लापरवाह निगम, लावारिस पशुओं की समस्या हुई गंभीर
लावारिस पशुओं नें शहर व गांव में हर जगह लोगों की नाक में दम कर रखा है।
वरिदर बेदी, होशियारपुर : लावारिस पशुओं नें शहर व गांव में हर जगह लोगों की नाक में दम कर रखा है। एक ओर जहां किसान लावारिस पशुओं से परेशान है, वहीं शहरवासी भी इनकी वजह से परेशानी झेल रहे हैं। कुल मिला कर निगम व प्रशासन शहरवासियों को लावारिस पशुओं से निजात दिलाने में नाकाम रहा है। बता दें कि कई बार लावारिस पशु सड़क के बीच में लड़ना शूरू कर देते हैं, जिससे राहगीरों की जान सांसत में आ जाती है। मंगलवार को भी शहर के बस स्टैंड रोड पर दो लावारिस सांड आपसे में भिड़ गए, जिससे वहां से निकलने वाले राहगीरों में अफरा तफरी का माहौल बन गया। गनीमत रही कि कोई इनकी चपेट में नहीं आया। शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां लावारिस पशु नजर आएं। आए दिन यह लावारिस पशु हादसों का कारण बन रहे हैं। लावारिस पशुओं से होनी वाली दुर्घटनाओं से लोग भी काल का ग्रास बन रहे हैं। करीब एक साल माह पहले टांडा में भी पठानकोट निवासी मां बेटी की मौत कार में एक आवारा सांड के टकराने से हो गई थी। वहीं होशियारपुर के गांव ढोलनवाल में एक आवारा सांड की वजह से एक किसान की मौत हो चुकी है। करीब तीन साल पहले एक आवारा सांड के पटकने से बुजुर्ग औरत खंडी देवी की भी मौत हो गई थी। इससे पहले भी ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जिनमें लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
दो-दो कैटल पौंड, नतीजा जीरो
शहरवासियों को लावारिस पशुओं से निजात दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा दो-दो कैटल पौंड बनवाए गए हैं। मगर फिर भी अभी तक पूरी तरह से लावारिस पशुओं से निजात मिलती नजर नहीं आ रही। निगम अधिकारियों का दावा था कि कैटल पौंड बनने के बाद शहर में लावारिस पशुओं से निजात मिल जाएगी। मगर दोनों कैटल पौंड को बने भी करीब दो साल का समय बीत चुका है मगर फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो सका।
कैटल पौंड में भी रखे जाते हैं दुधारू पशु
होशियारपुर में दो कैटल पौंड के अलावा छह के करीब छोटी बड़ी गोशाला भी हैं। मगर इन गउशाला में भी ज्यादातर दुधारू पशुओं को ही तरजीह दी जाती है, जो गउएं दूध देने के काबिल नहीं है उन्हें सड़कों से हटाने की कवायद नहीं की जाती, वही शहर में लावारिस सांडों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
जल्द करवाई जाएगी टैगिंग
मेयर शिव सूद का कहना है कि जिन लोगों ने पशु रखे हुए हैं, वहीं सड़कों पर लावारिस छोड देते हैं। जो भी पशु दूध देना बंद कर देता है उसे लोगों द्वारा लावारिस छोड़ दिया जाता है। वहीं कुछ डेयरी वाले भी दूध दोहने के बाद पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते है जो शाम को वापस डेयरी में चले जाते हैं। निगम द्वारा जल्द ही प्रस्ताव पास करके सभी पशुओं की टैगिग की जाएगी। डेयरी संचालकों को भी ऐसे न करने की हिदायत दी जाएगी।
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