Move to Jagran APP

भूले भटकों को राह दिखाते हैं भगवान : सुमित भारद्वाज

सुनकर तमाम ऋषि मुनि उनके पास आए राजा परीक्षित ने उन सभी का यथोचित समयानुकूल सत्कार करके उन्हें आसन दिया, उनके चरणों की वन्दना की और कहा - Þयह मेरा परम सौभाग्य है कि आप जैस देवता तुल्य ऋषियों के दर्शन प्राप्त हुये। मैंने सत्ता के मद में चूर होकर परम तेजस्वी ब्राह्मण के प्रति अपराध किया है फिर भी आप लोगों ने मुझे दर्शन देने के लिये यहाँ तक आने का कष्ट किया यह आप लोगों की महानता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 11:24 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 11:24 PM (IST)
भूले भटकों को राह दिखाते हैं भगवान : सुमित भारद्वाज
भूले भटकों को राह दिखाते हैं भगवान : सुमित भारद्वाज

संवाद सहयोगी, दातारपुर : बाबा लाल दयाल आश्रम रामपुर में विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री ब्रह्मलीन महंत राम प्रकाश दास जी की बरसी तथा बाबा लाल दयाल जी की 363 वीं बरसी के अवसर पर महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी की अध्यक्षता में दूसरे दिन भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा प्रवक्ता आचार्य सुमित भारद्वाज ने कहा एक बार राजा परीक्षित शिकार के लिए वन में गए। वन्य पशुओं के पीछे दौड़ने के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गए तथा पानी की खोज में इधर-उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुंच गये। वहां पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किए हुए तथा शांतभाव से एकासन पर बैठे हुए ब्रह्मध्यान में लीन थे। राजा परीक्षित ने उनसे जल मांगा किंतु ध्यानमग्न होने के कारण शमीक ऋषि ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया। सिर पर स्वर्ण मुकुट पर निवास करते हुए कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित को प्रतीत हुआ कि यह ऋषि ध्यानस्थ होने का ढोंग करके मेरा अपमान कर रहा है। उन्हें ऋषि पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से पास ही पड़े हुए एक मृत सर्प को अपने धनुष की नोंक से उठा कर ऋषि के गले में डाल दिया और अपने नगर वापस लौट आए।

loksabha election banner

शास्त्री जी ने कहा शमीक ऋषि तो ध्यान में लीन थे उन्हें ज्ञात ही नहीं हो पाया कि उनके साथ राजा ने क्या किया है किंतु उनके पुत्र ऋंगी ऋषि को जब इस बात का पता चला तो उन्हें राजा परीक्षित पर बहुत क्रोध आया। ऋंगी ऋषि ने सोचा कि यदि यह राजा जीवित रहेगा तो इसी प्रकार ब्राह्मणों का अपमान करता रहेगा। इस प्रकार विचार करके उस ऋषिकुमार ने कमंडल से अपनी अंजुली में जल लेकर तथा उसे मंत्रों से अभिमंत्रित करके राजा परीक्षित को यह श्राप दे दिया कि जा तुझे आज से सातवें दिन सर्प डसेगा।

कुछ समय बाद शमीक ऋषि के समाधि टूटने पर उनके पुत्र ऋंगी ऋषि ने उन्हें राजा परीक्षित के कुकृत्य और अपने श्राप के विषय में बताया। श्राप के बारे में सुन कर शमीक ऋषि को बहुत दु:ख हुआ।

शमीक ऋषि ने कहा तूने घोर पाप कर डाला। जरा सी गलती के लिये तूने उस राजा को घोर श्राप दे डाला। मेरे गले में मृत सर्प डालने के इस कृत्य को राजा ने जान बूझ कर नहीं किया है, उस समय वह कलयुग के प्रभाव में था। उसके राज्य में प्रजा सुखी है और हम लोग निर्भीकता पूर्वक जप, तप करते रहते हैं।

कहीं ऐसा न हो कि वह राजा स्वयं तुझे श्राप दे दे, किन्तु मैं जानता हूं कि वे परम ज्ञानी है और ऐसा कदापि नहीं करेंगे। ऋषि शमीक को अपने पुत्र के इस अपराध के कारण अत्यन्त पश्चाताप होने लगा। राजगृह में पहुंच कर जब राजा परीक्षित ने अपना मुकुट उतारा तो कलयुग का प्रभाव समाप्त हो गया और ज्ञान की पुन: उत्पत्ति हुई। वे सोचने लगे कि मैने घोर पाप कर डाला है। निरपराध ब्राह्मण के कंठ में मरे हुए सर्प को डाल कर मैंने बहुत बड़ा कुकृत्य किया है। इस प्रकार वे पश्चाताप कर रहे थे कि ऋषि शमीक के भेजे हए शिष्य ने आकर उन्हें बताया कि ऋषिकुमार ने आपको श्राप दिया है कि आज से सातवें दिन सर्प आपको डस लेगा। राजा परीक्षित ने शिष्य को प्रसन्नतापूर्वक आसन दिया और बोले- ऋषि कुमार ने श्राप देकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। मेरी भी यही इच्छा है कि मुझ जैसे पापी को मेरे पाप के लिय दंड मिलना ही चाहिए।

आप ऋषिकुमार को मेरा यह संदेश पहुंचा दीजिए कि मैं उनके इस कृपा के लिये उनका अत्यंत आभारी हूं। उस शिष्य का यथोचित सम्मान कर के और क्षमायाचना कर के राजा परीक्षित ने विदा किया।

राजा परीक्षित ने उन सभी का यथोचित समयानुकूल सत्कार करके उन्हें आसन दिया, उनके चरणों की वंदना की और कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि आप जैस देवता तुल्य ऋषियों के दर्शन प्राप्त हुए। मैंने सत्ता के मद में चूर होकर परम तेजस्वी ब्राह्मण के प्रति अपराध किया है। कथा में उन्होंने कई भजनों द्वारा भी उपस्थिति का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर कुलदीप शर्मा, राकेश शर्मा, सुदेश कुमारी, अनीता, तरसेम लाल, अविनाश, शाम ¨सह, प्रीतम चंद, देस राज, रविंद्र शर्मा, नरेश कुमारी, उषा देवी, शीला, मंजू बाला, सरोजिनी, नीलम, राजिंद्र कुमार भी उपस्थित थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.