सच्चा सुख केवल भगवान के चरणों में : मुकेश
शक्ति दुर्गा मंदिर नजदीक गजानन चौक दातारपुर में महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी की अध्यक्षता में और सुश्री देवा जी के तत्वावधान में तत्वावधान में हो रही भागवत कथा में आज कथा प्रवक्ता मुकेश वसिष्ठ ने कहा भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा है। उन्होंने कहा सच्चा सुख केवल भगवान के चरणों में है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : शक्ति दुर्गा मंदिर नजदीक गजानन चौक दातारपुर में महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी की अध्यक्षता में और सुश्री देवा जी के तत्वाधान में हो रही श्रीमद् भागवत कथा में आज कथा प्रवक्ता मुकेश विशिष्ट ने कहा भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा है। उन्होंने कहा सच्चा सुख केवल भगवान के चरणों में है। भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है। इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। विशिष्ट ने कहा कि भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है। इसके श्रवण करने से मनुष्य अमृत हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है जिसे पढ़ सकते हैं और सुन सकते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा चरित्र शुद्ध करने का मंत्र है। यह भगवान की वाणी है और इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। गंगा, यमुना और सरस्वती का मुख भी यही है। मृत्यु का भय दूर करने वाला ग्रंथ है।
इस मौके पर श्रद्धालु किस्मत बदल जाते हैं भागवत में आने से, सावरे भी मिल जाते हैं भागवत में आने से भजन पर झूम उठे। जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मिणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं। उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण मथुरा गमन और रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंगों पर विस्तृत विवरण दिया। रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुक्मिणी के भाई ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित किया था लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी। शिशुपाल असत्य मार्गी हैं और द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण सत्यमार्गी हैं। इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएंगी। अत: भगवान द्वारिकाधीश ने रुक्मिणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। इस अवसर पर गणेशोत्सव कमेटी के प्रधान बॉबी कौशल, कुलदीप शारदा, हरबंस लाल, नरेश उपस्थित थे। श्रीमद् भागवत कथा भगवान का स्वरूप
श्रीमद् भागवत भगवान का स्वरूप है। इसके सुनने से 17 पुराणों का फल मिलता है। सही और गलत का निर्णय करने को ही ज्ञान कहा जाता है। मेरा कोई क्या कर लेगा, यह अहंकार और अभिमान है। बुद्धि धुंधली होगी तो सही गलत का निर्णय नहीं हो सकता है। मां का दर्जा दुनिया में सबसे ऊंचा है। मां जैसा रिश्ता इस दुनिया में और कोई नहीं है और मां के दिल जैसा भी और कोई नहीं है।