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ब्लड मनी देकर दुबई में मौत की सजा से मिली माफी

माहिलपुर भगवान का शुक्र है कि बेटा घर पहुंचा है। बेटे की याद में पारि

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 08:30 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 08:30 PM (IST)
ब्लड मनी देकर दुबई में मौत की सजा से मिली माफी
ब्लड मनी देकर दुबई में मौत की सजा से मिली माफी

संवाद सहयोगी, माहिलपुर

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भगवान का शुक्र है कि बेटा घर पहुंचा है। बेटे की याद में पारिवारिक सदस्य तड़पते रहते थे कि न जाने क्या होगा, लेकिन भगवान ने उनकी सुन ली और फिर से घर में खुशियों का माहौल है। माहिलपुर के गांव हबेली में चंद्रशेखर के घर में सोमवार को दीपावली जैसा माहौल था। ऐसा होता भी क्यों न, क्योंकि बेटा चंद्रशेखर मुसीबतों की जंजीरों से बाहर निकल कर दुबई से घर जो पहुंचा था।

चंद्रशेखर को एक पाकिस्तानी युवक की हत्या में दस युवकों के साथ मौत की सजा सुनाई गई थी। परिवार अब ब्लड मनी देकर बेटे को भारत लाने में कामयाब हुआ है।

चंद्रशेखर के पिता मनजीत ¨सह व माता रणजीत कौर ने बताया कि 3 दिसंबर, 2014 को उनका सबसे बड़ा बेटा चंद्रशेखर घर के हालात कुछ सुधारने के लिए दुबई गया था। कुछ समय पहले तक वहां पर वह अच्छा काम करता रहा।

इसी बीच, दुबई में पाकिस्तानी युवक इजाद की हत्या हो गई। इस आरोप में दस भारतीय युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसमें हबेली का रहने वाला चंद्रशेखर भी नामजद था। यह खबर सुनकर परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।

कोर्ट में ट्रायल के बाद पाकिस्तानी युवक इजाद की हत्या में चंद्रशेखर समेत बाकी दस लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। इससे परिवार सदमे में था कि क्या करें। मगर, परिवार को उस समय उम्मीदों की किरण दिखी जब सरबत दा भला ट्रस्ट के अध्यक्ष एसपीएस ओबराय ने मामले को अपने हाथों में लिया। पहले तो मृतक युवक के परिजन काफी बड़ी रकम की मांग कर रहे थे। फिर मामला 60 लाख रुपये ब्लड मनी देने पर तय हो गया। इसके बाद ईजाद के पिता खुद दुबई की अदालत में पेश हुए और बतौर ब्लड मनी 60 लाख रुपये लेने के लिए राजी हो गए और अदालत ने उसकी स्टेटमेंट लेने के बाद सभी 10 हत्या आरोपितों को अदालत ने 12 अप्रैल को माफी दे दी। इसके बाद उक्त सभी 10 आरोपितों ने मिलकर ब्लड मनी दे दी।

चंद्रशेखर की मां ने बताया कि उसके परिवार के लिए खुशी का इससे बड़ा कुछ नहीं था, जिस दिन उन्हें यह समाचार मिला कि उनके पुत्र को जीवन दान मिल गया है। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर एक रोटी की जगह आधी रोटी खाकर गुजारा कर लेगा, मगर वह अब कभी विदेश नहीं जाएगा। चंद्रशेखर की दो बहनों में से एक कमलजीत कौर की अभी 6 माह पहले ही शादी हुई है, उससे छोटी बहन दलजीत कौर घर में रह कर घर का काम करती है। जबकि एक छोटा भाई पर¨वदर 10वीं पास करके कोई काम सीख रहा है। पिता भी मेहनत मजदूरी करते हैं। आज उसके पुत्र की सजा माफी देकर भगवान ने उसके परिवार को सबसे बड़ा तोहफा दिया है। आज चंद्रशेखर के घर पहुंचने पर घर में दीपावली से कम खुशी नहीं है और परिवार में पूरे जश्न का माहौल है। चंद्रशेखर भी घर पहुंच कर भगवान का लाख-लाख शुक्र मना रहा है।


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