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बीमार सरकारी व्यवस्था से पीड़ित चिकित्सक, छोड़ रहे नौकरी

सरकारी फरमानों के चलते सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का ड्यूटी से मोह भंग हो रहा है। समय से पहले ही वह सेवाओं को बाय-बाय कहकर प्राइवेट अस्पतालों में काम करने में ज्यादा अच्छा महसूस कर रहे हैं। कुछ समय में जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल से एक दर्जन चिकित्सकों ने सरकार को यह संकेत देने की कोशिश की है कि आपकी व्यवस्था ठीक नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 03:34 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 03:34 PM (IST)
बीमार सरकारी व्यवस्था से पीड़ित चिकित्सक, छोड़ रहे नौकरी
बीमार सरकारी व्यवस्था से पीड़ित चिकित्सक, छोड़ रहे नौकरी

हजारी लाल, होशियारपुर : सरकारी फरमानों के चलते सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का ड्यूटी से मोह भंग हो रहा है। समय से पहले ही वह सेवाओं को बाय-बाय कहकर प्राइवेट अस्पतालों में काम करने में ज्यादा अच्छा महसूस कर रहे हैं। कुछ समय में जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल से एक दर्जन चिकित्सकों ने सरकार को यह संकेत देने की कोशिश की है कि आपकी व्यवस्था ठीक नहीं है। वहीं कुछ डॉक्टर बीस साल पूरे होने के इंतजार में हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं में बेहद ही सुधार की जरूरत है। अब सर्जन डॉ. रमन अत्री ने भी बीस साल की सर्विस मुकम्मल होने के बाद सरकारी नौकरी छोड़ दी है।

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बताते चले कि कुछ साल पहले सरकारी अस्पताल में तैनात रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अनिल सलूजा ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेकर राज स्कैन सेंटर में ज्वाइन कर लिया था। इसके बाद रेडियोलॉजिस्ट की कमी खलने लगी थी। इस परेशानी से अस्पताल अभी उबर नहीं पाया था कि तबादला कहीं और किए जाने से आहत महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु नारद ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सरकारी व्यवस्था से दुखी मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. दलजीत सिंह खेला ने भी सर्विस पूरी करने के बाद सेवानिवृत्ति लेकर मॉडर्न अस्पताल में ज्वाइन कर लिया। अभी कुछ दिन पहले एसएमओ डॉ. गुरमीत सिंह ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। हड्डी रोग विशेषज्ञ एसएमओ डॉ. जेएस धामी, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मीनू और सर्जन डॉ. राजेश मेहता भी सरकारी नौकरी को छोड़ चुके हैं।

वीआइपी ड्यूटी, असुविधा व बदली है कारण

व्यवस्था में खामियां होने की वजह से डॉक्टरों का मोह भंग हो रहा है। जैसे कि वीआइपी ड्यूटी में झोंक देना। स्वास्थ्य विभाग में सुविधाएं हैं नहीं और मरीजों की खरी खोटी डॉक्टरों को सुननी पड़ती हैं। विभागीय रिपोर्ट भी तैयार करनी होती है सो अलग। इसी अस्पताल में बतौर ईएमओ तैनात रह चुके डॉ. नरेश कुमार भी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर विदेश जा चुके हैं। यहीं नहीं, इसके अलावा ईएमओ डॉ. विनय भी नौकरी छोड़ चुके हैं। सरकारी अस्पताल में तैनात मेडिकल कम हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. करनैल सिंह ने भी बदली से तंग आकर नौकरी को बाय-बाय कह दिया।

इनको पसंद नहीं आई सरकार की सेवा

सरकारी सिस्टम से खफा हुए डॉ. सलूजा, डॉ. रितू नारद, डॉ. खेला, डॉ. नरेश, डॉ. करनैल सिंह, डॉ. विनय, डॉ. हरदीप, डॉ. धामी, डॉ. गुरमीत भी नौकरी छोड़ चुके हैं। इनमें से कई तो निजी लैब या अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा की कि जिस तरह से डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं। अगर आने वाले समय में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार न हुआ तो और भी डॉक्टर नौकरी को लात मार कर प्राइवेट सेवाएं देने पर मजबूर हो जाएंगे।


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