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क्षमता 603 की, जेल में भर रखे हैं 850 से ज्यादा कैदी

वीरवार को लुधियाना की जेल में हुई हिंसक घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से सवालिया निशान लगा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 12:56 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 12:56 AM (IST)
क्षमता 603 की, जेल में भर रखे हैं 850 से ज्यादा कैदी
क्षमता 603 की, जेल में भर रखे हैं 850 से ज्यादा कैदी

59 सुरक्षा कर्मियों की स्वीकृति पोस्टें हैं जेल में

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30 ही सुरक्षा कर्मी बच्चे हैं केंद्रीय जेल में

32 बैरकें हैं जेल में, हर बैरक में भरे हैं औसतन 26 कैदी

2005 में 59 सुरक्षा कर्मी थे जेल प्रबंधन के पास हजारी लाल, होशियारपुर

वीरवार को लुधियाना की जेल में हुई हिंसक घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से सवालिया निशान लगा दिया है। एक बार फिर साबित हो गया है कि जेलों की सुरक्षा व्यवस्था में छेद है। होशियारपुर की केंद्रीय जेल भी सुरक्षा के लिहाज से कतई ठीक नहीं है। क्षमता से अधिक कैदियों के बोझ से जेल का भार बढ़ा है। आलम यह है कि जेल में करीबन दोगुना कैदी ठूंसे गए हैं। चौंकाने वाला पहलू यह है कि कैदी बढ़ते जा रहे हैं और जेल मुलाजिमों की संख्या साल-दर-साल कम होती जा रही है। और तो और ऊपर से जेल के अंदर नशा जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है।

आकड़ों के मुताबिक केंद्रीय जेल में कैदियों को रखने की क्षमता 603 है और वर्तमान में 850 से ज्यादा कैदी हैं। मालूम पड़ा है कि कुल कैदियों में 35 से 40 फीसद कैदी नशेड़ी होते हैं। नशेड़ी कैदी जेल प्रबंधन के लिए सरदर्द से कम नहीं हैं।

कैदियों के लिए 12 बड़ी, 20 सेल हैं। बैरकों व सेलों में क्षमता से अधिक कैदी ठूंसे गए हैं। जेल में कुल 32 बैरकें हैं। हर बैरक में बात की जाए तो औसतन 26 कैदी भरे गए हैं। सुरक्षा कर्मियों की स्वीकृत पोस्टें 59 हैं जबकि रिटायरमेंट के चलते 30 के करीब रह गई है। कोट मौका के चार सेंटर हैं। इनकी भी सुरक्षा में छेद है। यहा जेल में असिस्टेंट जेल सुपरिंटेंडेंट काम भी निचले रैंक के मुलाजिमों से चलाया जा रहा है।

विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि कैदियों की संख्या तो बढ़ती जा रही है और चौकाने वाला पहलू यह है कि जेल मुलाजिमों की संख्या कम होती जा रही है। क्योंकि रिटायरमेंट के बाद गाडरें की भर्तिया नहीं हो रही हैं। इससे जहा मुलाजिमों को ज्यादा घटे ड्यूटी बजानी पड़ती है, वहीं उनके ऊपर काम का भी बोझ ज्यादा रहता है। जेल के अंदर बिक रहा नशा

सूत्रों की मानें तो यही कारण है कि जरा सी चूक होते ही नशीला पदार्थ जेल के अंदर पहुंच जाता है। पेशी पर आने वाले नशेड़ी कैदियों को उनके दोस्त नशीला पदार्थ पकड़ा देते हैं। पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था न होने से वह नशीला पदार्थो को जेल के अंदर ले जाने में कामयाब हो जाते हैं। कई बार तो बाहर से छोटे पत्थरों में बाध कर नशीले पदार्थो को जेल के अंदर फेंकने की घटनाएं घटित हो चुकी हैं। दो जगह होती है चेकिंग, फिर भी अंदर पहुंच जाता है मोबाइल

कैदियों को जेल के अंदर ले जाने के लिए दो जगहों पर चेकिंग की व्यवस्था है। पहले मुख्य द्वार पर कैदियों की चेकिंग होती है। उसके बाद जेल के दूसरे गेट पर कैदियों की बारीकी से चेकिंग की जाती है। ऐसे में समझ से बाहर हो जाता है कि जब कड़ाई से चेकिंग होती है तो फिर अंदर मोबाइल फोन और नशीला पदार्थ कैसे पहुंच जाते हैं। यह तो जेल प्रबंधन ही बता सकता है कि मोबाइल फोन और नशीला पदाथरें के खेल के पीछे कौन सा रहस्य छिपा है, लेकिन यह सारी घटनाएं जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं। 2002 में कैदियों की संख्या थी 364

जेल में कैदियों की रखवाली के लिए वर्ष 2002 में कैदियों की संख्या महज 364 थी। उस समय सुरक्षा कर्मी 74 थे। वर्ष 2005 में 59 सुरक्षा कर्मी थे। वर्तमान में गार्डो की संख्या 30 के करीब रह गई है। आकड़ों के मुताबिक जेल में अब उस हिसाब से कैदियों की संख्या तीन गुणा बढ़ोत्तरी हुई तो सुरक्षा कर्मियों की संख्या काफी कम हो गई है।

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