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फैक्टरी से 270 किलो नकली देसी घी बरामद

देशी घी के नाम पर कुछ लोग लोगों की स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। जिसके चलते स्वस्थ विभाग होशियारपुर द्वारा जिला स्वस्थ अधिकारी (डीएचओ) सेवा ¨सह की अगुवाई में कृष्ण ट्रेडिस होशियारपुर खानपुरी गेट में छापेमारी कर 270 किलो नकली देशी घी बरामद किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 11:23 PM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 11:23 PM (IST)
फैक्टरी से 270 किलो नकली देसी घी बरामद
फैक्टरी से 270 किलो नकली देसी घी बरामद

संवाद सहयोगी, होशियारपुर : देसी घी के नाम पर कुछ लोग लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग होशियारपुर की ओर से जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) सेवा ¨सह की अगुआई में कृष्ण ट्रेडर्स होशियारपुर खानपुरी गेट में छापेमारी कर 270 किलो नकली देसी घी बरामद किया। जिसके सैंपल फेल होने के बाद देसी घी को नष्ट करवाया गया। फैक्टरी में डालडा घी में केमिकल मिलाकर देसी घी बनाने का धंधा चल रहा था। स्वास्थ्य विभाग ने होशियारपुर के खानपुरी गेट में चल रही एक डुप्लीकेट देसी घी फैक्टरी पर गुप्त सूचना के आधार पर छापामारी कर वहां से 270 किलो देसी घी बरामद किया। वहीं उसके सैंपल लिए गए। सैंपल फेल होने के बाद आज नकली देसी घी को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नष्ट करवाया। विभाग के अधिकारियों ने आगे भी कार्रवाई के लिए लिख दिया है। जिसके बाद फैक्टरी मालिक पर कार्रवाई की जाएगी। पीले रंग के डिब्बे में बेचा जाता था घी

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स्वास्थ्य विभाग के जिला अधिकारी डॉक्टर सेवा ने बताया की पिछले दिनों उनको एक गुप्त सूचना मिली थी की खानपुरी गेट के पास श्मशानघाट के पास एक सरसों के तेल फैक्टरी में डुप्लीकेट घी तैयार किया जाता है। जिस पर गोपी लिखा है और भगवान कृष्ण की फोटो लगा पीले रंग के डिब्बे में सप्लाई किया जाता है। दूध से तैयार होने वाली कोई वस्तु नहीं थी फैक्टरी में

जिस पर विभाग की ओर से कार्रवाई की तो फैक्टरी में न तो कोई दूध से तैयार होने वाली कोई वस्तु थी और न ही कोई मशीन लगी हुई थी। जिससे घी तैयार किया जाता हो। वहां सिर्फ वनस्पति घी और कुछ सेंट के डिब्बे मिले। जिनको मिला कर घी तैयार किया जाता था। जांच में जब फैक्ट्री में 270 किलो नकली देसी घी मिला। उसको जांच के लिए लेब में भेजा गया। रिपोर्ट आने पर साफ हो गया की यह घी डुप्लीकेट है।

80 रुपये का डालडा, बिकता था 350 से 400 में

जानकारी के अनुसार 80 रुपये किलो वाला वनस्पति घी लोगों को डिब्बे में बंद कर 350 रुपये से 400 रुपये किलो तक बेचा जाता था। डॉ. सेवा ¨सह के मुताबिक यह नकली घी लोगों के लीवर व किडनी खराब कर सकता है और कुछ लोग चंद पैसों के लिए लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने बताया की विभाग निरंतर अपने कार्य कर रहा है और त्योहारों को देखते हुए आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।

केमिकल डालते ही आने लगती थी देसी घी की महक

डॉ. सेवा ¨सह ने बताया कि फैक्टरी में बड़े स्तर पर यह धंधा चल रहा था। डालडा घी में एक केमिकल मिलाया जाता था जिससे घी की महक देसी घी के जैसे आने लगी थी और इसको से तैयार करके मार्किट में सप्लाई किया जा रहा था। होशियारपुर के साथ-साथ हिमाचल के कुछ इलाकों में सप्लाई किया जाता है। घी इस तरह तैयार किया जाता है कि कोई अंदाजा ही नहीं लगा सकता कि यह घी असली है या नकली।


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