हैं जिसमें कुछ लोग घायल हो चुके हैं तो कुछ को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। करोड़ों खर्चे पर नहीं मिला लाभ

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शहर में प्रशासन द्वारा दो-दो कैटल पौंड बनवाए गए हैं। शहर के भंगी चोअ के पास बना कैटल पौंड निगम के अधीन है। वहीं गांव फलाही में बनाया गया कैटल पौंड स्थानीय प्रशासन के अधीन है। दो-दो कैटल पौंड होने के बावजूद लोगों को अभी तक पूरी तरह से आवारा पशुधन से निजात मिलती नजर नहीं आ रही। निगम अधिकारियों का दावा था कि कैटल पौंड बनने के बाद शहर में लावारिस पशुओं से निजात मिल जाएगी। मगर दोनो कैटल पौंड को बने भी करीब दो साल से ऊपर का समय बीत चुका है, मगर फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो सका। इसके अलावा निगम अधिकारियों द्वारा हाउस में प्रस्ताव पास कर सभी पशुधन की टैगिग करने के बारे में भी कहा गया था। जिससे की अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। टैगिंग करने से एक ओर जहां लावारिस पशुधन की गिनती का पता चल सकता है, वहीं लावारिस व निजी पशुधन की पहचान भी आसान हो जाती है। पशु काबू करना भी बड़ी समस्या

बेसहारा पशुओं को पकड़ कर कैटल पाउंड तक पहुंचाना ही सबसे बड़ी समस्या है। चूंकि निगम के मुलाजिमों के लिए पशु काबू करना अपने आप में बड़ी चुनौती है, लेकिन आज तक इस समस्या का हल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले निगम द्वारा पशुओं को बेहोश करने वाली गन (ट्रेंक्यूलाइजर गन) के लिए हाउस में प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजा गया था। इसे सरकार द्वारा मंजूर भी कर लिया गया था। इसका टेंडर भी लग गया था। पर हैरानी इस बात की है किइतना समय बीतने के बावजूद इस बारे में कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।

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जल्द होगा समस्या का हल : मेयर

मेयर सुरिदर कुमार छिदा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस समस्या का जल्द ही हल किया जाएगा। जो भी समस्या है या इस काम में रुकावट की वजह है, उसे दूर किया जाए। ताकि लोगों को समस्या से निजात मिल सके।


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