अधूरी तैयारी से कैसे संवरेगा नौनिहाल का भविष्य
लोकेश चौबे, होशियारपुर स्कूल शिक्षा विभाग बिना कसरत के ही प्रदेश में 14 नवंबर से शुरू
लोकेश चौबे, होशियारपुर
स्कूल शिक्षा विभाग बिना कसरत के ही प्रदेश में 14 नवंबर से शुरू होने वाली प्री- प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने जा रहा है। मगर, प्री-प्राइमरी क्लास के संचालन व इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए विभाग के पास कोई ठोस प्लान नहीं है। इन नन्हें मुन्नों को पढ़ाने के लिए विभाग के पास न तो ट्रेंड टीचर हैं और न ही आधारभूत ढांचा। वहीं आगंनबाड़ी वर्करों का क्या रोल होगा, जैसे कई मुद्दे हैं जिस पर विभाग ने अभी न तो अपने पत्ते खोले हैं और न ही कोई ठोस निर्णय ही लिया है।
विभाग बेशक ईजीएस व शिक्षा प्रोवाइडरों के हवाले प्री-प्राइमरी कक्षाएं देने की बात कर रहा है। मगर, इन अध्यापकों ने कौन सी प्री-कक्षाओं को पढ़ाने के लिए कोई कोर्स किया है या इन्हें इन कक्षाओं को पढ़ाने का अनुभव है। विभाग ने तो बस 25 अक्टूबर से प्री-प्राइमरी के लिए दाखिले शुरू कर 14 नवंबर से पढ़ाई की तिथि निश्चित कर ली है। मगर, विभाग के पास बहुत चुनौतियां हैं, जिससे निपटना उसके लिए इतना आसान नहीं है।
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बिना ट्रेंड अध्यापकों के कैसे पढ़ेंगे मासूम
जीटीयू के महासचिव ¨प्रसिपल अमनदीप शर्मा ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा के हिसाब से अध्यापक नियुक्त किए जाते हैं। जिसमें प्राइमरी के अध्यापक के लिए ईटीटी व अपर प्राइमरी के अध्यापक का बीएड होना अनिवार्य है। मगर, इन दोनों अध्यापकों को प्री-प्राइमरी को पढ़ाने के लिए नहीं लगा सकते, क्योंकि इन बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्थिति व पढ़ाने की प्रक्रिया ही अलग होती है। इसलिए कुछ संस्थाएं नर्सरी टीचर ट्रे¨नग जैसे कोर्स भी करवाती हैं, ताकि प्री ¨वग के लिए अध्यापक तैयार हो सकें। बताते चलें कि अभी तक सरकारी स्कूलों में प्री ¨वग होता नहीं था, इसलिए अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से एनटीटी जैसे कोर्स नहीं करवाए जाते हैं, लेकिन सरकार के प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने के फैसले बाद अब इन कोर्सो को शुरू करने की जहां जरूरत पड़ गई है, वहीं विभाग के लिए यह भी जरूरी हो गया है कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एनटीटी टीचर रखे जाएं। शर्मा ने कहा कि प्राइमरी अध्यापकों के पास पहले ही पढ़ो पंजाब, पढ़ाओ पंजाब का काम है वे इन बच्चों का ध्यान कैसे रखेंगे।
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बिना योजना स्कूल मर्ज की बात से अध्यापकों को किया परेशान
पहले तो स्कूल शिक्षा विभाग ने पंजाब के 637 स्कूलों की लिस्ट निकाल कर इसे मर्ज करने की बात कही। अध्यापक संगठनों ने विरोध किया तो मामला 30 तक टाल दिया गया, लेकिन अब विभाग कह रहा है कि प्री प्राइमरी के बच्चे यानी की आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी प्राइमरी स्कूलों में जोड़ी जाएगी। इससे शायद ही ऐसा कोई प्राइमरी स्कूल रहेगा, जहां बच्चों की संख्या 20 से कम होगी क्योंकि 10-15 बच्चे तो आंगनबाड़ी सेंटरों में ही होते है। अध्यापकों को समय भी मिल गया कि वे अब अपने स्कूल बचा सकते हैं। अगर प्री प्राइमरी कक्षाएं इतनी जल्दी ही शुरू करनी थी तो विभाग ने स्कूल को मर्ज करने वाला ड्रामा रचा क्यों?
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छोटे बच्चों की कैसे होगी देखभाल
प्री प्राइमरी स्कूलों में बाकायदा बच्चों के लिए दाई होती है, जो कि बच्चे की जरूरत पड़ने पर देखभाल करती है, लेकिन अब सरकारी स्कूलों में बच्चों की देखभाल करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। प्राइमरी अध्यापक तो पहले ही पढ़ो पंजाब व पढ़ाओ पंजाब प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं, तो वह इन बच्चों की कैसे देखभाल करेंगे। वहीं हर स्कूल में ईजीएस व शिक्षा प्रोवाइडर अध्यापक नहीं है, तो कैसे हर स्कूल में प्री- प्राइमरी ¨वग संचालित होगा।
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जरूरत के अनुसार ठोस कदम उठाएगा विभाग : प्रशांत गोयल
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विभाग (डीजीएसई) प्रशांत गोयल ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सभी मामलों को ध्यान में रखा गया है। प्रदेश में प्री-प्राइमरी कक्षाओं के रुझान को देखते हुए विभाग अगला फैसला लेगा। जिसमें देखा जाएगा कि प्री- प्राइमरी कक्षा के लिए अलग से विशेष अध्यापकों की जरूरत है कि नहीं। जरूरत पढ़ने पर विभाग हर ठोस कदम उठाएगा।
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विशेष वर्कशॉप 31 को : इंद्रजीत सिंह
डीपीआइ (ए) इंद्रजीत ¨सह ने कहा कि सभी इशू को ध्यान में रखते हुए विभाग ने एक विशेष वर्कशॉप 31 अक्टूबर को मोहाली कार्यालय में रखी है। जिसमें प्रदेश के सभी डीईओ व बीपीईओ को बुलाया गया है। जिसमें सभी मामलों पर गौर किया जाएगा, ताकि आने वाले समय में किसी तरह की कोई दिक्कत न रहे।
फिलहाल प्री-प्राइमरी ¨वग के लिए शिक्षा प्रोवाइडर व ईजीएस अध्यापकों को लगाया जाएगा। वहीं आंगनबाड़ी वर्करों को भी स्कूल में जोड़ा जाएगा, ताकि वे पहले की तरह अपनी सेवाएं जारी रखें।