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पौंग बांध में घटा 90 फुट पानी का स्तर

दातारपुर ब्यास नदी पर मिट्टी की दीवार से बनाए गए एशिया के सबसे बड़े बांध पौंग बां

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 03:47 PM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 03:47 PM (IST)
पौंग बांध में घटा 90 फुट पानी का स्तर
पौंग बांध में घटा 90 फुट पानी का स्तर

सरोज बाला, दातारपुर

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ब्यास नदी पर मिट्टी की दीवार से बनाए गए एशिया के सबसे बड़े बांध पौंग बांध में 20 जून, 2017 से जलभराव सीजन शुरू होकर 20 सितंबर यानी तीन महीने बाद समाप्त हो गया था। बांध के जल ग्रहण क्षेत्र में गत मानसून की बारिश से झील में पानी का स्तर शुरुआत में तो बहुत तेजी से बढ़ा पर अगस्त के आखिर में इसमें भारी गिरावट दर्ज हुई और वांछित जलस्तर 1390 फीट का आंकड़ा दूर की कौड़ी बन गया।

विगत सर्दी के मौसम में बारिश कम होने के कारण बांध में पानी का स्तर घटने का सिलसिला जारी है और यह 16 अप्रैल तक 90 फुट घट चुका है। सोमवार सुबह 6 बजे बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में 1293.58 फुट जलस्तर रिकार्ड किया गया। इसी समय बांध की झील में 2670 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध की टरबाइनों से 1010 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा है।

गौर हो कि गत वर्ष 20 जून को बांध में जलभराव सीजन की शुरुआत में 1286.95 फुट जलस्तर रिकार्ड किया गया। इसी समय झील में मात्र 1621 क्यूसिक पानी की आमद और 8010 क्यूसिक पानी बांध से डिस्चार्ज हो रहा था। ज्ञात रहे कि पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265 फुट है और बांध की उंचाई 1410 फुट है। सितंबर में बादलों की बेरुखी के कारण झील में वांछित स्तर तक पानी नही पंहुच सका था और जलभराव सीजन के आखिर में बांध में जलस्तर 1383.46 फुट तक हो गया था। सोमवार को बांध में 1383-1293.58 यानी लगभग 90 फुट पानी इस सीजन में बांध में घटा है। पौंग बांध से डिस्चार्ज के बाद यह पानी शाह नहर बैराज में आ रहा है। और फिर उसमें से पानी मुकेरियां हाईडल नहर में छोड़ा जा रहा है। जहां चार पावर हाउस में 207 मेगावाट बिजली उत्पादन होती है।

गौर हो कि पौंग बांध में कुल 6 टरबाइन हैं, जो 66 मेगावाट की दर से कुल 396 मेगावाट बिजली उत्पादन करके राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं।

इस समय बांध से बहुत कम मात्र में पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है, क्योंकि यहां से पानी राजस्थान सरकार की डिमांड पर छोड़ा जाता है और इन दिनों फसलें पक कर तैयार हैं। ऐसे में राजस्थान में ¨सचाई के लिए पानी की डिमांड न के बराबर है। नतीजतन पानी डिस्चार्ज में कमी दर्ज की गई है।


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